Gujarat Assembly Election : गुजरात में 27 सालों से सत्ता से बाहर कांग्रेस इस बार बदाम-पॉवर के जरिए बीजेपी को पटकनी देने के रणनीति पर काम कर रही है. अब सवाल उठता है कि आखिर बादाम पावर क्या है? आपको बता दें कि ये बदाम खाने वाले नहीं है. ये बदाम-पॉवर एक सियासी समीकरण है, जिस पर कांग्रेस गुजरात में ग्राउंड लेवल पर फोकस कर ही है. कांग्रेस उम्मीदवारों के चयन में भी इस समीकरण का खासा ध्यान रखा जा रहा है. इसी आधार पर पिछली कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक भी हुई और इसकी रणनीति पर चर्चा की गई. इसके साथ ही कांग्रेस के प्रचार प्रसार और नारों में भी झुकाव इसी समीकरण की ओर रहेगा, लेकिन कांग्रेस का कहना है कि उसके लिए सभी जातियां महत्वपूर्ण हैं.
कांग्रेस नेता आलोक शर्मा ने कहा कि BADAM POWER के आधार पर मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और बाकी बड़े नेताओं के कार्यक्रम बनाए जा रहे हैं. दरअसल, आइये अब डिकोड करते हैं- बदाम पॉवर को.
ब- बैकवर्ड
द- दलित
अ- आदिवासी
म- मुस्लिम
पॉवर- पावरफुल पटेल समुदाय
कांग्रेस का ये नया सियासी समीकरण खाम से अलग है, जिसके जरिये सालों पहले गुजरात में रिकॉर्ड तोड़ सफलता हासिल की थी. ब्राह्मणों के अलावा खाम में शामिल क्षत्रिय समुदाय भी कोर बदाम-पॉवर का हिस्सा नहीं है, जबकि खाम से उलट पटेल समुदाय को इसमें जगह दी गई है. ऐसे में बदाम-पॉवर को पार्टी सार्वजनिक नहीं करेगी, जिससे बदाम-पॉवर में जो समुदाय नहीं है, वो नाराज न हो जाएं.
Source : MOHIT RAJ DUBEY