गंगाजल के पानी का pH स्तर काफी संतुलित होता है. इस वजह से ये पानी खराब नहीं होता है. यह संतुलन जैविक और रासायनिक प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करने में भी काफी मदद करता है.
गंगा के पानी में ऑक्सीजन काफी उच्च स्तर पर होती है. इससे पानी ताजा रहता है. ये इसमें मौजूद सूक्ष्मजीवों को जीवित रहने के लिए अनुकूल रहता है. ऑक्सीजन का उच्च स्तर पानी को शुद्ध बनाए रखने में मदद करता है.
गंगा जल में कुछ विशेष प्रकार के सूक्ष्मजीवों का संसार होता है. ये न केवल जल को शुद्ध रखने में मदद करते हैं बल्कि हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करते हैं. इस सूक्ष्म जीव का नाम निंजा है.
गंगा के जल में खनिज प्रचुर मात्रा में होते हैं. कैल्शियम, मैग्नीशियम, और पोटेशियम जैसे तत्व उसे ताजगी और साफ बनाने में मदद करते हैं. ये खनिज जल को प्रदूषण से भी बचाते हैं.
गंगा का जल प्राकृतिक रूप से भी काफी शुद्ध होता है. इसका पानी प्राकृतिक जीवाणुओं, वायरस और अन्य हानिकारक तत्वों से मुक्त होता है. ऐसे में यह लंबे समय तक खराब होने से बचाता है.
गंगा के जल में प्राकृति की तरफ से पुन:संचय की क्षमता दी गई है. इसके साथ ही यह लगातार ताजे पानी के स्रोत से जुड़ा रहता है. ऐसे में यह जल की गुणवत्ता को बनाए रखने में भी मदद करता है.