कोरोना संकट ने खोली राज्यों के स्वास्थ्य ढांचे की पोल!

देश में कुल 11 लाख 59 हजार रजिस्टर्ड एलोपैथिक डॉक्टर हैं. भारत सरकार के मुताबिक इनमें से करीब 80 फीसदी डॉक्टर आज भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं. यानी करीब 9 लाख 27 हजार.

author-image
Ravindra Singh
एडिट
New Update
Covid 19

कोरोना वायरस( Photo Credit : सांकेतिक चित्र)

दुनिया के बाकी देशों की तरह देशभर में भी कोरोना का संकट दिनों दिन गहराता जा रहा है. बेशक राज्य सरकारें बेहतर इलाज के दावे कर रही हैं, लेकिन देश के अलग अलग हिस्सों से आने वाली तस्वीरें ना सिर्फ डराती हैं, ​बल्कि मुल्क के स्वास्थ्य ढांचें पर भी गंभीर सवाल खड़े करती हैं.

Advertisment

आदर्श औसत से काफ़ी पीछे भारत
मौजूदा वक्त में देश में कुल 11 लाख 59 हजार रजिस्टर्ड एलोपैथिक डॉक्टर हैं. भारत सरकार के मुताबिक इनमें से करीब 80 फीसदी डॉक्टर आज भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं. यानी करीब 9 लाख 27 हजार. इस हिसाब से देश में 1456 भारतीयों पर 1 डॉक्टर तैनात हैं, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 1000 की आबादी पर 1 डॉक्टर होना चाहिए. वैसे बात इतनी भर होती तब भी चल जाती, लेकिन इतना भर नहीं है. स्वास्थ्य के मोर्चे पर काफी ज्यादा असंतुलन है.

आबादी ज़्यादा, डॉक्टर कम
रजिस्टर्ड डॉक्टर्स के बारे में भारत सरकार ने संसद को जो जानकारी दी, उसके मुताबिक करीब 7 करोड़ की आबादी वाले मध्य प्रदेश में करीब 38 हजार रजिस्टर्ड डॉक्टर्स हैं, जबकि इतनी ही आबादी वाले ​तमिलनाडू में 1 लाख 35 हजार से ज्यादा डॉक्टर हैं! करीब 6 करोड़ की आबादी वाले गुजरात में जहां 67 हजार डॉक्टर हैं, वहीं करीब इतनी ही आबादी वाले कर्नाटक में दोगुने 1 लाख 22 हजार डॉक्टर!

इसी तरह 2 करोड़ की आबादी वाली देश की राजधानी दिल्ली में जहां 21 हजार से ज्यादा डॉक्टर मौजूद हैं, जबकि करीब 2.5 करोड़ आबादी के हरियाणा में महज एक चौथाई केवल 5 हजार रजिस्टर्ड ऐलोपैथिक डॉक्टर! एक तरफ जहां करीब 12 करोड़ आबादी वाले महाराष्ट्र में 1 लाख 73 हजार डॉक्टर तैनात हैं जबकि इससे दोगुनी आबादी वाले उत्तर प्रदेश में इससे आधे से भी कम केवल 77 हजार रजिस्टर्ड एलोपैथिक डॉक्टर मौजूद हैं, जबकि डॉक्टर्स की संख्या के मामले में होना इसका उल्टा चाहिए था!

बेशक स्वास्थ्य ढांचे की इस भयंकर असमानता के लिए किसी एक दल या सरकार को दोष नहीं दिया जा सकता, लेकिन कोरोना संकट के बीच उम्मीद जरूर पैदा होती है कि हमारे नीति निर्माता आने वाले वक्त में सेहत के मोर्चे पर ईमानदारी बरतेंगे. 'खासकर तब जबकि संविधान के मुताबिक स्वास्थ्य राज्यों की पहली जिम्मेदारी है'.

Source : News Nation Bureau

covid-19 One Doctor on 1456 Indians State Government HPCommonManIssue corona-virus Anurag Dixit
      
Advertisment