बदलते दौर में पर्यटन का ट्रेंड भी तेजी से बदल रहा है. लोग अब भीड़-भाड़ वाली जगहों या मशहूर टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स से हटकर ऐसे स्थानों की ओर रुख कर रहे हैं, जहां शांति और प्रकृति का अनुभव किया जा सके. इसी ट्रेंड को रिवर्स टूरिज्म कहा जाता है. हाल के वर्षों में इसकी मांग तेजी से बढ़ी है, खासकर कोरोना महामारी के बाद जब लोगों ने शहरों की भागदौड़ से दूर शांत और कम भीड़भाड़ वाले इलाकों में समय बिताने को प्राथमिकता दी.
क्या है रिवर्स टूरिज्म?
रिवर्स टूरिज्म का मतलब है कि लोग सामान्य पर्यटक स्थलों जैसे हिल स्टेशन, बीच और ऐतिहासिक स्थलों की बजाय गांवों, छोटे कस्बों, अनदेखे प्राकृतिक स्थलों या कम मशहूर जगहों की यात्रा करना पसंद कर रहे हैं. इसका मकसद है भीड़ से बचना, स्थानीय संस्कृति को करीब से देखना और प्रकृति के साथ समय बिताना.
रिवर्स टूरिज्म क्यों हो रहा है लोकप्रिय?
भागदौड़ भरी जिंदगी से राहत: शहरी जीवन की तेज रफ्तार और बढ़ते तनाव के बीच लोग अब शांति की तलाश में कम चर्चित, प्रकृति से भरपूर स्थानों पर जा रहे हैं.
स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का अनुभव: लोग अब सिर्फ घूमने नहीं बल्कि वहां के लोगों की जीवनशैली, भोजन, परंपराओं और कला को समझने में दिलचस्पी ले रहे हैं.
बजट-फ्रेंडली यात्रा: महंगे पर्यटन स्थलों की तुलना में ये स्थान सस्ते होते हैं, जिससे आम लोग भी आसानी से यात्रा कर सकते हैं.
इको-टूरिज्म को बढ़ावा: रिवर्स टूरिज्म पर्यावरण के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देता है, क्योंकि इसमें कम प्रदूषण और अधिक सस्टेनेबल ट्रैवल शामिल होता है.
वर्क फ्रॉम एनीवेयर का ट्रेंड: कई लोग अब गांवों और छोटे शहरों में रहकर काम कर रहे हैं, जिससे वे लंबे समय तक यात्रा का आनंद ले पाते हैं.
भारत में रिवर्स टूरिज्म के प्रमुख स्थान
- उत्तराखंड के शांत गांव (मुनस्यारी, चंपावत)
- हिमाचल के अनदेखे कस्बे (जिभी, तांडी)
- राजस्थान के ऐतिहासिक गांव (खिमसर, कलादेह)
- महाराष्ट्र के प्राकृतिक क्षेत्र (भंडारदरा, हरिहरगढ़)
- दक्षिण भारत के छोटे समुद्री तट (गोकर्ण, मरारी बीच)
रिवर्स टूरिज्म लोगों को शांति, आत्मशांति और अनोखे अनुभव प्रदान करता है. आने वाले समय में, जैसे-जैसे डिजिटल वर्क कल्चर बढ़ेगा और लोग मानसिक शांति को प्राथमिकता देंगे, रिवर्स टूरिज्म की मांग और भी अधिक बढ़ेगी.