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घरेलू हिंसा का 'ऑन स्पॉट' निपटारा, ग्रामीण महिलाओं की अच्छी पहल

महिलाएं नुक्कड सभा में 'हमहूं मरद रे बानी मूंछ के रहे सनमा हो, हमरे रहे घरवा में राज हो' गीत से हूंकार भरते नजर आती हैं.

Updated on: 19 Nov 2021, 02:52 PM

highlights

  • शोषण के खिलाफ मुखर हो रही हैं मुजफ्फरपुर की महिलाएं
  • ऐसी घटनाओं से निपटने को महिलाओं ने बनाया एक समूह

मुजफ्फरपुर:

बिहार के मुजफ्फरपुर के कुढ़नी प्रखंड की रहने वाली एक महिला दो महीने पहले तक अपने ससुराल में घरेलू हिंसा की शिकार थी. पीड़िता की मां को जब इसका पता चला तो उसने नारी अदालत की महिलाओं से संपर्क किया. नारी अदालत की सदस्यों ने पंचायत के सरपंच से मुलाकात की और फिर पीड़िता के ससुराल वालों से मिलकर बहू के साथ मारपीट नहीं करने का शपथ पत्र भरवाया. इसके बाद पीड़िता के साथ कभी कोई हिंसा नहीं हुई. सभी लोग मिलकर रहने लगे. मुजफ्फरपुर की कई ऐसी महिलाएं हैं, जिन्हें "ज्योति महिला समाख्या" की महिलाओं द्वारा राहत पहुंचाई जा रही है.

मुजफ्फरपुर के कुढ़नी, मुशहरी, बोचहां, बंदरा सहित कई प्रखंड है जहां सड़कों पर स्वयंसेवी संस्था ज्योति महिला समाख्या की महिलाएं नुक्कड सभा में 'हमहूं मरद रे बानी मूंछ के रहे सनमा हो, हमरे रहे घरवा में राज हो' गीत से हूंकार भरते नजर आती हैं. ये महिलाओं गांव की महिलाओं को उनके अधिकार के प्रति जानकारी देती हैं और घरेलू हिंसा के खिलाफ जन-जागरूकता ला रही है. इस संस्था ने आगा खां फाउंडेशन से मिलकर पिछले करीब एक साल से महिलाओं के अधिकार के लिए 'हल्ला बोल' रही हैं. इन नुक्कड नाटक के जरिए महिलाएं न केवल ग्रामीण महिलाओं को जागरूक करती हैं, बल्कि किसी भी महिला की घरेलू हिंसा को लेकर समस्या को भी तत्काल निपटा भी रही हैं.

'ज्योति महिला समाख्या' की पूनम कुमारी कहती हैं कि पिछले छह महीने में 150 से 200 महिलाओं की समस्याओं का निपटारा किया गया है. उन्होंने कहा कि इसके लिए नारी आदलत विंग बनाया गया है, जिन्हें मोटे तौर पर कुछ कानून की भी जानकारी है. वे कहती हैं, पहले महिला समूह के सदस्यों द्वारा महिलाओं के विवादों को निपटाने की कोशिश की जाती है. इसके बाद पंचायत के सरपंच और मुखिया भी मदद ली जाती है. उन्होंने बताया कि महिलाओं को हक और अधिकार की भी जानकारी दी जाती है. इसके बाद भी अगर समस्या का निदान नहीं निकल पाता है तो फिर थाना, महिला आयोग और न्यायालय के लिए भी उन्हें पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जाती है. इधर, आगां खां फाउंडेशन के अक्षत कृष्ण कहते हैं, "अलग-अलग समूह बनाकर महिलाएं नुक्कड नाटक के जरिए परिवार, बच्चों और समाज पर घरेलू हिंसा के दुष्प्रभाव से लेकर बचाव तक की कानूनी जानकारी देती हैं, जिससे वे सजग रह सकें। "

पूनम बताती हैं, 'इस अभियान का नेतृत्व सोसइटी की महिलाओं द्वारा ही किया जा है. गांव और सुदूरवर्ती क्षेत्रों की कई महिलाएं अलग-अलग तरह से शोषित होती रहती हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम होता कि इससे छुटकारा पाने के क्या उपाय किए जाएं.' इस अभियान का मुख्य उद्देश्य ऐसी महिलाओं को यह जानकारी उपलब्ध कराना है. वे कहती हैं कि प्रारंभ में महिलाएं शोषण के खिलाफ मुखर होकर सामने नहीं आती थी, लेकिन अब खुलकर सामने आती हैं. उन्होंने बताया कि इस अभियान में कई महिलाएं ऐसी भी सामने आई जो अपने शराबी पति से भी परेशान रहती थी. ऐसे में शराबी पति से न केवल पत्नी से माफी मंगवाई जाती है बल्कि उन्हें थाना में शिकायत करने का डर भी दिखलाया जाता है. ऐसे में कई महिलाओं को छोटे-छोटे हिंसा से भी मुक्ति मिली है.