दाऊद इब्राहिम भारत के सबसे कुख्यात अपराधियों में से एक है. जिसे 1993 के मुंबई बम धमाकों में अपनी भूमिका के लिए जाना जाता है. 2003 में उसे वैश्विक आतंकवादी घोषित किया गया और उसके सिर पर 25 मिलियन डॉलर का इनाम रखा गया. लेकिन क्या आपको पता है कि पुलिस के अलावा एक ऐसी महिला थी, जो दाऊद से बदला लेना चाहती थी? उस महिला की कहानी कम ही लोग जानते हैं. दाऊद की ताकत और डर के बावजूद एक महिला ने उसकी सत्ता को चुनौती देने की हिम्मत की. उस महिला का नाम था सपना दीदी, जिनकी कहानी पत्रकार हुसैन जैदी की किताब माफिया 'क्वींस ऑफ मुंबई' में दर्ज है.
कौन थीं सपना दीदी?
सपना दीदी, जिनका असली नाम अशरफ था, मुंबई के एक पारंपरिक मुस्लिम परिवार में पली-बढ़ीं. उन्हें अपने पति महमूद खान के अपराध जगत से जुड़े होने की जानकारी नहीं थी. लेकिन जब महमूद खान को मुंबई एयरपोर्ट पर दाऊद के आदेश पर मार दिया गया, तो अशरफ की जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई. दाऊद ने महमूद को इसलिए मरवा दिया क्योंकि उसने उसके आदेश मानने से इनकार कर दिया था. इस घटना ने अशरफ के अंदर बदले की आग जला दी.
दाऊड इब्राहिम को कर दिया था तबाह
अपने पति की मौत का बदला लेने के लिए अशरफ ने सपना दीदी का नाम अपनाया और दाऊद को खत्म करने की प्लानिंग बनानी शुरू कर दी. उन्होंने हुसैन उस्तारा नाम के एक प्रतिद्वंद्वी गैंगस्टर से हथियार चलाने की ट्रेनिंग ली. इसके बाद उन्होंने दाऊद के अवैध धंधों को नुकसान पहुंचाने का काम शुरू किया. वह मुंबई के अंडरवर्ल्ड को अच्छे से समझती थीं और धीरे-धीरे उन्होंने दाऊद के आदमियों के बीच खौफ पैदा कर दिया. हुसैन जैदी अपनी किताब में लिखते हैं, “सपना दीदी ने कई जुए के अड्डों और डांस बारों को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई. वह दाऊद के गैरकानूनी कामों को बर्बाद कर रही थीं और उसकी तस्करी वाली हथियारों की खेपों को रोक रही थीं.”
दाऊद को बनाया था मारने का प्लान
सबसे साहसी योजना में से एक यह थी कि वह शारजाह में भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच के दौरान दाऊद को मारने वाली थीं. दाऊद अक्सर वीआईपी सेक्शन में बैठकर ये मैच देखता था. सपना ने प्लान बनाई कि उनके आदमी छाते और टूटे हुए कांच की बोतलों का इस्तेमाल कर दाऊद पर हमला करेंगे. लेकिन इससे पहले कि वह अपनी योजना को अंजाम दे पातीं, दाऊद के आदमियों ने 1994 में उन्हें ढूंढ निकाला. मुंबई में उनके घर पर सपना दीदी को 22 बार चाकू मारकर बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया. वहां मौजूद कोई भी उनकी मदद करने की हिम्मत नहीं कर सका, क्योंकि सभी दाऊद के गुस्से से डरते थे.
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