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बिहार के नए नए राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर की क्या हैं चुनौतियां

केंद्र सरकार ने रविवार को 13 प्रदेश में नए राज्यपालों की नियुक्ति कर दी. इसमें राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर का नाम भी शामिल है

Updated on: 15 Feb 2023, 05:07 PM

highlights

  • बिहार में कास्ट पॉलिटिक्स हावी है 
  • बीजेपी नीतीश कुमार को चारों तरफ से घेरना चाहती है
  • फागू चौहान को बिहार से मेघालय भेजकर एक तरीके से डिमोट किया गया है.

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने रविवार को 13 प्रदेश में नए राज्यपालों की नियुक्ति कर दी. इसमें राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर का नाम भी शामिल है जिन्हें फागू चौहान की जगह बिहार का नया राज्यपाल बनाया गया है.आर्लेकर अभी तक हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल थे. बिहार में उनकी नियुक्ति प्रमोशन के तौर पर देखी जा रही है. वहीं, राजनीतिक जानकारों की मानें तो, चौहान को बिहार से मेघालय भेजकर एक तरीके से डिमोट किया गया है. जबकि, आर्लेकर को हिमाचल जैसे छोटे राज्य से बिहार भेजकर प्रमोट किया गया है. 68 वर्षीय आर्लेकर को नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब एक साल बाद लोकसभा चुनाव और 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव होने हैं. 

 बता दें कि, प्रदेश में लोकसभा की 40 सीट है और बीजेपी के लिहाज से बिहार अति महत्वपूर्ण है. ऐसे में नए राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के सामने कई चुनौती भी है. बिहार में कास्ट पॉलिटिक्स हावी है और आर्लेकर पिछड़ी जातीय से आते हैं. राज्य में 26 फीसदी ओबीसी और 26 फीसदी ईबीसी का वोट बैंक है. बीजेपी आर्लेकर के जरिए राज्य में पिछड़ी जातीयों के अपने पक्ष में लामबंद करना चाहती है. 

दूसरा, बिहार के विश्वविद्यालयों में हुए भष्टचार ने पटना से लेकर दिल्ली तक सूर्खियां बटोरी, कई कुलपतियों को जेल जाना पड़ा और कई ने राजभवन पर आरोप लगाकर इस्तीफा दिया. इससे राजभवन की साख पर सवाल उठने लगे हैं. बीजेपी के कई नेताओं ने बकायदा यूनिवर्सिटी के मसले पर कार्रवाई की मांग की.

बीजेपी नीतीश कुमार को चारों तरफ से घेरना चाहती है. ऐसे में राजभवन और सरकार के बीच का तालमेल कैसे होगा, ये भी आर्लेकर के लिए बड़ी चुनौती है. विपक्ष गैर-बीजेपी शासित राज्यों में लगातर राजभवन की कार्यशैली को लेकर सवाल उठाता रहा है. हालांकि, नीतीश कुमार पहले ही कह चुके हैं कि हमें फागू चौहान से कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन अब नए राज्यपाल किस तरीके नीतीश कुमार कैसे तालमेल बना पाएंगे, ये देखना दिलचस्प होगा.

इसके अलावा, यूनिवर्सिटी में कुलपतियों की नियुक्ति, उच्च शिक्षा व्यवस्था में सुधार, बिगड़ी कानून-व्यवस्था पर निगाह सहित तमाम ऐसे मसले हैं जिससे नव नियुक्त राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर को निपटना है. हालांकि, राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर का लंबा राजनीतिक अनुभव है और पहले भी कई संवैधानिक पदों पर रह चुके हैं लेकिन बिहार जैसे राज्य में जहां केंद्र और राज्य सरकार के बीच तनातनी है वो क्या और कैसे सामंजस्य बैठा पाएंगे ये तो अब आने वाला समय ही बता पाएगा.