क्यों राजधानी में सड़क ​किनारे बनी मजारों की दिनरात रखवाली हो रही? जानें पूरा मामला 

गुरुद्वारा रकाबगंज के पीछे और राष्ट्रपति भवन की बाउंड्री वॉल से महज 50 मीटर की दूरी पर एक साथ 8 मजार हैं

गुरुद्वारा रकाबगंज के पीछे और राष्ट्रपति भवन की बाउंड्री वॉल से महज 50 मीटर की दूरी पर एक साथ 8 मजार हैं

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Mohit Saxena
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roadside tombs( Photo Credit : social media)

राजधानी दिल्ली में सड़क के किनारे और सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाए जाने के अभियान के तहत बहुत सारे मंदिर और मजार को भी हटाए जाने हैं. कुछ मंदिर और मजार लुटियन दिल्ली से हटा भी दिए गए हैं लेकिन अभी भी दर्जनों मजार लुटियन दिल्ली में बरकरार हैं और उन्हें भी हटाया जाना है. गुरुद्वारा रकाबगंज के पीछे और राष्ट्रपति भवन की बाउंड्री वॉल से महज 50 मीटर की दूरी पर एक साथ 8 मजार हैं, अब इस मजार पर 24 घंटे कई लोग बैठकर रखवाली करते हैं. ये गोल चक्कर के अंदर बनी है और गोल चक्कर का नंबर 53 है.

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पहरेदारी में बैठे हुए लोग कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से परहेज करें लेकिन मजार की देखरेख में चौबीसों घंटे रहने वाले शख्स ने बताया की मजार हजार साल से ज्यादा पुरानी है. इस मजार की रखवाली में चौबीसों घंटे इसी तरीके से अलग-अलग ड्यूटी बांट कर पांच से छह लोग रहते हैं.

इस तरह से संसद भवन के बिल्कुल बगल में बने मजार की रखवाली में बैठे लोग ने न्यूज़ नेशन के कैमरे को देखकर हट गए. वे किसी भी मुद्दे पर बात करने को तैयार नहीं हुए हालांकि खादिम ने टेलीफोन पर जानकारी दी कि उसके पास इसके इतिहास के सारे कागजात हैं. यह 400 साल से ज्यादा पुरानी मजार है और इसका सबूत वह सरकार के सामने रखेंगे तो वही गुरुद्वारा रकाबगंज के पास एक मजार बहुत ही दिलचस्प है.

उसकी रखवाली के लिए 800 रुपये पर एक रखवाले को बिठाया गया है जो मजार की देखरेख के साथ वहां आने वाले लोगों का स्वागत करता है. राजस्थान का रहने वाला एक हिंदू है. इसी तरीके से सभी मजारों पर अब 24 घंटे बैठकर कुछ लोग रखवाली करते हैं ताकि जैसे ही मजार को हटाने के लिए सरकारी अमला और बुलडोजर पहुंचे तो उसकी जानकारी अन्य लोगों तक पहुंचाई जा सके.

Source : News Nation Bureau

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