International Women's Day 2020: 'सफेद' समाज का 'काला' सच बयां करती इन लड़कियों की कहानी

असल दुनिया में काली लड़की को अमावस की रात और गोरी को चांद का टुकड़ा कहा जाता है. यहां लड़की कितनी भी पढ़ी-लिखी क्यों हो न हो उसे फिर भी रंगभेद का शिकार होना पड़ता है. यहां में आपको ऐसे ही कई किस्सों के बारें में बताने जा रही हूं, जो हमारे सफेद समाज क

author-image
Vineeta Mandal
एडिट
New Update
dark is beautiful

International Women s Day 2020( Photo Credit : (फोटो-Instagram))

International Women's Day 2020: गोरों की ना कालों की ये दुनिया है दिलवालों की, इंसान अपने रंग रूप से नहीं बल्कि अपने कर्मों से जाना जाता है. ये मंत्र और लाइन आप सबने अपनी जिंदगी में तमाम बार सुनी होगी. लेकिन, बात जब इस पर अमल की आती है तो हम कितना करते हैं, आप सब इससे अच्छे से वाकिफ होंगे. हमारे समाज में आज भी गर्भवती महिलाओं को केसर का दूध सिर्फ इसलिए पिलाया जाता है ताकि, उनसे होने वाला बच्चा गोरा पैदा हो. गर्भवती महिला के कमरों में सिर्फ गोरे बच्चों की ही फोटो लगाई जाती है और कामना की जाती है बच्चा बिल्कुल गोरा-चिट्टा हो. हमारे समाज में अब भी चेहरे के सफेद रंग को ही खूबसूरती का तमगा माना जाता है. हम चाहे कितना भी कह ले कि Dark is Beautiful, Black Beauty, गेहुआं या सांवला रंग भी सुंदर होता है लेकिन, ये सिर्फ कहने की बाते हैं. असल दुनिया में काली लड़की को अमावस की रात और गोरी को चांद का टुकड़ा माना जाता है. लड़की कितनी भी पढ़ी-लिखी क्यों हो न हो, उसे भी रंगभेद का शिकार होना पड़ता है. यहां मैं आपको ऐसे ही कई किस्सों के बारें में बताने जा रही हूं, जो हमारे सफेद समाज का काला सच हैं.

Advertisment

और पढ़ें: अभिनय से फिल्मों में अपनी अलग जगह बनाने वाली कोंकणा सेन की पहचान 'बिन ब्याही मां' तक ही सीमित नहीं

कुछ समय पहले मैं एक लड़की से मिली, वो बहुत ही मिलनसार और कामयाब थी. उसने बहुत छोटी उम्र में बड़ा मुकाम हासिल कर लिया था. अपना खुद का घर, खुद की कार ले ली थी. आमतौर पर हम मध्यमवर्गीय परिवार की लड़कियों के लिए खुद इतना कर पाना भी बड़ा मुकाम होता है. खैर, इंडिया के टॉप कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद उसने विदेश के कॉलेज से भी डिग्री हासिल की थी. जिस उम्र में हम आप ऐसे सपने देखना शुरू करते हैं, उस उम्र में उसने ये सब हासिल कर लिया था. लेकिन, बात जब शादी और प्यार की आई तो उसे अपने सांवले रंग की वजह से बार-बार रिजेक्शन मिलता रहा. हर पढ़ा लिखा लड़का यही कहता कि बाकी तो सब ठीक था, बस लड़की थोड़ी गोरी होती तो... हैरानी हुई थी मुझे ये जानकर एक पढ़ा-लिखा वर्ग भी इसी अंतर से जूझ रहा है.

बिहार के गांव में रहने वाली एक लड़की लंबे-लंबे घने काले वाल, सफेद चमकदार दांत, झील सी गहरी आंखें घर के काम से लेकर सिलाई, बुनाई और कढ़ाई में एक नंबर लेकिन रंग एकदम काजल की तरह गहरा काला. गरीबी के कारण पढ़ाई छूट चुकी थी इसलिए शिक्षा की डिग्री में अनपढ़ लिखा हुआ था. जब वो महज 9 या 10 साल की रही होगी तब से उसके माता-पिता को उसकी शादी की चिंता सता रही थी कि कैसे होगी उसकी शादी इस काले रंग को कौन अपने घर में सजाएगा. वो लड़की भी दिन रात अपने रंग को कोसती रहती लेकिन अंत में उसने इसे ही सच मानते हुए मान लिया कि उसके नसीब में कोई राजकुमार नहीं आएगा. वहीं दूसरी तरफ इस लड़की की जगह लड़का होता तो भी उसे दहेज में लाखों रुपए और गोरी चांद जैसी बीवी मिलती. रंगभेद का शिकार लड़की/लड़का कोई भी हो सकता है लेकिन, ज्यादा संख्या अक्सर लड़कियों की ही होती है. अक्सर लड़की के रंग की गहराई जितनी ज्यादा होती है, दहेज की मांग भी उसी के अनुपात में कई गुना बढ़ जाती है और अच्छे रिश्ते की क्वालिटी में भी थोड़ी मिलावट हो जाती है.

