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कुंडली में विवाह में बाधा कारक ग्रह

 कई बार देखने में आता है कि कुछ जातक के विवाह में बाधा आती है, कुछ के विवाह के बाद शांति से साथ रहने में परेशानी आती है और कुछ के विवाह बहुत परेशानी से हो पाते हैं या विवाह हो भी गया तो वो बस नाम का ही होता है। इन सब कारणों के पीछे ज्योतिष के ग्रहों

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Mohit Sharma
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horoscope ( Photo Credit : सांकेतिक तस्वीर)

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कुंडली ( horoscope  ) में विवाह( marriage in horoscope ) में बाधा कारक ग्रह-- कई बार देखने में आता है कि कुछ जातक के विवाह में बाधा आती है, कुछ के विवाह के बाद शांति से साथ रहने में परेशानी आती है और कुछ के विवाह बहुत परेशानी से हो पाते हैं या विवाह हो भी गया तो वो बस नाम का ही होता है। इन सब कारणों के पीछे ज्योतिष (astrology ) के ग्रहों की बड़ी भूमिका रहती है। यदि कुण्डली के पंचम भाव मे शनि-राहू व मंगल, सप्तम भाव  मे सूर्य-चंद- बुध हों तो विवाह में परेशानी करते हैं।

  •  सप्तम भाव और सप्तमेश  दोनों ही पाप ग्रहों से पीड़ित होने पर विवाह में परेशानी आती है।
  • कुण्डली के सप्तम भाव में  चंद - बुध  की  युति होना भी शादी में थोड़ा बाधाकारक होता ही है। 
  • सप्तमेश का शनि-मंगल और राहू के साथ होने पर वह पीड़ित होता है और विवाह में परेशानी करता है।
  •  सप्तम भाव मे क्रूर ग्रह सूर्य व राहु की युति भी विवाह में बाधाकारक होती है।
  • सप्तम भाव में क्रूर ग्रह हो और उस पर केतु ग्रह की पूर्ण दृष्टि भी शांतिपूर्ण विवाह में बाधा पैदा करती  है।
  •  कुण्डली में शुक्र नीच का और सप्तमेश अस्त हो तो भी विवाह में बाधा उत्पन्न करता है।
  •  लग्न में ग्रहण दोष व सप्तम में क्रूर ग्रह हों तो भी वैवाहिक जीवन में अशांति बने रहने की संभावना बनी रहती हैं।
  •  सुखद वैवाहिक जीवन हेतु कुण्डली मिलान के साथ ही कुण्डली में सप्तमेश,शुक्र व सप्तमस्थ ग्रहों का अध्ययन भी आवश्यक है।
    इति शुभम्

- पं पंकज मिश्रा, अयोध्या पुजारी जानकी महल 

Source : News Nation Bureau

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