बारिश होगी या नहीं? हजारों साल पहले कुछ इस तरह करते थे पूर्वानुमान

आज विज्ञान के आगे बढ़ने के साथ किसी भी राज्य में कैसी बारिश होगी इसका पूर्वानुमान मौसम विभाग जारी कर देता है, लेकिन हजारों और सैंकड़ो साल पहले ये सारी तकनीक नहीं थी.

author-image
Sourabh Dubey
New Update
Forecast weather

Forecast weather ( Photo Credit : social media)

आज विज्ञान के आगे बढ़ने के साथ किसी भी राज्य में कैसी बारिश होगी इसका पूर्वानुमान मौसम विभाग जारी कर देता है, लेकिन हजारों और सैंकड़ो साल पहले ये सारी तकनीक नहीं थी. हजारों सालों पहले ज्योतिष और फिर देसी तरीकों से मौसम का पूर्वानुमान लगाया जाता था. राजस्थान के बहुत से हिस्सों में आज भी पुराने देसी तरीके से मौसम के बारे में पता लगाया जाता है और भविष्यवाणी की जाती है. कच्ची मिट्टी के कुल्हड़ो में पानी भरकर भी मौसम का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है. फसल कैसी होगी इसका पता लगाया जाता है.

Advertisment

विज्ञान के युग में बेशक आपको ये सब सुनने में अजीब लगे लेकिन ये सच है. राजस्थान में आज भी इन्हीं पुरानी देसी तकनीकों से और ज्योतिष से मौसम का अनुमान लगाया जाता है. राजस्थान के जाने-माने ज्योतिषचार्य ने बताया कि, आखिर कैसे वायु और बारिश का आपसी संबंध होने के चलते बारिश का पूर्वानुमान लगाया जाता है. इस बार भी ज्योतिष में अच्छी बारिश का पूर्वानुमान किया गया है.

मानसून का शकुन देखने के हैं दो तरीके

राजस्थान में मानसून का शकुन देखने के दो तरीके हैं. पहला-कच्ची मिट्टी के कुल्हड़ बनाकर और दूसरा पानी में सफेद और काली रंग की रूई डालकर. दोनों तरीकों से भादो में अच्छी बारिश और सुकाल के संकेत मिले हैं. राजस्थान के बाड़मेर जिले में परात में कच्ची मिट्टी के पांच कुल्हड़ रखते हैं. इन्हें हिंदी महीनों के नाम जेठ, आषाढ़, सावन, भादो, आसोज दिए जाते हैं. इनमें बराबर पानी भरा जाता है, जो कुल्हड़ सबसे पहले फूटता है, उसमें सबसे ज्यादा बारिश का अनुमान मिलता है. इस बार भादो का कुल्हड़ सबसे पहले फूटा, यानी इस बार का शकुन ये है कि भादो में अच्छी बारिश होगी.

दो कुल्हड़ों में पानी भरा जाता है. इनमें काली और सफेद रूई डाली जाती है. काली रूई अगर पहले पानी में डूबे तो बारिश अच्छी होती है, सुकाल आता है. सफेद रूई पहले पानी में पूरी तरह से डूब जाए तो बारिश कम होने के आसार होते हैं और अकाल पड़ने की संभावना है. इस बार काली रूई पहले डूबने का संकेत भी शुभ रहा है, यानी बारिश अच्छी होगी और सुकाल रहेगा. 

लकड़ी के डंडे से पता लगाते हैं मौसम का मिजाज

वहीं राजस्थान के जोधपुर में चौक के बीचों बीच अनाज की ढेरी बनाकर उसमें एक लकड़ी का डंडा खड़ा किया जाता है. इसके ऊपरी हिस्से में वी-आकार का कांटा लगाया जाता है. कुमकुम और काजल लगी जो खपच्ची कांटे की ओर झुक जाती है, उस हिसाब से अकाल या सुकाल का अंदाजा लगाया जाता है. धणी की इस परंपरा में कई बार आपदाओं के संकेत भी मिलते हैं. इस बार काल-सुकाल का कांटा बराबर रहा है. ऐसे में कहा गया है कि, इस बार बारिश अच्छी होगी, लेकिन राजनीति में उथल-पुथल होगी. 

Source : News Nation Bureau

Forecast weather
Advertisment