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कोरोना के बाद भी 16 महीनों में 58 ‘यूनिकॉर्न’ का जन्म, कहानी इंडिया की यूनिकॉर्न वाली सेंचुरी की 

यूनिकॉर्न बनने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है फंड और कस्टमर एक्विजिशन. बैगैर बेहतर इकोसिस्टम यह संभव नहीं है. इकोसिस्टम मतलब फेयर मार्केट प्लेस और फेयर पॉलिसी. ये सब मिलकर आपको एक अनकूल इकोसिस्टम देते हैं जिसे ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ भी कहा जाता है.

Updated on: 20 May 2022, 09:07 PM

highlights

  • यूनिकॉर्न में अब भारत दुनिया में नंबर तीन पर, कई विकसित देशों से आगे
  • यूनिकॉर्न बनने में फंडिंग की लड़ाई सबसे अहम्, इसमें भारत दुनिया में नंबर एक
  • स्टार्टअप इंडिया का कमाल, 2011 में सिर्फ एक थी यूनिकॉर्न अब पूरे 100

नई दिल्ली:

2021 की जब शुरुआत हुई तो लोगों के मन में एक नया उत्साह था. उस वक्त कोरोना की पहली लहर बीत चुकी थी और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ रही थी. अनुमान लगाया जा रहा था कि ग्रोथ रेट 8 से साढ़े 8 फीसदी तक रह सकती है. लोगों ने राहत की सांस लेनी शुरू कर दी थी. कम स्ट्रेंथ पर ही सही लेकिन बच्चे स्कूलों की तरफ निकल पड़े थे, गली में सब्जी वाले चचा हरी सब्जी खरीद लेने की सुरली आवाज लगाने लग गए थे, तभी अचानक कोरोना की दूसरी और सबसे खतरनाक लहर ने दस्तक दे दी. ऐसा लग रहा था अब दुनिया ही नहीं बचेगी, सबकुछ बिखर सा गया था लेकिन क्या आपको पता है, उसी साल 2021 में भारत में 44 यूनिकॉर्न कंपनियों का जन्म हुआ और इतिहास बन गया. भारत सरकार कि नेशनल इन्वेस्टमेंट फैसिलेशन एंड प्रमोशन एजेंसी यानी इन्वेस्ट इंडिया के मुताबिक भारत ने यूनिकॉर्न के मामले में शतक पूरा कर लिया है. 2011 में देश में सिर्फ एक यूनिकॉर्न कंपनी थी आज इनकी संख्या 100 है. सेंचुरी की कहानी बड़ी दिलचस्प है लेकिन आगे बढ़ने से पहले यह समझ लेते हैं कि यूनिकॉर्न होता क्या है.

स्टार्टअप, इकोसिस्टम और यूनिकॉर्न

यूनिकॉर्न टर्म का इस्तेमाल वेंचर कैपिटल इंडस्ट्री के उन स्टार्टअप कंपनियों के लिए होता है, जिनकी वैल्यूशन 100 करोड़ डॉलर या उससे ज्यादा की हो. अब आप जरा ठहर कर यह सोच सकते हैं कि कोरोना के उस दौर में जब शहर वीरान था, गावों में सन्नाटा था और बाहर मौत का तांडव था, ठीक उसी समय भारत के 44 स्टार्टअप 100 करोड़  डॉलर के क्लब में शामिल हुए लेकिन कैसे? इसके लिए एक शब्द है ‘इकोसिस्टम’. 

भारत ने 2014 के बाद से और खासकर 4-जी आने के बाद से डिजिटल इंडिया के तहत डिजटल मार्केर्ट के इंफ्रास्ट्रक्चर पर जमकर काम किया, केंद्र सरकार ने इंस्टेंट लेन-देन पर जोर दिया और कंपनियों को इंस्टेंट सप्लाई चेन विकसित करने के लिए जरूरी मदद दी गई. इसलिए जब कोरोना में कुछ नहीं दिख रहा था तब भारत के आईटी इंडस्ट्री, फ़ूड इंडस्ट्री और हेल्थ इंडस्ट्री का प्रोड्कट बिक रहा था.

