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Soul Facts : ...तो मरने के बाद यहां जाती हैं आत्माएं, वैज्ञानिकों ने दिया सटीक जवाब!

आपने कभी सोचा है कि मरने के बाद आत्माएं कहां जाती हैं? यह सवाल सदियों से मानव जाति को आकर्षित करता रहा है. विभिन्न धर्मों, दार्शनिक दृष्टिकोणों और सांस्कृतिक मान्यताओं ने इस प्रश्न का लगभग समान उत्तर दिया है.

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Ravi Prashant
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आत्माओं की कहानी (SM)

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आपने कभी सोचा है कि मरने के बाद आत्माएं कहां जाती हैं? यह सवाल सदियों से मानव जाति को आकर्षित करता रहा है. विभिन्न धर्मों, दार्शनिक दृष्टिकोणों और सांस्कृतिक मान्यताओं ने इस प्रश्न का लगभग समान उत्तर दिया है. इन मान्यताओं के आधार पर आत्माओं की यात्रा, उनका गंतव्य और उनकी भूमिका, हर परंपरा में अलग-अलग दिखाई देती है.

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हिंदू धर्म में आत्माओं को लेकर क्या है तथ्य?

हिंदू धर्म के अनुसार, आत्मा अमर होती है और शरीर के नाश के बाद भी उसका अस्तित्व बना रहता है. शरीर मात्र एक वस्त्र की भांति है, जिसे आत्मा त्याग देती है और नया शरीर धारण करती है. यह प्रक्रिया पुनर्जन्म या पुनरावृत्ति के चक्र के रूप में जानी जाती है. आत्मा अपने कर्मों के आधार पर अगले जन्म का निर्धारण करती है. इस प्रक्रिया को कर्म फल के सिद्धांत से जोड़ा गया है, जिसमें कहा गया है कि व्यक्ति अपने कर्मों के अनुसार स्वर्ग, नरक, या पुनर्जन्म में से किसी एक को प्राप्त करता है.

आत्माओं को लेकर क्या कहता है इस्लाम?

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इस्लाम में आत्मा का मरने के बाद का सफर दो प्रमुख अवस्थाओं में विभाजित किया गया है. पहली अवस्था 'बरज़ख' है, जो मृत्यु और कयामत के दिन के बीच की अवस्था होती है. इस दौरान आत्मा को उसके कर्मों के अनुसार आराम या पीड़ा दी जाती है. दूसरी अवस्था कयामत के दिन होती है, जब सभी आत्माओं का पुनरुत्थान होता है और उन्हें उनके अच्छे या बुरे कर्मों के आधार पर जन्नत या जहन्नुम में भेजा जाता है.

ईसाई धर्म में ये होता है सिस्टम?

ईसाई धर्म में मृत्यु के बाद आत्मा या तो स्वर्ग जाती है या नर्क, यह इस पर निर्भर करता है कि उसने अपने जीवनकाल में कैसे कर्म किए. ईसाई विश्वास में एक न्याय का दिन होगा जब यीशु मसीह फिर से आएंगे और सभी मृतकों का पुनरुत्थान होगा. उस दिन आत्माओं का अंतिम निर्णय होगा, और उन्हें उनके कर्मों के आधार पर शाश्वत स्वर्ग या नर्क का मार्ग मिलेगा.

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बौद्ध धर्म में क्या है कॉन्सेप्ट?

बौद्ध धर्म पुनर्जन्म में विश्वास करता है, लेकिन आत्मा के स्थायी अस्तित्व में नहीं. बौद्ध सिद्धांत के अनुसार, मरने के बाद आत्मा का पुनर्जन्म होता है और यह चक्र तब तक चलता रहता है जब तक कि आत्मा निर्वाण प्राप्त नहीं कर लेती. निर्वाण वह अवस्था है, जिसमें आत्मा सभी इच्छाओं और कर्मों के बंधन से मुक्त हो जाती है और पुनर्जन्म के चक्र से बाहर हो जाती है.

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आखिर क्या कहता है विज्ञान?

विज्ञान की दृष्टि से आत्मा की अवधारणा को लेकर अभी भी विवाद है. वैज्ञानिकों के अनुसार, मृत्यु के बाद कोई भौतिक प्रमाण आत्मा के अस्तित्व का नहीं मिलता है. हालांकि, अलग-अलग मान्यताओं के बावजूद, यह प्रश्न मानव मन के लिए हमेशा से एक रहस्य रहा है. आत्मा का गंतव्य और उसका भविष्य, हमारे अस्तित्व के मूलभूत प्रश्नों में से एक है, जिसका उत्तर शायद विज्ञान और अध्यात्म दोनों की सामूहिक समझ में निहित हो.

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