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अखिलेश यादव ने सरकार को घेरने की कोशिश में असंसदीय भाषा का प्रयोग किया

कहते हैं शब्दों का इस्तेमाल बहुत सोच समझ कर करना चाहिए, क्योंकि हमारे कहे शब्द कई बार हमारी पहचान बन जाते हैं और यही शब्द हमारा नुकसान भी कर जाते हैं.

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Deepak Pandey
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Akhilesh Yadav

अखिलेश यादव( Photo Credit : File Photo)

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कहते हैं शब्दों का इस्तेमाल बहुत सोच समझ कर करना चाहिए, क्योंकि हमारे कहे शब्द कई बार हमारी पहचान बन जाते हैं और यही शब्द हमारा नुकसान भी कर जाते हैं. कुछ ऐसा ही समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के साथ भी हो गया, जिन्होंने सरकार को घेरने की कोशिश में असंसदीय भाषा का प्रयोग किया. अखिलेश यादव ने सदन में मर्यादा को भूलते हुए जिस तरह के बयान दिए. उससे कई सवाल उठते हैं.

जैसे- क्या अखिलेश हार की खीज निकाल रहे हैं? अखिलेश यादव ने ताक पर मर्यादा रख दी? सदन में अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल क्यों? सैफई के नाम क्यों सुलग गए समाजवादी? हारकर इतनी अकड़, तो जीत पर क्या हाल होता? सदन की कार्यवाही का तीसरा दिन था. सवाल जवाबों का सिलसिला जारी थी. इसी बीच डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने अखिलेश को लेकर एक तंज कसा. बस इतना ही कहा कि क्या सरकार ने सैफई की ज़मी बेच दी? 

डिप्टी सीएम का इतना कहना भर था कि माननीय ने मर्यादा को ताक पर रख दिया, तिलमिला कर उठे अखिलेश ने जवाब देने के बीच भाषा का ख्याल भी न रहा...तू तड़ाक पर उतर आए...लेकिन इस तरह के बयान पर क्या अखिलेश को अफसोस है? बयान पर अफसोस दिखा...न शब्दों पर शर्म...मननीय का रवैया वही है...कि होता है...चलता है...हो जाता है...लेकिन अखिलेश ने जब सदन में मर्यादा को लांघा...तो सीएम ने रवैय्ये पर आपत्ति जताई...कड़े शब्दों में ये संदेश दिया...कि इस तरह के बयानो को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा...सदन में अखिलेश के कहे शब्दों पर बीजेपी भी अखिलेश को छोड़ने के लिए तैयार नहीं...

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से लेकर जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह तक...बीजेपी के बड़े चहरों ने अखिलेश के बयानों पर उनको आड़े हाथों लिया... हंगामे के इरादे में माननीय मर्यादा को भूल बैठे...विरोध था...या हार पर पनप रहा क्रोध...ये तो अखिलेश की जानें...लेकिन अखिलेश के इस बयान ने उनको सवालों में ज़रूर खड़ा कर दिया है...

Source : Ashish Pandey

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