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Supreme Court on Streedhan: महिला के पास रखे स्त्रीधन पर मात्र उसका ही अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट ने एक केस में अपना फैसला सुनाया.
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Supreme Court on Streedhan: महिला के पास रखे स्त्रीधन पर सिर्फ उसी का अधिकार है. उस पर महिला के परिजन यानि मां या पिता भी दावा नहीं कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान इस अहम व्यवस्था को समाने रखा है. कोर्ट ने कहा कि भले ही माता-पिता ने लड़की को शादी के लिए जेवरात दिए हों. मगर उसे वापस नहीं मांग सकता है. उस पर सिर्फ लड़की का अधिकार होता है. अदालत ने कहा कि अगर महिला का तलाक भी हो जाए तो भी उसके पिता स्त्रीधन को वापस नहीं मांग सकते हैं. यह मामला पी वीरभद्र राव नाम के एक शख्स का है. उन्होंने अपनी बेटी की शादी 1999 में की थी. बाद में उनके बेटी और दामाद अमेरिका चले गए थे.
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मामला ये है कि शादी के 16 साल बाद बेटी ने तलाक का केस फाइल कर दिया था. यही नहीं अमेरिका की लुइस काउंटी सर्किट कोर्ट ने दोनों की आपसी सहमति से फरवरी 2016 में तलाक को मंजूरी दे दी. इस समझौते के तहत पति और पत्नी के बीच घर,पैसे को लेकर बात की गई. इसके बाद महिला ने 2018 में दूसरी शादी कर ली. महिला के पिता ने तीन साल बाद पहली सुसराल वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी. उन्होंने लड़की के जेवरों की मांग की. इस एफआईआर के खिलाफ बेटी की पहली सुसराल के लोग तेलंगाना हाईकोर्ट पहुंचे. मगर यहां अर्जी खारिज हो गई.
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इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट का रुख किया. जस्टिस जेके माहेश्वरी और संजय करोल की बेंच ने बेटी के सास-ससुर को राहत दी. अदालत का कहना है कि महिला के पिता के पास किसी तरह का अधिकारी नहीं कि वह बेटी के जेवर मांग सकें. इस तरह का अधिकार सिर्फ बेटी का होता है. यहां पर स्त्रीधन का मतलब है कि महिला से जुड़े जेवर एवं महिला से जुड़ी अन्य चीजें हैं. जस्टिस संजय करोल का कहना था कि यह एक सामान्य नियम की तरह है. कानून का कहना है कि एक महिला के पास मौजूद स्त्रीधन पर उसका ही पूर्ण अधिकार होता हे. उसे बांट नहीं सकते हैं.