कुपोषण के कलंक को मिटाने 'मामा मुख्यमंत्री' का महाअभियान
जिस कुपोषण के कलंकित करते आंकड़ों के बोझ तले प्रदेश दबता चला जा रहा था. अब उस भार से उबरने की पुरजोर कोशिशें तेज हो चली हैं. जिसे भावनात्मक भागीदारी की भावुक अपील के जरिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मिटाने का प्लान बना चुके हैं.
नई दिल्ली:
जिस कुपोषण के कलंकित करते आंकड़ों के बोझ तले प्रदेश दबता चला जा रहा था. अब उस भार से उबरने की पुरजोर कोशिशें तेज हो चली हैं. जिसे भावनात्मक भागीदारी की भावुक अपील के जरिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मिटाने का प्लान बना चुके हैं, ताकि लोग आगे आकर जनभागीदारी के जरिए बच्चों को सेहतमंद बनाने में मदद करें. अपनी सहानुभूति भरी सराहनीय सोच से शिवराज ने आंगनबाड़ी केन्द्रों को गोद लेने की अपील तो पहले ही की थी. जिसका सकारात्मक असर भी देखने को मिला और बड़ी संख्या में लोगों ने आंगनबाड़ी केन्द्रों को गोद भी लिया.
जानकार बताते हैं कि प्रदेश में कुल 97 हजार 135 आंगनबाड़ी केन्द्र हैं, जिनके जरिए पोषण कैंपेन चलाया जाता है. मुख्यमंत्री की अपील के बाद इनमें से करीब 80,000 केन्द्रों को गोद लेने की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है, मगर जब उससे भी बात नहीं बनी, तो सीएम शिवराज खुद ठेला लेकर खिलौने और जरूरी सामान जुटाने सड़कों पर निकल पड़े. जिसका ऐसा अप्रत्याशित असर हुआ कि आंगनबाड़ी केन्द्रों के बच्चों के लिए बड़ी संख्या में खिलौनों के साथ जरूरी सामान इकट्ठा हो गया.
इसे लेकर अब सवाल उठता है कि आखिर इससे फायदा क्या होगा? तो कहा जा रहा है कि आंगनबाड़ी केन्द्रों की व्यवस्था और बेहतर होगी. रेगुलर मॉनिटरिंग होने के साथ-साथ बच्चों को बेहतर खाना, खिलौने और अन्य जरूरत का सामान मिल सकेगा. दूर-दराज के इलाकों में भी बेहतर आंगनबाड़ी संचालित हो सकेंगी. इतना ही नहीं जब आंगनबाड़ियों का संचालन जनभागीदारी से होगा तो सरकारी खजाने पर कुछ बोझ भी कम होगा.
दरअसल मुख्यमंत्री की अपील के पहले अब तक होता ये रहा कि दूर दराज के इलाकों में आंगनबाड़ी केन्द्रों में खानापूर्ति होती थी, जिससे सरकार के सुपोषण अभियान को ब्रेक लगता था. जिसका जीता जागता उदाहरण कोरोना काल रहा. जब आंगनबाड़ी केन्द्रों का संचालन बुरी तरह प्रभावित हुआ. जिसने देखते ही देखते कुपोषण के मामले में बढ़ोतरी कर दी.
इसके पीछे कहा ये भी जाता है कि तमाम कोशिशों के बाद भी कुपोषण का कलंक खत्म नहीं हो पा रहा है. खुद नीति आयोग की रिपोर्ट बताती है कि 5 साल से कम उम्र वर्ग में मौत की दर बढ़ी है. 15 से 19 साल तक की लड़कियों में एनीमिया की दर 5 फीसद तक बढ़ी है. शहरी क्षेत्रों में 4.25 फीसदी और ग्रामीण इलाकों में 5 प्रतीशत की बढ़ोतरी हुई है. यही वजह है कि मुख्यमंत्री से इतर प्रदेश के बच्चों के मामा कहलाने वाले शिवराज सिंह चौहान ने अपने भांजे भांजियों की सेहत में सुधार लाने का बीड़ा खुद उठा लिया है.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Moushumi Chatterjee Birthday: आखिर क्यों करियर से पहले मौसमी चटर्जी ने लिया शादी करने का फैसला? 15 साल की उम्र में बनी बालिका वधु
-
Arti Singh Wedding: आरती की शादी में पहुंचे गोविंदा, मामा के आने पर भावुक हुए कृष्णा अभिषेक, कही ये बातें
-
Lok Sabha Election 2024: एक्ट्रेस नेहा शर्मा ने बिहार में दिया अपना मतदान, पिता के लिए जनता से मांगा वोट
धर्म-कर्म
-
Vaishakh month 2024 Festivals: शुरू हो गया है वैशाख माह 2024, जानें मई के महीने में आने वाले व्रत त्योहार
-
Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया पर बनेगा गजकेसरी योग, देवी लक्ष्मी इन राशियों पर बरसाएंगी अपनी कृपा
-
Pseudoscience: आभा पढ़ने की विद्या क्या है, देखते ही बता देते हैं उसका अच्छा और बुरा वक्त
-
Eye Twitching: अगर आंख का ये हिस्सा फड़क रहा है तो जरूर मिलेगा आर्थिक लाभ