देश में कोरोना एक बार फिर बढ़ने लगे हैं. कोरोना को लेकर चिंता बढ़ने लगी है. स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट मोड में है. भारत में कोरोना के एक्टिव केसों की संख्या 4000 के पार हो गई है. कोरोना के इस बार नए वेरिएंट मिले हैं. इससे पहले भी अल्फा, बीटा, डेल्टा से लेकर ओमिक्रोन सहित बहुत सारे वेरिएंट सामने आएं हैं. कोरोना वेरिएंट के इतने सारे नाम सुनकर मन में एक सवाल आता है कि इतने सारे नाम आखिर रखे कैसे जाते हैं. चलिए हम आपको आज इसी सवाल का जवाब देते हैं.
कौन रखता है नाम
अल्फा, बीटा, डेल्टा से लेकर ओमिक्रोन तक कोरोना के सभी वेरिएंट्स के नाम विश्व स्वास्थ्य संगठन तय करता है. कोविड के नए वेरिएंट्स के नाम ग्रीक अक्षरों के ऊपर रखा जाता है. कोविड वेरिएंट्स का नाम रखने के लिए ग्रीक अक्षरों का इस्तेमाल करने पर डब्ल्यूएचओ ने कारण बताएं हैं. इसका मुख्य कारण है ग्रीक अक्षर वैज्ञानिक नामों की तुलना में छोटे होते हैं और याद रखने में आसान होते हैं.
ग्रीक भाषा का जानें इतिहास
कोविड-19 के कई वेरिएंट हैं, डब्ल्यूएचओ ने ग्रीक अक्षर सिर्फ उन्हीं वेरिएंट के लिए रखा है, जो ज्यादा संक्रामक, खतरनाक और वैक्सीन के खिलाफ मजबूत हैं. नए वेरिएंट उनके मिलने के समय के अनुसार ग्रीक अक्षर मिलते हैं. वहीं, ग्रीक अक्षरों का यूज प्राचीन यूनान लोगों ने किया था. इसका इतिहास कम से कम 1000 ईसा पूर्व का है. आज भी ग्रीस में इस भाषा का इस्तेमाल होता है. फोनीशियन नाम की एक पुरानी वर्णमाला से इसका विकास हुआ है. ग्रीक अक्षरों का नाम हिब्रू भाषा के शब्दों से आए हैं. ग्रीक अक्षरों के इस्तेमाल से ही कोविड वेरिएंट के नाम दिए जाते हैं.
लगातार बढ़ रहे हैं कोरोना के मामले
कोविड-19 लगातार बढ़ रहे हैं. महामारी की शुरुआत से अब तक अल्फा, डेल्टा, बीटा और ओमिक्रोन जैसे कई वैरिएंट्स सामने आ चुके हैं. वायरस के अब नए वेरिएंट और सब वेरिएंट सामने आ रहे हैं. नए वेरिएंट इसके तेजी से फैल रहे हैं. लोगों की इससे चिंताएं बढ़ रही हैं.