क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ डे, क्या है इस बार की थीम, जानें पूरा इतिहास

विश्वभर से लुप्त हो रहे वनस्पतियों और जंगली जीव-जंतुओं की प्रजातियों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर वर्ष 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस (world wildlife day) मनाया जाता है.

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Prashant Jha
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विश्व वन्यजीव दिवस( Photo Credit : फाइल फोटो)

विश्वभर से लुप्त हो रहे वनस्पतियों और जंगली जीव-जंतुओं की प्रजातियों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर वर्ष 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस (world wildlife day) मनाया जाता है. लोगों को इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए पहली बार 3 मार्च 2014 को पहला विश्व वन्यजीव दिवस मनाया गया. वन्य जीवों को लुप्त होने से रोकने के लिए वर्ष 1872 में पहले जंगली हाथी संरक्षण अधिनियम एक्ट पारित किया गया था. इसके बाद 1973 में यूनाइटेड नेशन ने वन जीव दिवस मनाने के प्रस्ताव पर साइन किए और 2014 में पहली बार इसे मनाया गया.   

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कब हुई वन्य जीव दिवस की शुरुआत
विश्वभर के फल-फूलों और जीव-जंतुओं के अंतरराष्ट्रीय ट्रेड पर रोक लगाने के लिए 3 मार्च 1973 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए और 20 दिसंबर 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 68वें सम्मेलन में 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस घोषित करने का फैसला किया. इस विशेष दिन जीवों और वनस्पतियों की गंभीर रूप से लुप्त प्रजातियों के संरक्षण पर ध्यान देने और उनके संरक्षण के लिए समाधानों की तलाश करना और इस दिशा में आगे की रणनीति तैयार करना है. इसमें जलवायु परिवर्तन, पानी के नीचे जीवन, गरीबी खत्म, भूखमरी शून्य, धरती पर जीवन समेत कई उपलब्धियों की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को आगे बढ़ाने और संरक्षण शामिल है.

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यह है विश्व वन्यजीव दिवस 2023 की थीम

विश्व वन्यजीव दिवस (world wildlife day) के लिए हर साल एक थीम या विषय चुना जाता है. संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से यह थीम जारी की जाती है, जिसमें जंगली जीव-जंतुओं की प्रजातियों की देखरेख और बचाने के लिए लोगों में जागरूकता बढ़ाना है. विश्व वन्यजीव दिवस 2023 की थीम "वन्यजीव संरक्षण के लिए साझेदारी" है. इस थीम का  मकसद वन्य जीवों के बीच बढ़ती दूरी को खत्म करना है. 2022 में विश्व वन्य जीव दिवस की थीम "पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के लिए प्रमुख प्रजातियों को फिर से लागू करना" थी. 

जीव-जंतुओं की 8,400 से ज्यादा प्रजातियां संकट में

इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) के आंकड़ों के मुताबिक, जंगली जीव-जंतुओं की 8,400 से ज्यादा प्रजातियां संकट में हैं, वहीं, 30,000 से अधिक को लुप्तप्राय या खतरे में है. इन आंकड़ों के आधार पर यह सलाह दी जाती है कि 10 लाख से अधिक प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा है.

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हर कोई प्रकृति पर है निर्भर 

गौरतलब है कि पारिस्थितिकी तंत्र के नुकसान से मानव समेत धरती पर सभी तरह के जीवन के सामने चुनौती बनी हुई है. हर जगह लोग भोजन से लेकर कपड़ों, ईंधन, दवाओं, आवास तक यानी सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए वन्य जीवन और जैव विविधता-आधारित संसाधनों पर निर्भर हैं. यानी हर कोई कुदरत पर निर्भर है. ऐसे में अगर वन्य जीव लुप्त होंगे तो आने वाले समय में इंसानों पर बड़ा खतरा मंडरा सकता है. इसलिए वन्य जीवों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर वर्ष 3 मार्च को वन्यजीव दिवस मनाया जाता है.

 

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