जनसंख्या नियंत्रण कानून (Population Control Law) को लेकर देश भर में अब एक नई बहस शुरू हो गई. हालांकि पीएम मोदी भी इसे आवश्यक बता चुके हैं, लेकिन क्या जनसंख्या नियंत्रण के लिए 2 चाइल्ड पॉलिसी कामयाब होगी. अगर भारत की बात करें तो बिना जनसंख्या नियंत्रण कानून (Population Control Law) के ही अधिकतर परिवार 2 चाइल्ड पॉलिसी के हिसाब से ही चल रहे हैं. बहुत सारे परिवार तो अब 'हम दो हमारा एक' पर आ गए हैं, फिर सबसे बड़ा सवाल ये है कि भारत के लिए 2 चाइल्ड पॉलिसी बेहतर होगा कि वन चाइल्ड पॉलिसी?
सबसे पहले बात करते हैं आंकड़ों की नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे यानी NFHS के 2015-16 के आंकड़ों को देखें तो जनसंख्या प्रति महिला 2.2 के करीब आ चुकी है. 2005-06 में यह 2.7 थी. यानी पहले की तुलना में अब प्रजनन दर में गिरावट आयी हैं.
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शहरी औरतों में यह दर 1.8 बच्चा प्रति महिला है जबकि ग्रामीण महिलाओं में 2.4. प्रजनन दर सिक्किम में सबसे कम 1.2 जबकि बिहार में सबसे ज्यादा 3.4 है. यानी बिना किसी कानून के ही शहरों में जनसंख्या नियंत्रण चल रहा है, इसकी वजह चाहे स्कूलों की फीस हो या कोई और पर 2 चाइल्ड पॉलिसी यहां तो कामयाब होने से रहा.
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अगर धर्मों के अनुसार ये आंकड़े देखें तो हिंदुओं में प्रजनन दर 2.1 है और मुस्लिमों में 2.6. अगर 1992-93 में प्रति महिला 3.8 बच्चों का औसत था. यानी करीब 30 सालों में ये संख्या करीब 1.4 कम हुई है. अच्छी बात ये है कि हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों में बच्चे पैदा करने की संख्या का अंतर घटा है.यानी दोनों ही समुदायों ने जनसंख्या नियंत्रण करने में अपना योगदान दिया है. 1992-93 में ये अंतर सबसे अधिक 33.6 फीसदी था, जो करीब 30 वर्षों में 23.8 फीसदी हो गया है.
1 चाइल्ड पॉलिसी ही एक मात्र उपाय
130 करोड़ की आबादी वाले इस देश में अगर 2 चाइल्ड पॉलिसी लागू हो भी गई तो इससे उसे अपेक्षित लाभ नहीं मिलने वाला. चीन इसका उदाहरण है. चीन ने 1970 में टू चाइल्ड पॉलिसी लागू की थी. चीन की आबादी करीब 97 करोड़ थी. बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने के लिए चीन को अपनी इस पॉलिसी में 9 साल बाद ही बदलाव करना पड़ा.
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1979 में उसे वन चाइल्ड पॉलिसी लागू करना पड़ा. चीनी सरकार के वन चाइल्ड पॉलिसी से चीन ने करीब 40 करोड़ बच्चों को पैदा होने से रोका, जिसने जनसंख्या नियंत्रण में मदद की. यानी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों को देखें तो जनसंख्या पर प्रभावी नियंत्रण वन चाइल्ड पॉलिसी से होगा.
(ये लेखक के अपने निजी विचार हैं)
Source : Drigraj Madheshia