देश में Omicron का तनाव, क्या टलेंगे चुनाव?
देश ने इस साल कोरोना की दूसरी लहर को झेला है. दूसरी लहर के कहर से उबरने में 4-5 महीने लग गए. अब तीसरी लहर की आहट सुनाई देने लगी है.
:
चुनावी रैलियों में भीड़ की तस्वीरों से अब भय होने लगा है. चुनावी रैलियों में इस जनसैलाब को देखकर नेता भले ही मुस्कुरा रहे हों पीठ थपथपा रहे हों, लेकिन डर है कि कहीं ये भीड़ ओमिक्रॉन का सुपर स्प्रेडर ना बन जाए. क्या इन चुनावी सभाओं के शोर में कोरोना की तीसरी लहर अंगड़ाई ले रही है. एक अजब विरोधाभास है क्या ये मज़ाक है एक तरफ अलर्ट है पाबंदी है दूसरी तरफ रैली है.
दिन में रैली, रात में पाबंदी ऐसे कैसे कंट्रोल होगा ओमिक्रॉन?
देश ने इस साल कोरोना की दूसरी लहर को झेला है. दूसरी लहर के कहर से उबरने में 4-5 महीने लग गए. अब तीसरी लहर की आहट सुनाई देने लगी है. रैली की तस्वीरों को देखकर यही लगता है कि सियासी दलों के समर्थक जोश में होश खो रहे हैं. हालात ऐसा हो चुके हैं कि कोर्ट को दखल देना पड़ रहा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट अपील कर रहा है कि चुनाव को टाला जाए, रैलियों पर पाबंदी लगे, चुनाव प्रचार टेलीविजन और अखबारों के जरिए हो लेकिन रैलियां जारी हैं.
हाईकोर्ट की तरफ से ये क्यों कहा जा रहा है कि रैलियों की तस्वीरों के देखकर समझना मुश्किल नहीं है. मास्क नहीं, सोशल डिस्टेंसिंग नहीं, किसी को कोई फिक्र नहीं, कोई टेस्टिंग नहीं, कोई उम्र की सीमा नहीं, वैक्सीनेशन की कोई गारंटी नहीं. सवाल ये कि ऐसी ही तमाम सियासी दलों की रैलियों में जुटी ये भीड़ ओमिक्रॉन को न्योता नहीं तो क्या है? जो लोग भीड़ का हिस्सा हैं, उन्हें शायद इस बात का एहसास नहीं है कि वो किस खतरे की जद में है.
जम्हूरियत का जश्न ठीक है लेकिन जिन्दगी सबसे बड़ी है. जब हालात बिगड़ रहे हैं तो इन्हें रोकने की जिम्मेदार भी उन झंडाबरदरों की है जो इन्हें जुटाने के लिए पसीना बहाते हैं. सवाल है कि ज़िंदगी ज़रूरी या सियासी जीत? क्या टाले जाने चाहिए चुनाव? चुनाव प्रचार का तरीका क्यों ना बदला जाए? इसकी शुरुआत इस चुनाव से हो जाए तो क्या बुराई है.
ओमिक्रॉन हिन्दुस्तान में तेजी फैल रहा है. दुनिया के कई देशों में ये कहर बरपाने लगा है. आंकड़ों पर गौर करें तो ओमिक्रॉन के पहले केस को डिटेक्ट हुए एक महीना हो चुका है. 24 नवंबर 2021 को ओमिक्रॉन का पहला केस डिटेक्ट हुआ था. 26 नवंबर 2021 को WHO ने ओमिक्रॉन को वेरिएंट ऑफ कनसर्न बताया था. अब ओमिक्रॉन के केस दुनिया के 109 देशों में फैल चुका है. ओमिक्रॉन की रफ्तार पूरी दुनिया के लिए चिंता का सबब है.
अमेरिका में 3 हफ्तों में ओमिक्रॉन केस 0.7% से 73% पहुंच चुका है. यूके में 10 दिन में ओमिक्रॉन केस 23% से बढ़कर 81% हो चुका है. दक्षिण अफ्रीका में दो महीने में ओमिक्रॉन केस 0.1% से 100% हो चुका है. ओमिक्रॉन पर यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन की रिपोर्ट भी चिंता बढ़ाने वाली है. इस रिपोर्ट के मुताबिक तीन महीने में पूरी दुनिया में 3 अरब कोरोना के मामले सामने आएंगे. दुनिया की 40% आबादी कोरोना की जद में होगी. इसमें सबसे बड़ी वजह ओमिक्रॉन के केस की होगी.
सियासी रैलियों में जो हुजूम जुटता है, जो भीड़ होती है, या यूं कहें जो पब्लिक होती है, उसकी याददाशत बहुत कमजोर होती है. जो लोग दूसरी लहर की उन खौफनाद यादों को भूल चुके हैं, जब कोरोना लाशें बिछा रही थीं, उन लोगों को याद दिलाना जरूरी है कि जिन रैलियों में आप शामिल हो रहे हैं, वो कोरोना फैलाने में बड़ी भूमिका निभा सकती है.
उत्तर प्रदेश में इसी साल अप्रैल-मई में कोविड की दूसरी लहर के बीच पंचायत चुनाव को कौन भूल सकता है. चार चरणों में हुए पंचायत चुनाव के बाद यूपी के ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण तेजी से फैला था. बंगाल में भी विधानसभा चुनाव के बाद वही हुआ था .बंगाल में चुनाव के बाद भी कोरोना के आंकड़ों में जबरदस्त इजाफा हुआ था. एक बार फिर वही स्थिति ओमिक्रॉन के आहट से पूरी दुनिया कांप रही है.
