हिजाब पहनकर परीक्षा देने के लिए हाईकोर्ट पहले भी दे चुकी है अनुमति
परीक्षाओं की पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के बोर्ड के प्रयास को भी अदालत द्वारा नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
नई दिल्ली:
दूसरे राज्यों के उच्च न्यायालयों ने इससे पहले धार्मिक या पारंपरिक परिधान को पहन कर शिक्षा संस्थान में प्रवेश की अनुमति दे चुकी है. वर्ष 2016 में केरल हाई कोर्ट ने All India Pre Medical Entrance exams (AIPMT) में मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनकर परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी थी. महिलाओं का धार्मिक निषेधाज्ञा के आधार पर पोशाक के चुनाव का अधिकार अनुच्छेद 25 (1) के तहत संरक्षित एक मौलिक अधिकार है, चूंकि पोशाक का ऐसा आदेश धर्म का एक अनिवार्य हिस्सा है. जैसा कि उल्लेख किया गया है कि उस अधिकार को केवल अनुच्छेद 25 (1) के तहत संदर्भित किसी भी परिस्थिति में अस्वीकार किया जा सकता है.
परीक्षाओं की पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के बोर्ड के प्रयास को भी अदालत द्वारा नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. हालांकि, न्यायालय का दृष्टिकोण हमेशा प्रतिस्पर्धात्मक हितों को बिना किसी विरोध या विरोध के सामंजस्यपूर्ण ढंग से समायोजित करने का होता है. निरीक्षक को स्कार्फ हटाने सहित ऐसे सदस्यों की तलाशी लेने की अनुमति देकर बोर्ड के हितों की रक्षा की जा सकती है. जब सीबीएसई ने फैसले को चुनौती दी तो दो न्यायाधीशों की पीठ ने फैसले को बरकरार रखा और कहा कि सीबीएसई ने खुद इस प्रावधान को शामिल किया था कि परंपरागत या धार्मिक पोशाक में आने वाले सदस्यों को उचित तलाशी के लिए सुबह 8:30 बजे तक केंद्र को रिपोर्ट करना चाहिए.
दिल्ली हाईकोर्ट NEET परीक्षा में सिख छात्र को कृपाण और कड़ा पहनने का दे चुका है निर्देश
दिल्ली हाई कोर्ट के डिविजन बेंच ने भी वर्ष 2018 में सीबीएसई को NEET परीक्षा में हिस्सा लेने के लिए एक सिख छात्र को कृपाण और कड़ा पहने का निर्देश दिया था. जबकि वहां के ड्रेस कोड के अनुसार कोई भी धातु की वस्तु अंदर ले जाना वर्जित था. बेंच ने कहा था कि ऐसे छात्र जो धार्मिक ड्रेस पहनकर आते हैं उन्हें परीक्षा से एक घंटा पहले आएं ताकि ये सुनिश्चित की जाए कि कोई भी धातु की वस्तु का दुरुपयोग नहीं हो. हालांकि न्यायालय ने हमेशा से कहा है सिखों को कृपाण रखने और मुस्लिमों को हिजाब पहनने की धार्मिक पंरपरा है. कहीं से भी हेड स्कार्फ को पहन कर परीक्षा सेंटर या कॉलेज में आना किसी बाधा उत्पन्न करती है. ज्यादा से ज्यादा अगर कॉलेज ऑथोरिटीज को लगता है कि ये उचित नहीं है तो ये अनुमति दे कि हेड स्कार्फ यूनिफॉर्म के रंग का ही हो और ऐसे स्टूडेंट्स को परीक्षा हॉल में समय से पहले बुलाकर उनकी चेकिंग कर लें कि कहीं कोई चीटिंग शीट तो नहीं छुपाया हुआ है, लेकिन वो भी मर्यादित तरीके में हों ऐसा न हो कि धार्मिक भावना को ठेस पहुंचे.
(लेखक शिशिर राज उच्चतम न्यायालय में अधिवक्ता हैं.)
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