Gujarat Election Results: BJP ने इन 7 सीटों पर दर्ज की पहली जीत, हमेशा मिलती थी हार
जी हां, नरेंद्र मोदी और भूपेंद्र पटेल की अगुवाई में बीजेपी ने बोरसाड (आणंद जिला), झगडिया (भरुच जिला), व्यारा (तापी जिला) , गरबडा (दाहोद), महुधा (खेड़ा जिला), अंक्लव (आणंद जिला), धनलिमडा (अहमदाबाद जिला) सीटों पर जीत दर्ज की है. इन सीटों पर बीजेपी...
highlights
- बीजेपी ने आदिवासी सीटों पर दर्ज की जीत
- 7 सीटों पर बीजेपी ने भारी अंतर से जीत दर्ज की
- बीजेपी ही नहीं, जनसंघ भी नहीं जीत पाई थी ये सीटें
अहमदाबाद/नई दिल्ली:
Gujarat Election Results: गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. यहां ऐसा करिश्मा हुआ है, जो पहले किसी लोकतांत्रिक देश में नहीं हुआ. गुजरात में 27 सालों से अपराजेय बीजेपी का विजय रथ इस बार सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर चुका है. इस बार बीजेपी ने 188 सीटों में से 156 सीटें जीत ली हैं, जो एक नया रिकॉर्ड है. गुजरात की जनता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में धन्यवाद भी कहा. इस चुनावी जीत में बीजेपी ने 7 ऐसी सीटों पर जीत दर्ज की है, जिसपर वो कभी नहीं जीती थी. फिर चाहे वो केशुभाई पटेल का दौर रहा हो, या अपराजेय नरेंद्र मोदी का दौर. फिर उसके बाद के दौर में भी बीजेपी इन सात सीटों पर कभी जीत नहीं दर्ज कर पाई थी, भले ही नरेंद्र मोदी गुजरात से निकलकर देश के प्रधानमंत्री बन गए हों.
इन 7 सीटों पर पहली बार जीती बीजेपी
जी हां, नरेंद्र मोदी और भूपेंद्र पटेल की अगुवाई में बीजेपी ने बोरसाड (आणंद जिला), झगडिया (भरुच जिला), व्यारा (तापी जिला) , गरबडा (दाहोद), महुधा (खेड़ा जिला), अंक्लव (आणंद जिला), धनलिमडा (अहमदाबाद जिला) सीटों पर जीत दर्ज की है. इन सीटों पर बीजेपी ही नहीं, उसकी पूर्ववर्ती जनसंघ भी कभी जीत दर्ज नहीं कर पाई थी. ऐसी क्या खास बात थी कि इन सीटों पर बीजेपी को कभी जीत नहीं मिली? और ऐसी क्या बात हुई कि इस बार बीजेपी ने सभी पूर्वानुमानों को धता बताकर रिकॉर्ड सीटें जीत ली हैं. इन विषयों पर चर्चाएं होती रहेंगी. राजनीतिक दल अपनी तरफ से गुणा-भाग भी करेंगे. लेकिन हकीकत अब यही है कि इन सात सीटों पर बीजेपी को पहली जीत मिल चुकी है.
क्या है इन सीटों पर जीत की वजह?
बीजेपी ने जिन बोरसाड (आणंद जिला), झगडिया (भरुच जिला), व्यारा (तापी जिला) , गरबडा (दाहोद), महुधा (खेड़ा जिला), अंक्लव (आणंद जिला) और धनलिमडा (अहमदाबाद जिला) विधानसभी सीटों पर पहली जीत दर्ज की है. उनमें एक बात कॉमन है कि इन सीटों पर आदिवासी और दलित वोटर सबसे ज्यादा हैं. ये वोटर बीजेपी से दूरी बनाए रखते थे. लेकिन इन सीटों पर बाकी मतदाता बीजेपी के पक्ष में वोट करते थे. इन सीटों पर ऐसा भी नहीं है कि मुसलमान फैक्टर कभी हावी रहा हो. फिर भी अभी तक बीजेपी का नहीं जीत पाया आश्चर्य की ही बात थी. तो जान लीजिए कि इस बार बीजेपी के विपक्षी वोट बुरी तरह से बंट गए. अगर ये चुनाव भी सिर्फ दो पार्टियों में हो रहा होता, तो बीजेपी को नुकसान होता. लेकिन आम आदमी पार्टी की मौजूदगी कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा जहर बन गई. मैं ये नहीं कहता कि आम आदमी पार्टी ने ही कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया, लेकिन जमीन पर देखें तो गुजरात में आम आदमी पार्टी ने जिन वोटर्स को टारगेट किया, वो वोटर दोनों ही पार्टियों में हैं. आम आदमी पार्टी को 12 फीसदी के करीब वोट मिलना ये दिखाता भी है कि उसे सभी तबके के वोट मिले हैं. लेकिन कांग्रेस की खस्ता हालत की वजह से वोटर आम आदमी पार्टी की तरफ भी नहीं गए. क्योंकि आम आदमी पार्टी उनके लिए नयी पार्टी है, जो उनकी नजर में अब भी कांग्रेस नहीं है. ऐसे में कांग्रेस की संभावित हार से परेशान उसका कॉडर वोट इस बार बीजेपी की तरफ चला गया, तो अंतत: बीजेपी की रिकॉर्ड जीत की वजह बना.
कुछ ऐसा रहा मत प्रतिशत
गुजरात में बीजेपी को 52.50 फीसदी के करीब वोट मिले हैं. वहीं, कांग्रेस को ठीक आधे ही वोट मिले, जबकि आम आदमी पार्टी को कांग्रेस के आधे से भी काम वोट मिले. ऐसे में सीधा मतलब ये है कि भले ही कांग्रेस आम आदमी पार्टी को अपनी हार की वजह बताए, लेकिन हकीकत ये है कि कांग्रेस खुद से हारी है. वो अपने वोट अपने पास नहीं रख पाई. आम आदमी पार्टी को अधिकतर वोट कांग्रेस से नाराजगी के नहीं, बल्कि बीजेपी की नाराजगी से मिले हैं. जबकि कांग्रेस के वोटर खुद बीजेपी की तरफ शिफ्ट हुए. इसकी एक वजह बीजेपी का सही मुद्दों, सही नेताओं पर दांव खेलना भी रहा. ऐसे में कांग्रेस को महज 17 सीटों पर सिमटने की वजहों को तलाशना होगा और ये देखना होगा कि जिन 7 विधानसभा सीटों पर बीजेपी को पहली बार जीत मिली है, उस तरह की कितनी सीटों पर पिछली बार कांग्रेस जीती थी. पिछले चुनाव में कांग्रेस को आदिवासी बहुल 15 सीटों पर जीत मिली थी, तो बीजेपी को महज 4-5 सीटों पर. लेकिन इस बार कांग्रेस का प्रदर्शन खुद बता रहा है कि वो कहां चूक गई और बीजेपी कहां आगे निकल गई.
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