गिरगिट का रंग बदलना हमेशा से ही लोगों के लिए एक रहस्य रहा है. यह जीव अपनी त्वचा के रंग को माहौल के हिसाब से बदल सकता है, लेकिन क्या यह सिर्फ कैमोफ्लाज के लिए होता है? वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि गिरगिट का रंग बदलना सिर्फ छिपने के लिए नहीं, बल्कि कई और कारणों से भी होता है.
कैसे बदलता है गिरगिट का रंग?
गिरगिट की स्किन में विशेष प्रकार की कोशिकाएं होती हैं, जिन्हें क्रोमैटोफोर्स और इरिडोफोर्स कहा जाता है. इन कोशिकाओं में मौजूद पिगमेंट और नैनो-स्ट्रक्चर की मदद से यह जीव अपने रंग को बदलता है. जब गिरगिट को खतरा महसूस होता है, या वह अपने मूड को व्यक्त करना चाहता है, तो उसकी त्वचा में ये कोशिकाएं सक्रिय हो जाती हैं और वह रंग बदल लेता है.
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गिरगिट के रंग बदलने के कारण क्या होते हैं?
- डिफेंस मैकेनिज्म– कई बार गिरगिट अपने प्राकृतिक वातावरण में छिपने के लिए रंग बदलता है, ताकि शिकारी उसे न देख सकें.
- तापमान कंट्रोल – गिरगिट गर्मी या ठंड से बचने के लिए भी रंग बदलते हैं. जब उन्हें गर्मी लगती है, तो वे हल्के रंगों में बदल जाते हैं ताकि सूरज की रोशनी कम पड़े, और ठंड में वे गहरे रंग धारण कर लेते हैं.
- इमोशनल सिग्नल – गिरगिट अपने मूड के अनुसार भी रंग बदलते हैं. अगर वे गुस्से में होते हैं तो लाल या पीले रंग में बदल जाते हैं, जबकि शांत अवस्था में हरे या भूरे रंग में रहते हैं.
- सोशल कम्युनिकेशन – नर गिरगिट मादा को आकर्षित करने के लिए भी चमकीले रंगों में बदल जाते हैं.
क्या गिरगिट पूरी तरह पारदर्शी हो सकता है?
नहीं, गिरगिट पूरी तरह पारदर्शी नहीं हो सकता, लेकिन वह अपने आसपास के वातावरण के अनुसार रंग बदलकर खुद को छिपाने में सक्षम होता है. गिरगिट का रंग बदलने की यह क्षमता उसे न केवल एक अद्भुत जीव बनाती है, बल्कि वैज्ञानिकों के लिए भी शोध का एक रोमांचक विषय बनी हुई है.
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