33 साल से केवल चाय पीकर जिंदा है यह महिला, चाय वाली चाची के नाम से हैं मशहूर

छत्‍तीसगढ़ के कोरिया जिले में एक महिला केवल चाय पी कर जिंदा है. इस महिला ने 11 साल की उम्र में ही खाना पीना त्याग दिया था.

छत्‍तीसगढ़ के कोरिया जिले में एक महिला केवल चाय पी कर जिंदा है. इस महिला ने 11 साल की उम्र में ही खाना पीना त्याग दिया था.

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Drigraj Madheshia
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33 साल से केवल चाय पीकर जिंदा है यह महिला, चाय वाली चाची के नाम से हैं मशहूर

आप इसे कुदरत का करिश्मा कहें या कुछ और लेकिन इस महिला ने 11 वर्ष की उम्र में अकारण अचानक खाना पीना त्

आप इसे कुदरत का करिश्मा कहें या कुछ और लेकिन इस महिला ने 11 वर्ष की उम्र में अकारण अचानक खाना पीना त्याग दिया. परिवार के लोगों की मानें तो तब से लगातार उसने अन्न-जल को मुंह तक नहीं लगाया और केवल चाय पर अपने को जिंदा रखा. जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर बरदिया गांव में ये महिला रहती है. इनका नाम पल्ली देवी है. आस पास के इलाके में पल्ली देवी चाय वाली चाची के नाम से मशहूर हैं. पल्ली देवी के पिता का कहना है कि जब वो छठी क्लास में थी तो एक दिन अचानक उस ने भोजन त्याग दिया. गांव के लोग बताते हैं कि पल्ली देवी केवल चाय पर निर्भर हैं.

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पहले तो वो दूध भी पीती थी. लेकिन गरीबी के कारण परिजन दूध वाले को बकाया रकम नहीं दे पाए तो दूध आना भी बंद हो गया. जिसके बाद से पल्ली देवी पूरी तरह से चाय पर निर्भर हैं. खास बात ये है कि गांव वालों की पल्ली देवी में बड़ी आस्था है. लोग उनके पास आशीर्वाद लेने के लिए जाते हैं. पल्ली देवी की की शादी हो चुकी है. लेकिन वो शादी के कुछ दिनों बाद ससुराल से वापस आ गई और तब से वो यहीं पर हैं.

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कोरिया जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर बरदिया नाम का एक गांव है. जहां महिला अपने पिता के घर पर रहती है. आसपास के इलाके में आप किसी से भी पूछ लीजिए, हर कोई चाय वाली चाची को पहचान जाता है.44 वर्ष की महिला पल्ली देवी के पिता रतिराम बताते हैं कि पल्ली जब छठवीं कक्षा में थी, तब से ही उसने भोजन को छोड़ दिया. भाई ने1 बताया कि है कि यह घटना अचानक घटी. हमारी बहन कोरिया जिले के तरगवा गांव में 1985 में सादी हो राम रतन के यहा गई थी पहली बार वापस आने के बाद दोबरा नही गई उसी समय से भूख नही नही लगता लाल चाय पीकर जीवीत है . 

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वहीं गांव के पूर्व सरपंच बिहारी लाल राजवाड़े ने बताया कि 1994 जब मैं सरपंच बना उसी समय से चाय पर ही निर्भर है महिला . गांव वाले उसे आस्था के रूप में मानते है, जब ये ससुराल से वापस आई थी, उसी समय से चाय पीकर जिंदा है. पहले तो दूध की चाय पीती थी लेकिन घर मे गरीबी के कारण समय पर दूध वाले को पैसे नहीं दे पाए तो दूध वाले ने घर वालों से विवाद कर लिया. जिस कारण पल्ली बाई ने प्रण किय कि मैं आज से लाल चाय पीकर जीवित रहूंगी . 

Source : News Nation Bureau

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