Advertisment

कभी खूबसूरत शहर हुआ करता था ये रेगिस्तान, एक श्राप से धरती में हो गया दफन

हमारे देश में अगर रेगिस्तान का नाम आता है तो सबसे पहले हमारे दिमाग में राजस्थान का रेगिस्तान ही आता है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारे देश में थार के रेगिस्तान के अलावा कर्नाटक में भी एक रेगिस्तान है. जिसे तलकाड़ू का रेगिस्तान के नाम से जाना ज

author-image
Suhel Khan
एडिट
New Update
Talkadu desert

Talkadu Desert ( Photo Credit : Google )

Advertisment

हमारे देश में अगर रेगिस्तान का नाम आता है तो सबसे पहले हमारे दिमाग में राजस्थान का रेगिस्तान ही आता है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारे देश में थार के रेगिस्तान के अलावा कर्नाटक में भी एक रेगिस्तान है. जिसे तलकाड़ू का रेगिस्तान के नाम से जाना जाता है. ऐसा कहा जाता है अभी जिस स्थान पर तलकाड़ू का रेगिस्तान है वहां पहले एक खूबसूरत शहर हुआ करता था. इस रेगिस्तान के बनने के पीछे की कई प्रचलित मान्यताएं हैं. ऐसा कहा जाता है कि एक शाप के चलते ये शहर रेगिस्तान में बदल गया. बता दें कि ये रेगिस्तान मैसूर के करीब 45 किलोमीटर दूर है जबकि बैंगलुरु से इसकी दूरी 133 किलोमीटर है.  ये रेगिस्तान कावेरी नदी के बाएं किनारे पर स्थित है. जहां आपको सिर्फ रेत ही रेत देखने को मिलेगा. ऐसा कहा जाता है कि ये रेगिस्तान पहले एक शहर हुआ करता था जहां 30 से भी अधिक मंदिर मौजूद थे. लेकिन अब इनमें से ज्यादातर मंदिर रेत में दब गए हैं. इस रेगिस्तान के तलकाड़ु नाम के पीछे भी एक कहानी है.

क्यों पड़ा इस रेगिस्तान का नाम तलकाड़ु

ऐसा कहा जाता है कि ये शहर पुरातन काल से ही गायब हो गया और रेगिस्तान में तब्दील हो गया. तलकाड़ू के बारे में कई प्रचलित कहानियां हैं. इनमें से एक ये भी है कि, एक बार ताला और कड़ू नाम के दो जुड़वा भाई जंगल में पेड़ काटने पहुंच गए. उन में से एक भाई ने एक पेड़ काट दिया. जिस पेड़ को उसने काटा था उसकी जंगली हाथी पूजा किया करते थे. उसके बाद उन्हें पता चला कि जिस पेड़ को उन्होंने काटा है उसमें भगवान शिव की प्रतिमा है. इसीलिए हाथी इस पेड़ की पूजा किया करते थे. दरअसल, जो हाथी पेड़ की पूजा करते थे वे ऋषि मुनि थे. चमत्कारी रूप से कटा हुआ पेड़ फिर से खड़ा हो गया. तब से इस जगह का को ताला कड़ु के नाम से जाना जाने लगा.   ऐसा कहा जाता है कि वीरभद्रा स्वामी मंदिर के सामने इन दो जुड़वा भाइयों के प्रतिनिधित्व करने के लिए दो पत्थर रखे हुए हैं. ये भी कहा जाता है कि जब भगवान राम लंका जाने जा रहे थे तब वह भी तलकाड़ु रेगिस्तान में रुके हुए थे.

publive-image

क्या है तलकाड़ू रेगिस्तान का इतिहास

बताया जाता है कि इस रेगिस्तानी इलाके पर कई राजाओं ने राज किया. 11वीं शताब्दी में शूरवात में प्राचीन कर्नाटक राजवंश ने चोला राजवंश के सामने अपनी हार मान ली. इस तरह से तलकाड़ु पर चोला राजवंश का कब्जा हो गया. जिसे बाद में रजराजपुरा नाम दिया गया. इसके 100 साल बाद होयसल के राजा विष्णुवर्धन ने तलकाड़ू पर अपना अधिकार जमा लिया. होयसल के राजा ने चोला राजवंश को मैसूर से खदेड़ दिया. उस समय तलकाड़ू सात शहर और पांच मठों से बना हुआ था.

publive-image

एक शाप से रेगिस्तान में बदल गया शहर

बताया जाता है कि मैसूर के वोडेयार राजा ने तलकाड़ू शहर पर कब्जा कर लिया था. उसके बाद वोडेयार राजा, रानी अलमेलम्मा के गहने हासिल करने की सोचना लगा. लेकिन उसे हर बार असफलता मिलती. राजा ने एक सेना को रानी के पीछे लगा दिया जिससे वह रानी के जेवर हासिल कर ले.  ये बात जब रानी अलमेलम्मा को पता चली तब वो कावेरी नदी के किनारे पर गई और अपने सारे गहने नदी में फेक दिए. उसके बाद वह खुद भी नदी में डूब गईं. ऐसा कहा जाता है कि रानी ने डूबते समय शाप दिया की तलकाड़ू शहर पूरी तरह से रेत बन जाएगा, मलांगी भंवर बन जाएगी और मैसूर के राजा को वारिस नहीं होगा. 16वीं शताब्दी की शुरुआत में रानी का शाप सच हो गया.  यही नहीं 17वीं शताब्दी के बाद से मैसूर के सिंहासन पर एक भी उत्तराधिकारी नहीं बैठा. 

Source : News Nation Bureau

Mysterious Desert Desert in Karnataka Talkadu Desert Weird News
Advertisment
Advertisment
Advertisment