हिन्दुस्तान को लेकर भी भविष्यवाणी अच्छी नहीं है. अलग-अलग आंकड़ों बताए जा रहे हैं. तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है. नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक अगर हिन्दुस्तान में ब्रिटेन जैसे हालात हुए तो देश में रोजाना 14 लाख तक केस आ सकते हैं. इसके अलावा आईआईटी की रिपोर्ट कहती है कि जनवरी 2022 में देश में तीसरी लहर आ सकती है. यही वजह है कि सतर्कता बरती जा रही है पाबंदियां लगाई जा रही हैं.
यूपी में नाइट कर्फ्यू लगाने के संबंध में खुद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने ट्विट किया था. योगी आदित्यनाथ लगातार प्रदेश के दौरे पर हैं और लोगों को सतर्क रहने की भी नसीहत दे रहे हैं. नाइट कर्फ्यू एमपी में भी लगाया गया है. एमपी में पंचायत चुनाव है और इस संबंध में सरकार की तरफ से बड़ा संकेत दिया जा रहा है. चुनाव लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन लोगों की जिंदगी महफूज रहे ये ज्यादा जरूरी है. क्या दूसरी लहर से सबक लेते हुए कुछ दिनों के लिए आगामी चुनावों को टाल देना चाहिए. ये मांग इसलिए उठ रही है क्योंकि विदेशों से पाबंदियों की खबरें आ रही हैं.
लगातार दूसरे साल यूरोप में क्रिसमस के मौके पर इस तरह सन्नाटा नजर आ रहा है. कई देशों में क्रिसमस और न्यू ईयर के मौके पर पाबंदी लगाई गई है. डेनमार्क में सिनेमा थियेटर और म्यूजियम बंद हैं, नॉर्वे में आंशिक लॉकडाउन है, दक्षिण अफ्रीका में लेवल एक का प्रतिबंध लगा है, कई देशों ने दक्षिण अफ्रीका पर प्रतिबंध ट्रैवल बैन लगाया गया है, नीदरलैंड्स में 14 जनवरी तक लॉकडाउन है, अमेरिका में अलग-अलग राज्यों में पाबंदियां लगी हैं.
भारत के अलग-अलग राज्यों में भी अपने तरीके से पाबंदी लगाई जा रही है. दिल्ली में क्रिसमस-न्यू ईयर सेलिब्रेशन पर रोक लगाई गई है. दिल्ली से सटे नोएडा में धारा 144 लागू है. महाराष्ट्र में भी नए सिरे से पाबंदी का फैसला लिया गया है. सरकार सख्ती बरत रही है लेकिन लोगों की लापरवाही लगातार सामने आ रही है. देश में ओमिक्रॉन के केस 400 के पार पहुंच चुके हैं. डर एक और बात की है अगर तीसरी लहर आई तो क्या हमारा हेल्थ सिस्टम उसे झेल पाएगा. दूसरी लहर के दौरान हेल्थ इंफ्रास्ट्रचर पर दबाव को देश ने देखा. सरकारें तीसरी लहर के लिए बड़ी तैयारियों का दावा कर रही हैं, लेकिन क्या वाकई तैयारी मुकम्मल है.
WHO के मानकों के मुताबिक, 1000 लोगों पर एक डॉक्टर होना चाहिए. हिन्दुस्तान में 1404 लोगों पर एक डॉक्टर है. जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, उनके आंकड़ों की बात करें तो यूपी में 2365 लोगों पर एक डॉक्टर है. उत्तराखंड में 1069 लोगों पर एक डॉक्टर है, वहीं पंजाब में 483 लोगों पर एक डॉक्टर है. कोरोना की पिछली लहरों में ये देखा गया है कि पश्चिमी देशों की अच्छी से अच्छी व्यवस्था भार को झेल नहीं पाती है. हिन्दुस्तान में जानकारों की यही कहना है कि तीसरी लहर की नौबत नहीं आए इसी दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए. चुनावी रैलियों को कुछ दिनों के लिए टालना इस दिशा में सार्थक कदम हो सकता है.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Kajol Workout Routine: 49 की उर्म में ऐसे इतनी फिट रहती हैं काजोल, शेयर किया अपना जिम रुटीन
-
Viral Photos: निसा देवगन के साथ पार्टी करते दिखे अक्षय कुमार के बेटे आरव, साथ तस्वीरें हुईं वायरल
-
Moushumi Chatterjee Birthday: आखिर क्यों करियर से पहले मौसमी चटर्जी ने लिया शादी करने का फैसला? 15 साल की उम्र में बनी बालिका वधु
धर्म-कर्म
-
Vikat Sanakashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कब? बस इस मूहूर्त में करें गणेश जी की पूजा, जानें डेट
-
Shukra Gochar 2024: शुक्र ने किया मेष राशि में गोचर, यहां जानें किस राशि वालों पर पड़ेगा क्या प्रभाव
-
Buddha Purnima 2024: कब है बुद्ध पूर्णिमा, वैशाख मास में कैसे मनाया जाएगा ये उत्सव
-
Shani Shash Rajyog 2024: 30 साल बाद आज शनि बना रहे हैं शश राजयोग, इन 3 राशियों की खुलेगी लॉटरी