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Space ki Duniya
दशकों से वैज्ञानिक अंतरिक्ष को एक्सप्लोर कर रहे हैं. बावजूद इसके अंतरिक्ष की दुनिया रहस्य बनी हुई है. अंतरिक्ष को लेकर हर रोज नई-नई खोज होती रहती हैं. पिछले दिनों भारत के शुभांशु शुक्ला अपने साथियों के साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में गए. वे अब भी स्पेस में हैं. अंतरिक्ष यात्रियों के लिए स्पेस में सुरक्षा के सभी इंतजाम किए जाते हैं. बावजूद इसके एक सवाल है कि अगर मान लीजिए अंतरिक्ष में किसी यात्री की तबियत खराब हो जाए तो उसका इलाज कैसे होता है. क्या उस एस्ट्रोनॉट को वहीं दवाई दी जाती है या फिर उसे धरती पर भेजा जाता है. आइये इस बारे में जानते हैं…
क्या अंतरिक्ष में मिलती हैं दवाएं
अंतरिक्ष का वातावरण धरती से बिल्कुल अलग होता है. जब भी कोई एस्ट्रोनॉट वहां से धरती पर लौटता है तो उसकी हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं. इसके अलावा, धरती पर लौटने पर गंभीर बीमारी का खतरा भी होता है. लेकिन अगर कोई अंतरिक्ष में बीमार हो जाए तो क्या होता है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में एक मेडिकल किट होती है. इसमें प्राथमिक इलाज की सारी चीजें होती है. जैसे उल्टी, दर्द, बुखार, सेडेटिव्स, बीपी और शुगर चेक करने की मशीनें और ऑप्शनल दवाएं होती हैं. अगर छोटा मोटा कोई जख्म हो जाता है तो उसे साफ करने लिए एंटीबायोटिक्स भी वहां मिलती है.
क्रू मेंबर को दी गई होती है बेसिक ट्रेनिंग
स्पेस स्टेशन पर मौजूद हर एक क्रू मेंबर को बेसिक ट्रेनिंग दी जाती है. जिससे जरूरत पड़ने पर तुरंत वहां मदद उपलब्ध करवाई जा सके. स्पेस में मौजूद टीम में एक व्यक्ति को बाकी लोगों से ज्यादा ट्रेनिंग मिली होती है. एक तरह से वह स्पेस का मेडिकल ऑफिसर होता है. अगर कोई बड़ी इमरजेंसी न हो तो वह मेडिकल ऑफिसर उससे निपट सकता है. धरती पर मौजूद डॉक्टरों की टीम उन्हें मॉनिटर करती है और गाइड करती है.
हालात अगर गंभीर हुए तो
सबसे मेन बात ये है कि स्पेस में किसी भी बीमार व्यक्ति को भेजा ही नहीं जाता है. वहां सिर्फ मेडिकली फिट व्यक्ति ही जाता है, जो छोटी-मोटी बीमारियों को झेल सकता है. मामला अगर मान लीजिए ज्यादा ही सीरियस है और उसे जान का खतरा है तो कॉन्टिन्जेंसी रिटर्न प्लान किया जाता है. स्पेस स्टेशन में हमेशा एक लाइफबोट स्पेसक्राफ्ट डॉक होता है. आपातकाल में एसट्रोनॉट को उससे भेज दिया जाता है.