'कहां राजा भोज कहां गंगू तेली' हमेशा गलत जगह बोला जाता है यह मुहावरा फिर भी किसी को नहीं पता है मतलब, जानें

इस कहावत का मतलब लोगों को लगता है कि सिर्फ दो ही लोगों के बीच की बात है, लेकिन इसमें तीसरा आदमी भी मौजूद है. जिसके बारे में लोग जानते नहीं है.

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Nidhi Sharma
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इस कहावत का बहुत लोग खूब इस्तेमाल करते है. लोगों को लगता है कि राजा भोज कोई एक आदमी होगा और गंगू तेली कोई दूसरा आदमी होगा. लेकिन इस कहावत में एक तीसरा आदमी भी मौजूद था. जैसे की पति- पत्नी और वो वाली चीज, लेकिन इसमें ना तो पति है, ना ही पत्नी और ना ही वो. चलिए अब बातों को ज्यादा ना घुमाते हुए हम आपको इसका सीधा सीधा मतलब बताते है. 

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पहले मिलते है राजा भोज से 

राजा भोज जो थे वो परमार वंश के 9वें राजा थे. राजा भोज ने 55 साल के जीवन में कई लड़ाईयां लड़ी और जीती थी.  मध्य प्रदेश का धार उनकी राजधानी हुआ करता था. साथ ही राजा भोग ने मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल शहर को भी बसाया था. तब उस शहर को भोजपाल नगर कहा जाता था जो वक्त के साथ पहले भूपाल और अब भोपाल के नाम से जाना जाता है. राजा भोज एक बड़े विद्वान थे. वहीं भोज के  पास धर्म, व्याकरण, भाषा, कविता इन सब का ज्ञान था. इसके अलावा राजा भोज ने सरस्वतीकण्ठाभरण, शृंगारमंजरी, चम्पूरामायण जैसे कई ग्रन्थ लिखे थें. जिसमें से कुछ आज भी उपलब्ध हैं. 

अब अपनी कहावत के बारे में बात करते है 

एक राजा थे परमार राजा अर्जुन उन्होंने एक वर्मन लिखा था. उनके उस वर्मन से ये पता चला कि एक बार चेदिदेश के राजा गांगेयदेव कलचुरी और राजा भोज के बीच लड़ाई शुरु हो गई थी. वहीं इस लड़ाई के बीच में एंट्री लेते है जयसिंह तेलंग. जो कि गांगेयदेव की साइड थे. गांगेयदेव कलचुरी और जयसिंह तेलंग की बुरी तरह से हार हुई और गांगेयदेव के राज्य का कुछ भाग राजा भोज के हिस्से आ गया. 

यहां से शुरु हुई कहावत 

इनकी लड़ाई के बाद यह कहावत काफी फेमस हो गई कि "कहां राजा भोज और कहां गांगेय तैलंग". लेकिन कहते है ना टाइम के साथ बहुत सारी चीजों में बदलाव आता है. वैसे ही लोगों ने शुरु किया "कहां राजा भोज कहां गंगू तेली". 

 

 

 

idiom gangu teli raja bhoj
      
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