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जमीन से लेकर आसमान तक महिलाओं ने गाड़े सफलता के झंडे, लिखी कामयाबी की दास्तां

8 मार्च को पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं के सम्मान के तौर पर मनाया जाता है। समाज के विकास का संबंध सीधा महिलाओं के विकास से जुड़ा है।

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ruchika sharma
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जमीन से लेकर आसमान तक महिलाओं ने गाड़े सफलता के झंडे, लिखी कामयाबी की दास्तां

अरुणा रेड्डी और अवनी चतुर्वेदी

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8 मार्च को पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं के सम्मान के तौर पर मनाया जाता है। समाज के विकास का संबंध सीधा महिलाओं के विकास से जुड़ा है।

सरकार ने 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ', 'उज्ज्वला योजना', आदि योजनाओं की शुरुआत कर महिलाओं की सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। देश की तरक्की के लिए महिलाओं का कंधे से कंधे मिलाकर चलना बेहद जरूरी है।

आज किसी भी क्षेत्र में महिलाओं अपना लोहा मनवाने में पुरुषों से कम नहीं है। जीवन में परिस्थितियां बदलाव की नींव को तैयार करती है। ग्रामीण इलाकों में भी चिपको आंदोलन , बाल विवाह जैसे अन्य आंदोलनों पर उठी आवाज़ समाज में बदलाव की लहर बनकर आये।

इन बदलाव के पीछे ग्रामीण महिलाओं का भी हाथ है, जो तमाम सामाजिक बेड़ियों को तोड़कर किसी न किसी समाजिक कल्याण की मुहिम में अपना योगदान दे रहीं है।

आत्मविश्वास और साहस से लबरेज देश की बेटियों ने साबित कर दिया है कि कोई रास्ता उनके लिए मुश्किल नहीं है। राजनीतिक जगत से लेकर खेल जगत तक महिलाएं अपना लोहा मनवाने में कामयाब रही है।

आज महिलाएं लड़ाकू विमान उड़ाने से लेकर खेल जगत में पदक जीतने तक जीत का परचम फहरा रहीं है। चाहे कितनी भी विपरीत स्थितियां हो, वह बिना रुके अपने लक्ष्य की तरफ खुद सफलता की दास्तां लिखती है। ऐसे तमाम नाम है जिन्होंने सफलता की मिसाल कायम की और विदेशी धरती पर भारत का नाम रोशन किया।

जिमनास्टिक वर्ल्ड कप के महिला वॉल्ट स्पर्धा भारत की जिम्नास्ट अरुणा बुद्दा रेड्डी इतिहास के पन्नों में कामयाबी की स्याही से अपनी छाप छोड़ी है। अरुणा विश्व कप में कांस्य पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं है।

13.649 अंक अंक के साथ अरुणा ने कांस्य पदक अपने नाम किया। इससे पहले अरुणा अरुणा ने 2017 में एशियाई चैम्पियनशिप की वॉल्ट स्पर्धा में छठा स्थान हासिल किया था। अरुणा ने 2005 में अपना पहला राष्ट्रीय पदक जीता था।

ऐसा ही एक और पावर वूमेन का उदाहरण है भारतीय सेना की फ्लाइंग ऑफिसर अवनी चतुर्वेदी, जिन्होंने इतिहास रच पूरे देश को गौरवान्वित किया है। उन्होंने मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के एक छोटे से शहर देवोलंद में अपनी पढ़ाई पूरी की।

जून, 2016 में भारतीय वायु सेना के लड़ाकू स्क्वाड्रन में अवनी , मोहना सिंह और भावना शामिल किया गया। उन्हें औपचारिक रूप से तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा कमीशन में शामिल किया गया था।

जुलाई 2016 में फ्लाइंग ऑफिसर के तौर पर शामिल अवनी भारत की पहली ऐसी महिला है जिन्होंने अकेले लड़ाकू विमान में उड़ान भरी है। गुजरात के जामनगर एयरबेस से अवनी ने सफल उड़ान भर कर अपना मिशन पूरा किया।

अवनी ने इतिहास रच कामयाबी की मिसाल पेश की है और देश की कई महिलाओं को प्रेरित किया है। अवनी चतुर्वेदी और अरुणा रेड्डी जैसी कई और पावर वूमेन है जो हौसलों की उड़ान भर अपने अपने क्षेत्र में सफलता के झंडे गाड़ रहीं है और दूसरी महिलाओं को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहीं है।

आखिर पावर वूमेन वहीं है जो अपने प्रतिभा और हुनर के बल पर न सिर्फ खुद सफलता हासिल करती है बल्कि समाज की अन्य महिलाओं को भी आगे लाने का काम करतीं है।

Source : Ruchika Sharma

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