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भारत में 5 सितंबर को जहां शिक्षक दिवस (Teachers Day) मनाया जाता है, वहीं इस दिन को विश्व समोसा दिवस (World Samosa Day) के रूप में भी जाना जाता है. समोसा भारत का सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला नाश्ता है. उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक शायद ही कोई जगह हो जहां समोसा न मिलता हो. अलग-अलग जगह इसका स्वाद और बनाने का तरीका भले अलग हो, लेकिन समोसे ने पूरे देश को स्वाद के एक धागे में बांध दिया है.
हालांकि बहुत लोगों को लगता है कि समोसा भारत की देन है, लेकिन असल में ऐसा नहीं है. तो चलिए जानते हैं समोसे का इतिहास और इससे जुड़ी सारी जरूरी बातें.
समोसे का इतिहास
बहुत लोगों को लगता है कि समोसा भारत का व्यंजन है, लेकिन हकीकत यह है कि इसकी शुरुआत मध्य एशिया और ईरान से हुई थी. वहां इसे “सम्बोसक” या “सम्बुसा” कहा जाता था. यह मूल रूप से एक तरह की पेस्ट्री थी, जिसमें मांस और सूखे मेवे भरे जाते थे. बाद में यह सिल्क रूट और व्यापारियों के जरिए भारत पहुंचा.
आपको बता दें कि 13वीं-14वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत के दौर में समोसा भारत आया. शुरू में यह राजाओं और अमीर घरानों का पकवान था, लेकिन धीरे-धीरे यह आम लोगों का भी पसंदीदा और सस्ता स्नैक बन गया.
समोसा क्यों है खास?
समोसे का तिकोना आकार इसकी पहचान है. यह भरावन को अच्छे से पैक करता है और तलने में आसान होता है. भारत आने के बाद इसमें बड़ा बदलाव हुआ. यहां मांस की जगह आलू, मटर, मसाले और हरी मिर्च डाले जाने लगे. समय के साथ पनीर, नूडल्स, पास्ता, चीज और यहां तक कि चॉकलेट वाले समोसे भी बनने लगे.
समोसा सिर्फ भूख मिटाने वाला स्नैक नहीं, बल्कि चाय या कोल्ड ड्रिंक के साथ दोस्तों और परिवार के बीच एक खास मजा देता है. यही कारण है कि यह भारत का सबसे लोकप्रिय और किफायती स्नैक बन चुका है.
वर्ल्ड रिकॉर्ड (सबसे बड़ा समोसा)
बताते चलें कि 2017 में लंदन की एक मस्जिद में दुनिया का सबसे बड़ा समोसा बनाया गया, जिसका वजन 153 किलो था. यह समोसा एक चैरिटी के लिए बनाया गया था और इसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया. यह दिखाता है कि समोसा सिर्फ स्वाद ही नहीं, बल्कि समुदाय और परोपकार के लिए भी प्रेरणा बन सकता है.