पहले तिमाही में न्यू इंडिया की यूनीकॉर्न वाली सेंचुरी

2022 में इससे खूबशूरत शुरुआत क्या हो सकती है, अभी कैलेंडर ईयर 2022 की दूसरी तिमाही आधी भी नहीं हुई है और अबतक देश में 14 स्टार्टअप यूनिकॉर्न के क्लब में शामिल हो चुके हैं और इसके साथ ही भारत में यूनिकॉर्न की कुल संख्या 100 हो गई है. 2022 में अबतक भारत के स्टार्टअप्स ने 1170 करोड़ डॉलर की वेंचर कैपिटल फंडिंग रेज की है. 

इसमें भी दिलचस्प यह कि भारत सरकार कि नेशनल इन्वेस्टमेंट फैसिलेशन एंड प्रमोशन एजेंसी यानी इन्वेस्ट इंडिया के मुताबिक भारत में पहले यूनिकॉर्न का जन्म 2011 में हुआ था. यानी तब से लेकर अबतक औसतन हर साल देश में 10 यूनिकॉर्न का जन्म हुआ लेकिन स्टार्टअप्स को यूनिकॉर्न बनने का रियल पुश पिछले 16 महीनों में मिला इस दौरान में भारत में 58 यूनिकॉर्न का जन्म हुआ. यानी पिछले 16 महीनों से हर महीने औसतन 3.6 यूनिकॉर्न भारत में जन्म ले रहे हैं.

यूनिकॉर्न में भारत दुनिया के कई विकसित देशों से आगे

ट्रैक्शन के डेटा के मुताबिक़ 2021 में भारत ने 44 यूनिकॉर्न बनाया था जबकि उसी साल इजराइल 42 और चीन सिर्फ 21 यूनिकॉर्न ही बना सका था लेकिन फिलहाल यूनिकॉर्न के मामले में चीन भारत से आगे है उसके पास कुल 217 यूनिकॉर्न हैं. 

हमने ट्रैक्शन और टेक अवीव के डेटा का एनालिसिस किया, इसके मुताबिक भारत में अब इतना पोटेंशियल है कि वह यूनिकॉर्न का ग्लोबल हब बन सकता है. फिलहाल युनोइकॉर्न के मामले में भारत दुनिया में नंबर तीन पर है. अमेरिका इस मामले में नंबर एक पर है, उकसे पास कुल 806 यूनिकॉर्न हैं जबकि चीन 217 यूनिकॉर्न के साथ नंबर दो पर है. हालांकि भारत दुनिया के कई विकसित देशों से आगे है, इजराइल 92 यूनिकॉर्न के साथ नंबर 4 पर, यूके 62 यूनिकॉर्न के साथ नंबर 5 पर, जर्मनी 42 यूनिकॉर्न के साथ नंबर 6 पर, फ्रांस 26 यूनिकॉर्न के साथ नंबर 7 पर, साउथ कोरिया 21 यूनिकॉर्न के साथ नंबर 8 पर और ब्राजील 18 यूनिकॉर्न के साथ दुनिया में नंबर 9 पर है. यह कमाल पिछले 16 महीनों का है, जब कोरोना के दौरान हमने 58 यूनिकॉर्न बना कर यूके, इजराइल, जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों को पीछे छोड़ दिया.  

फंडिंग में भारत दुनिया में सबसे आगे

यूनिकॉर्न बनने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है फंड और फंड तब आता है जब स्टार्टअप के पास आइडिया अच्छा हो. आइडिया अच्छा होने से कस्टमर एक्विजिशन बढ़ता है, जितना कस्टमर एक्विजिशन होगा उतना ज्यादा कंपनी की वैल्यू होगी. साधारण भाषा में समझें तो आपके स्टार्टअप की वैल्यू इस पर निर्भर करती है कि आपके पास कितने पोटेंशियल कस्टमर हैं. इसके अलावा आपके स्टार्टअप की वैल्यू सप्लाई चेन, लॉजिस्टिक्स, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और पीआर पर भी निर्भर करती है. यह सब तब बेहतर हो पाता है जब इकोसिस्टम अच्छा हो. इकोसिस्टम मतलब फेयर मार्केट प्लेस, फेयर और ईजी पॉलिसी, सब्सिडी, गवर्न्मेंट सपोर्ट और स्मूथ बैंक सपोर्ट. ये सब मिलकर आपको एक अनकूल इकोसिस्टम देते हैं जिसे ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ भी कहा जाता है. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक भारत ने इसमें तेजी से तरक्की की है और दुनिया में 63वें नंबर पर है, 2014 में भारत ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में दुनिया के 190 देशों में 134वें नंबर पर था. 

