संतान और संतान का भविष्य
जन्मकुंडली का पांचवा भाव संतान का होता है, संतान का कारक ग्रह बृहस्पति है. कुंडली के पंचम भाव में बैठे ग्रह, पंचम भाव के स्वामी से सम्बन्ध बनाने वाले ग्रह, पंचम भाव के स्वामी की स्थिति, संतान और संतान संबंधी फलादेश में सहायक होती है.
नई दिल्ली:
जन्मकुंडली का पांचवा भाव संतान का होता है, संतान का कारक ग्रह बृहस्पति है. कुंडली के पंचम भाव में बैठे ग्रह, पंचम भाव के स्वामी से सम्बन्ध बनाने वाले ग्रह, पंचम भाव के स्वामी की स्थिति, संतान और संतान संबंधी फलादेश में सहायक होती है. यथा: संतान गुणी होगी, भविष्य में अपने जीवन में सफल होगी या नही, संतान का जीवन कैसा होगा? कुल-परिवार का नाम रोशन करेगी या नही आदि? यह सब जानने के लिए कुंडली का पांचवा भाव, पंचमेश, संतान कारक गुरु और इनसे सम्बन्ध बनाने वाले ग्रहो के साथ ही 11वे भाव में बैठे ग्रहो से संतान का क्या भविष्य आदि होगा की जानकारी प्राप्त की जा सकती है ,11वे भाव में बैठे ग्रहो की पूर्ण सातवीं दृष्टि 5वें भाव पर होती है, इस कारण 11वे भाव में बैठे ग्रह भी उतना ही संतान के लिए प्रभाव देते है जितना 5वें भाव में बैठे ग्रह.
पंचमेश के साथ या पंचम भाव में शुभ योगो का बनना संतान पक्ष से शुभ फल दिलाता है. यदि ज्यादा मात्रा में पंचमेश के साथ या पंचम भाव में अशुभ योग है तब संतान का पूर्ण जीवन ही संघर्ष बहुत माध्यम बीतेगा. इसके अलावा सप्तमांश कुंडली से भी संतान की स्थिति देखी जातीहै यदि सप्तमांश कुंडली में अनुकूल और शुभ ग्रह योग है तो संतान के भविष्य, आदि के लिए शुभ संकेत है और यदि लग्न कुंडली सहित सप्तमांश कुंडली में भी अनुकूल ग्रह स्थिति और योग नही है तो संतान का भविष्य और जीवन कुंडली में ग्रहो की स्थिति के अनुसार, सामान्य रहेगा. वैसे जातक विशेष की कुंडली के ग्रह तथा अन्य ग्रहों की स्थिति भी फलकथन को प्रभावित करते हैं.
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