लड़कियों को बलात्कार से बचाएगी ये डिजाइनर साड़ी, जानिए कैसे...
कटाक्ष मारते हुए दावा किया गया है कि इन साड़ियों को एंटी-रेप फैब्रिक और तकनीक से बनाया गया है. कंपनी का कहना है कि जब कुछ दिखेगा ही नहीं तो बलात्कार भी होगा नहीं.
highlights
- बोस्टन की एक कंपनी ने 'सुपर संस्कारी साड़ीज' की श्रंखला लांच कर दी. कंपनी का 'दावा' है कि ये साड़ियां लड़कियों और महिलाओं को बलात्कार से बचाएंगी.
- वेबसाइट में कहा गया है कि साड़ी के आगे दी गई कीमत 'सेफ्टी' को दान में जाएगी.
- कंपनी का कहना है कि जब कुछ दिखेगा ही नहीं तो बलात्कार भी होगा नहीं.
नई दिल्ली.:
हाल ही में 'दिल्ली की आंटी' का एक वीडियो (Video) वायरल हुआ, जिसमें वह लड़कियों के साथ होने वाले बलात्कार के लिए उनके पहनावे को दोषी ठहराती दिखीं. इसके पहले भी समाज के कई हिस्सों से ऐसी ही आवाजें सामने आई थीं जिसमें छेड़छाड़ और बलात्कार के लिए पहनावे को जिम्मेदार ठहराया गया. यह खासकर 'दिल्ली वाली आंटी' का वीडियो को देखकर बोस्टन की एक कंपनी ने 'सुपर संस्कारी साड़ीज' की श्रंखला लांच कर दी. कंपनी का 'दावा' है कि ये साड़ियां लड़कियों और महिलाओं को बलात्कार से बचाएंगी.
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पहनावे से बलात्कारियों की सोच नहीं बदलती
जाहिर है सलीके से कपड़े पहन लड़कियां वहशी-दरिंदों को अपने से दूर रख अपनी अस्मत बचाए रख सकती हैं! भले ही दुनिया का इतिहास यही बताता रहा हो कि रूढ़िवादी सोच के अनुरूप अपने पहनावे से सिर से लेकर पांव तक ढंकी रहने वाली महिलाएं हों या पाश्चात्य पोशाकें पहनने वाली आधुनिकाएं, पुरुषों ने उन्हें जब भी आसान शिकार समझा है अपनी गंदी सोच अमल में लाई है. हालांकि बदलते दौर में पहनावे को बलात्कार या छेड़छाड़ का जिम्मेदार मानने वालों की सोच रखने वालों की संख्या भी बढ़ी है.
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पहनावे को बलात्कार का जिम्मेदार मानने वालों पर है कटाक्ष
ऐसे में इस सोच की धज्जियां उड़ाने के लिए बोस्टन की एक कंपनी ने सुपर संस्कारी साड़ीज की श्रंखला पेश की है. वेबसाइट पर पूरी तरह से 'कटाक्ष' वाले अंदाज में सुपर संस्कारी साड़ी को विभिन्न वर्गों और कीमतों में प्रस्तुत किया गया है. पूरी तरह कटाक्ष मारते हुए दावा किया गया है कि इन साड़ियों को एंटी-रेप फैब्रिक और तकनीक से बनाया गया है. कंपनी का कहना है कि जब कुछ दिखेगा ही नहीं तो बलात्कार भी होगा नहीं.
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साड़ियों की 'बिक्री' से हुई आय जाती है महिला सशक्तिकरण में
वेबसाइट पर इन साड़ियों और पहनावों की बिक्री से होने वाली आय महिला सुरक्षा पर खर्च की जाएगी. यानी साड़ियों की जो 'कीमत' दर्शायी गई हैं, वह वास्तव में 'डोनेशन' की रकम है. कंपनी की सह-संस्थापक तन्वी टंडन ने 'सेफ्टी' (sayfty) नामक संस्था से टाय-अप किया हुआ है, जो भारतीय महिलाओं और लड़कियों को हिंसा के प्रति जागरूक करती है. बोस्टन केंद्रित वेबसाइट होने से विदेशी से भी आर्थिक मदद संस्था को मिल रही है.
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गौर फरमाएं कलेक्शन पर
महत्वाकांक्षी ऑफिस नारी साड़ी 500 रुपए में उपलब्ध है, तो महज 100 रुपए में संस्कारी आइटम नंबर साड़ी मिल रही है. पानी में अठखेलियां का शौक रखने वाली लड़कियों और महिलाओं के लिए सन-स्कारी बीच वेयर साड़ीज भी हैं. इसके आगे कहा गया है कि टू-पीस बिकिनी के बजाय वन पीस बिकी-नहीं साड़ी को आजमाया जा सकता है, जो महज 200 रुपए में उपलब्ध है. बच्चियों के लिए अच्छी बच्ची साड़ी भी है, तो लाउंज वियर का विकल्प भी लड़कियों और महिलाओं को दिया गया है.
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महत्वपूर्ण संदेश-पहनावा नहीं सोच बदलो
संस्कारी साड़ीज के रूप में वेबसाइट एक महत्वपूर्ण संदेश को भी सामने लाती है. और वह यह है कि पहनावा बलात्कारियों को प्रेरित नहीं करता और ना ही उन्हें रोकता है. शिक्षा, कानून और सशक्त महिला ही ऐसी कुत्सित सोच रखने वालों पर लगाम लगा सकती हैं. वेबसाइट में कहा गया है कि साड़ी के आगे दी गई कीमत 'सेफ्टी' को दान में जाएगी, जो सही मायने और धरातल पर महिलाओं को सुरक्षित बनाने की दिशा में काम कर रही है.
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