2025 तक कई राज्यों में बहुत कम हो जाएगा जमीनी पानी! जानें कैसे
भारत को मौजूदा मानसून से सीमित राहत मिली है. कई पूर्वी और उत्तरी राज्यों में जुलाई का महीना बहुत सूखा रहा. मौसम विभाग ने इस माह और अगले माह भी औसत से कम वर्षा की चेतावनी दी है.
नई दिल्ली:
भारत को मौजूदा मानसून से सीमित राहत मिली है. कई पूर्वी और उत्तरी राज्यों में जुलाई का महीना बहुत सूखा रहा. मौसम विभाग ने इस माह और अगले माह भी औसत से कम वर्षा की चेतावनी दी है. इससे देश के कई हिस्सों में अगले साल गंभीर जल संकट जारी रहेगा. देश की 40% से अधिक आबादी (लगभग 60 करोड़) जीवनयापन के लिए खेती पर निर्भर है. आधी से थोड़ी ज्यादा कृषि भूमि सिंचित नहीं है. नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार भारत के मध्य भाग में 1950 से 2015 के बीच वर्षा में 10% गिरावट हुई है.
दूसरी ओर इस अवधि में बहुत अधिक भारी वर्षा की घटनाओं में 75% बढ़ोतरी दर्ज की गई है. भारी वर्षा जमीन के भीतर पहुंचकर मिट्टी को नम नहीं करती बल्कि उसका क्षरण करती है. फसलों को फायदे की जगह नुकसान होता है. वर्षा की अवधि कम होने से सूखे मौसम का दौर लंबा चलता है. इस वर्ष कोलकाता में 61 दिन तक बिलकुल बारिश नहीं हुई है.
इस कारण देश में फसलों की सिंचाई के लिए भूमिगत पानी का ज्यादा उपयोग होता है. हरित क्रांति के कारण अनाज का निर्यात होने लगा है, लेकिन उससे बड़े पैमाने पर ट्यूबवेल भी खोदे गए हैं. अमेरिका और चीन मिलकर जितने भूमिगत पानी का इस्तेमाल करते हैं, उससे अधिक भारत करता है. पिछले साल साइंस एडवांसेस में प्रकाशित स्टडी में पाया गया कि 2025 तक उत्तर-पश्चिम और दक्षिण भारत के बहुत बड़े हिस्से में भूमिगत जल की उपलब्धता बेहद कम हो जाएगी.
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूनिसेफ के अनुसार आधे से कम भारतीयों को ही सुरक्षित पेयजल मिलता है. देश में अधिकतर भूमिगत पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है. अधिक फ्लोराइड से हड्डियों और जोड़ के टेढ़े-मेढ़े होने की बीमारी फ्लोरोसिस होती है. ढाई करोड़ लोग बीमारी से पीड़ित हैं और छह करोड़ 60 लाख लोगों के प्रभावित होने का खतरा है.
सरकार ने जलसंकट से निपटने के लिए कई उपाय किए हैं. अगले पांच वर्षों में सभी ग्रामीण घरों में नल का साफ पानी मुहैया कराने के लिए 3.59 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. अनाज की पैदावार करने वाले प्रमुख राज्य पंजाब में कम जमीनी पानी निकालने पर किसानों के लिए कैश प्रोत्साहन सहित कई योजनाएं शुरू की गई हैं, इसलिए दुनिया की 18% आबादी वाले देश के लिए विश्व के केवल 4% पानी की उपलब्धता को देखते हुए पानी की हर बूंद अनमोल है.
दूषित पानी से पांच लाख से अधिक मौतें
सरकार के मुताबिक 25 राज्यों के 209 जिलों में भूमिगत जल में आर्सेनिक पाया गया है. एनजीओ ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि लंबे समय तक आर्सेनिक पानी के उपयोग से कैंसर, हृदयरोग और फेफड़े की बीमारियां हो सकती हैं. लेंसेट पत्रिका ने मई में अनुमान लगाया कि भारत में 2019 में दूषित पानी से पांच लाख से अधिक समय पूर्व मौतें हुई थीं.
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