मुंबई, 11 जून (आईएएनएस)। शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता आनंद दुबे ने बुधवार को कई अहम मुद्दों पर बेबाक राय रखी। उन्होंने विदेश दौरे पर गए सांसदों के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की सराहना की, तो वहीं पाकिस्तान पर जुबानी हमला बोलते हुए भारत की कूटनीति पर सवाल उठाए।
समाचार एजेंसी आईएएनएस से खास बातचीत में आनंद दुबे ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद जब भारत का प्रतिनिधिमंडल विदेश गया तो उसने साफ तौर पर पूरी दुनिया को यह संदेश दिया कि पाकिस्तान सिर्फ भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरा है। पाकिस्तान अब आतंकवादियों का केंद्र बन चुका है, जहां से धमाका, हत्या और हिंसा को अंजाम दिया जाता है। वहां की सरकार और सेना आतंकवाद को फलने-फूलने में मदद कर रही है, न कि वहां की जनता के लिए कोई विकास कर रही है। दुनिया की ओर से पाकिस्तान को जो आर्थिक मदद और कर्ज मिलती है, उसका उपयोग पाकिस्तान आम लोगों के विकास में नहीं, बल्कि आतंकवाद को बढ़ाने में कर रहा है।
प्रतिनिधिमंडल की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि शशि थरूर, प्रियंका चतुर्वेदी और मनीष तिवारी जैसे नेताओं ने विश्व मंच पर भारत की साख बढ़ाई है। यही कारण है कि आज कई देश भारत के साथ खड़े होना पसंद कर रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर का श्रेय खुद को दिए जाने पर आनंद दुबे ने कहा कि यह भारत की कूटनीति की असफलता को दर्शाता है। जब बात देश की आती है तो हमारे लिए राष्ट्र सर्वोपरि होता है। देश से बड़ा कोई धर्म नहीं होता। उन्होंने आगे कहा कि उनकी पार्टी पहली पार्टी थी, जो 26 अप्रैल को पहलगाम पहुंची और वहां आम जनता के साथ-साथ प्रशासन और नेताओं से भी मुलाकात की।
विपक्ष द्वारा ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष संसद सत्र बुलाने की मांग को लेकर दुबे ने सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि अगर सत्र होता तो सेना की बहादुरी, पाकिस्तान की पराजय और आतंकवादियों के सफाए जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हो पाती। लेकिन, सरकार ने सीधे मानसून सत्र का ऐलान कर दिया है। विपक्ष संसद में चर्चा करना चाहता है, सरकार की सराहना भी करना चाहता है, लेकिन विदेश नीति में जो कमियां रहीं, उन पर चर्चा होना भी आवश्यक है। प्रधानमंत्री मोदी 11 सालों से विश्व भ्रमण कर रहे हैं, लेकिन आज भी आधे देश हमारे साथ नहीं खड़े हैं, तो कहीं न कहीं कमी तो हमारी है। कमियों को स्वीकार करना ही असली ताकत है।
एनसीपी के स्थापना दिवस पर जयंत पाटिल के बयान और उनके छुट्टी पर जाने को लेकर उन्होंने कहा कि जयंत पाटिल शरद पवार के बेहद करीबी और मेहनती नेता हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी में भगदड़ हुई, लेकिन सब नहीं गए। जिसे जाना है, वो जाएगा, जिसे रुकना है, वो रुकेगा। पाटिल जैसे नेता अगर ब्रेक ले रहे हैं तो यह चिंतन और आराम के लिए भी हो सकता है, इसे राजनीतिक नजरिए से नहीं देखना चाहिए।
आगामी बीएमसी चुनावों में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के साथ आने की अटकलों पर आनंद दुबे ने कहा कि दोनों भाई हैं, बचपन और जवानी साथ बिताई है। 2005 में अलग राहें बनीं, लेकिन अगर महाराष्ट्र की अस्मिता के लिए वे साथ आते हैं तो यह बहुत ही सकारात्मक संकेत है। अगर यह गठबंधन होता है तो व्यक्तिगत राजनीति से ऊपर उठकर यह पूरे महाराष्ट्र के हित में होगा। हमारा राज्य सबसे पहले है। अगर एक विचारधारा के लोग महाराष्ट्र के हित में एक मंच पर आते हैं तो उसका स्वागत होना चाहिए। हमारे नेता उद्धव ठाकरे भी कह चुके हैं कि जो महाराष्ट्र के मन में है, वही होगा।
--आईएएनएस
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