ये भी पढ़ें: Thank You Deepika! तुम्हारी हिम्मत से दूसरों को हिम्मत मिली

अब मैं बात करती हूं 10 साल की एक बच्ची की, जिसने अपनी आधी उम्र अपने रंग को कोसने और काले से गोरे होने में खर्च कर दी. वो गोरा रंग पाने के लिए अपने मुंह पर हल्दी, बेसन, मुल्तानी मिट्टी और तमाम तरह की क्रीम लगाती थी. दिन-रात मैग्जीन में बस यहीं पढ़ती रहती कि रंग गोरा कैसे हो. उसके मम्मी-पापा खूब समझाते कि बेटा काला-गोरा कुछ नहीं होता है, इंसान अपने काम के लिए जाना जाता है. तुम ऐसे भी बहुत खूबसूरत हो, तुम्हें गोरा क्यों होना है. लेकिन वो फिर भी हर दिन रोती रहती कि पापा मैं गोरी क्यों नहीं हूं. सोसायटी में दुर्गा पूजा होती तो सब बच्चियों को देवी बनाया जाता लेकिन, उसे ऑडिशन में ही रिजेक्ट कर दिया जाता और कहा जाता कि तुम्हारे लिए कोई रोल नहीं है क्योंकि सभी माता गोरी हैं. इस पर बच्ची ने यहां तक कहा कि काली माता का ही रोल दे दीजिए, मेरे तो बाल भी लंबे हैं. लेकिन, ये किरदार भी गोरे रंग की लड़की को मिल गया. इंसानों को छोड़िए देवियों को भी रंगभेद का सामना करना पड़ता है. तभी तो मंदिरों और घरों तक में ज्यादातर देवी गौरी और दुर्गा को ही जगह मिलती है जबकि  देवी काली का रूप तो ज्यादातर को डरावना ही लगता है.

वहीं प्रेमियों के लिए भी तो एक गोरी प्रेमिका ही शो ऑफ की चीज होती है,जिसे वो हर जगह बहुत ही शान से सबको मिलाता और दिखाता है. स्कूल-कॉलेज के बाहर भी सबकी नजर चमकदार चेहरे पर ही होती, कईयों के इश्क ने तो काले-गोरे रंग के बीच ही दम तोड़ दिया होगा. एक औरत होकर भी सांवली लड़की के लाने पर लड़के की मां उसे बड़ें-बड़ें शब्दों से तोल देती है. लड़की सफेद पाक मोहब्बत पर चरित्रहीन, बदसूरत, दाग जैसे सम्मानित शब्द से इश्क की इबारत लिख दी जाती है. काली लड़कियों की सिर्फ शक्ल काली होती है उनका चरित्र दूसरी गोरी लड़कियों की तरह ही साफ होता है.

ये तो सिर्फ कुछ किस्सें थे लेकिन हमारे समाज में हर दूसरी काली-सावंली लड़की की यही कहानी है. उन्हें अपनी जिंदगी और करियर में रंगभेद का सामना करना पड़ता है. समाज का हर वक्त का ताना उनके मन को तोड़ देता है लेकिन वो अब इन सब से उबर रही है. जैसे सफेद चांद के बीच तारों ने अपनी चमक बरकरार रखी है. ठीक इसी तरह ये लड़किया भी अपनी मर्जी से जिंदगी को जीते हुए अपनी पहचान बनाने में जुटी हुई है और अपना नाम कमा रही है. इसी का नतीजा है कि अब काले रंग की लड़कियां भी ब्यूटी कॉन्टेस्ट में अपनी जगह बनाकर जीत का खिताब अपने नाम कर रही हैं.

लोगों की सोच कितनी बदली है इसका अंदाजा हम बाजार में बिकने वाले ब्यूटी प्रोडक्ट्स से लगा सकते है. अब रंग को चमकदार बनाने का खेल जारी है इसलिए अब लड़कियों को खुद ही इस खेल में अपनी जीत हासिल करनी होगी. खुद से प्यार करते हुए अपने रंग को अपनाते हुए सपनों की उड़ान भरनी होगी वरना गिराने वाले तो बहुत मिलेंगे. तो Yo Girls, Go Girls....!!!

Black color Dark is Beautiful Indian Society Dark Girls International Womens Day 2020 Black Women Womens Day Racism body shaming
      
Advertisment