इसकी तस्दीक आंकड़े भी करते हैं. दरसअल, फंड रेज करना स्टार्टअप वर्ल्ड की एक अहम्  लड़ाई है. ट्रैक्शन और टेक अवीव के आंकड़ों के मुताबिक भारत के स्टार्टअप, औसतन फंड रेज करने के मामले में दुनिया में पहले नंबर पर हैं. भारत के स्टार्टअप ने औसतन 90.60 करोड़ डॉलर का फंड रेज किया है. यानी भारत के स्टार्टअप को ग्रो करने के लिए जबरदस्त इकोसिस्टम मिल रहा है. इजराइल इस मामले में नंबर दो पर है, वहां के स्टार्टअप ने औसतन 42.70 करोड़ डॉलर का फंड रेज किया है. सिंगापुर के स्टार्टअप औसतन 33.60 करोड़ डॉलर का फंड रेज कर के नंबर 3 पर, चीन के स्टार्टअप औसतन 29.20 करोड़ डॉलर का फंड रेज कर के नंबर 4 पर, यूके के स्टार्टअप औसतन 26.50 करोड़ डॉलर का फंड रेज कर के नंबर 5 पर, जर्मनी के स्टार्टअप औसतन 21.50 करोड़ डॉलर का फंड रेज कर के नंबर 6 पर, अमेरिका के स्टार्टअप औसतन 19.50 करोड़ डॉलर का फंड रेज कर के नंबर 7 पर, फ्रांस के स्टार्टअप औसतन 16.50 करोड़ डॉलर का फंड रेज कर के नंबर 8 पर, ब्राजील के स्टार्टअप औसतन 14.90 करोड़ डॉलर का फंड रेज कर के नंबर 9 पर और साउथ कोरिया के स्टार्टअप औसतन 5.80 करोड़ डॉलर के फंड रेज कर के दुनिया में नंबर 10 पर हैं. 

वैल्यूशन में भारत के स्टार्टअप दुनिया में नंबर तीन पर

अगर हम वैल्यूएशन की बात करें तो अमेरिका के यूनिकॉर्न इस मामले दुनिया में नंबर एक पर हैं. अमेरिका के कुल यूनिकॉर्न की वैल्यू 1932.4 बिलियन डॉलर है यानी लगभग 2 ट्रिलियन डॉलर का वैल्यूएशन. अमेरिका के अलावा, दुनिया में किसी और देश के कुल यूनिकॉर्न की वैल्यू अभी तक ट्रिलयन को नहीं हिट कर सकी है. चीन इस मामले में नंबर दो पर है, वहां के कुल यूनिकॉर्न की वैल्यू 678.62 बिलियन डॉलर है. भारत इस मामले में नंबर तीन पर है, भारत के कुल यूनिकॉर्न की वैल्यू 331.21 बिलियन डॉलर है. यूके इस मामले में भारत से नीचे यानी नंबर चार पर है, वहां के कुल यूनिकॉर्न की वैल्यू 190.45 बिलियन डॉलर है और जर्मनी के यूनिकॉर्नस वैल्यूएशन के मामले में नंबर पांच पर हैं, जर्मनी के कुल यूनिकॉर्न की वैल्यू 75.12 बिलियन डॉलर है. 

मिशन स्टार्टअप इंडिया का है यह कमाल

स्टार्टअप इंडिया देश की मौजूदा सरकार और प्रधानमंत्री मोदी का महत्वाकांक्षी मिशन है. अपने पहले टर्म से ही प्रधानमंत्री मोदी इस मुद्दे पर काफी फोकस्ड रहे हैं. 2022-23 के बजट में केंद्र सरकार ने स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम के तहत 283.5 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. इसके अलावा फंड ऑफ फंड फॉर स्टार्टअप यानी FFS के तहत 1000 करोड़ का बजटरी एलोकेशन भी किया गया है. 

यह सारे स्टार्टअप जो यूनिकॉर्न हुए हैं या यूनिकॉर्न होने के स्टेज में हैं, उन्हें सरकार ने पॉलिसी से लेकर फंड तक सभी असिस्टेंस दे रही है. भारत में स्टार्टअप के लिए बेहतर इकोसिस्टम तैयार हो पाने में मेक इंडिया मिशन का भी बड़ा योगदान है.