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वायु प्रदूषण ले रहा हर 5 मिनट में एक बच्चे की जान

देश में हर 5 मिनट में एक बच्चे की मौत वायु प्रदूषण के कारण होती है. वायु प्रदूषण से 1 लाख 16 हजार बच्चों की मौत जन्म के पहले महीने में हो गई. जानकारी के मुताबिक अमेरिकी बच्चों के मुकाबले दिल्ली के बच्चों के फेफड़े छोटे होते हैं.

Updated on: 22 Dec 2021, 07:11 PM

नई दिल्ली:

Air pollution : दिल्ली-एनसीआर में एक तरफ गिरता तापमान परेशानी खड़ी कर रहा है तो दूसरी तरफ प्रदूषण का जहर जिंदगी पर भारी पड़ रहा है. दिसंबर का महीना खत्म होने वाला है, लेकिन दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का खतरनाक स्तर लगातार बना हुआ है. राजधानी में 20 दिन पहले जितना प्रदूषण था, उतना ही प्रदूषण फिर रिकॉर्ड किया गया है. दिल्ली में AQI 399 रिकॉर्ड किया गया, जोकि प्रदूषण के खतरनाक लेवल से ऊपर है.

वायु प्रदूषण कितना घातक? 

2019 के आंकड़ों के मुताबिक देश में हर 5 मिनट में एक बच्चे की मौत वायु प्रदूषण के कारण होती है. वायु प्रदूषण से 1 लाख 16 हजार बच्चों की मौत जन्म के पहले महीने में हो गई. जानकारी के मुताबिक अमेरिकी बच्चों के मुकाबले दिल्ली के बच्चों के फेफड़े छोटे होते हैं. 2019 में वायु प्रदूषण के कारण देश में 10 लाख 67 हजार लोगों की मौत हो गई थी. मतलब कुल मौत में से 18 प्रतिशत मौत वायु प्रदूषण की वजह से हुई. वायु प्रदूषण के कारण लोगों की औसत उम्र भी लगातार घट रही है.

रिसर्च के मुताबिक, दिल्ली वालों की उम्र औसतन 10 साल घट रही है. वहीं उत्तर भारत में लोगों की उम्र औसतन 7 साल कम हो चुकी है. रिसर्च से पता चला है कि दिल्ली की आबोहवा में सांस लेना मतलब एक दिन में 15-20 सिगरेट पीना. हाल के कुछ सालों के आंकड़ों से पता चलता है कि पहले सिगरेट पीने वालों के फेफड़ों पर काले रंग की परत छाई रहती थी, लेकिन अब जो लोग सिगरेट नहीं पीते हैं उनके फेफड़ों पर भी काले रंग की परत दिखने लगी है.

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में हर तीसरे बच्चे के फेफड़े खराब हैं. दिल्ली एम्स के मुताबिक बच्चों को साफ ऑक्सीजन नहीं मिलने से उनके फेफड़ों का पूरा विकास नहीं हो पा रहा है. यूनिसेफ के मुताबिक वायु प्रदूषण छोटे बच्चों के मानसिक विकास को प्रभावित कर सकता है.

अर्थव्यवस्था पर वायु प्रदूषण की चोट

फिक्की की रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण के कारण देश को सालाना 7 लाख करोड़ का नुकसान होता है. ये आंकड़ा कुल टैक्स कलेक्शन का 50 प्रतिशत है, जबकि देश के हेल्थ बजट का 150 प्रतिशत से ज़्यादा है. सालाना 7 लाख करोड़ का नुकसान होने का मतलब है देश की जीडीपी का 3 प्रतिशत पैसा बर्बाद हो जाना. मतलब वायु प्रदूषण न सिर्फ सेहत के लिए खतरा बन रहा है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पर भी चोट कर रहा है.