दुनियाभर में रहस्यमयी स्थानों की कमी नहीं है. ज्यादातर के बारे में इंसान आज तक नहीं जान पाया. जिनके बारे में इंसान को पता चल भी चुका है, लेकिन उनके रहस्यों को कोई नहीं जान पाया. आज हम आपको सराहा रेगिस्तान के एक ऐसे ही रहस्य के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में आपने शायद ही पहले कभी सुना होगा. आप ये तो जरूर जानते होंगे कि सहारा रेगिस्तान दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान है लेकिन इसमें मौजूद एक रिचैट संरचना ( Richat Structure) जिसे धरती की आंख या सहारा रेगिस्तान की आंख कहा जाता है उसके बारे में शायद ही पता होगा.
सहारा रेगिस्तान में मौजूद है 'नीली आंख'
दरअसल, अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान में ओडाडेन के पास मॉरिटानिया में एक ऐसी संरचना है जो नीली आंख के जैसी दिखाई देती है. इस संरचना को धरती या फिर सहारा रेगिस्तान की आंख कहा जाता है. इसके अलावा इसे अफ्रीका की नीली आंख के नाम से भी जानते हैं. आंख जैसी ये संरचना लगभग सहारा रेगिस्तान के बीचो-बीच मौजूद है जो 50 किलोमीटर लंबा और चौड़ा है. जो अंतरिक्ष से भी साफ नजर आती है. यही नहीं सहारा रेगिस्तान में इसका निर्माण कैसे हुआ इसको लेकर भी काफी विवाद है लेकिन इसके रहस्य को आज तक कोई नहीं जान पाया. इस अनोखे निर्माण को एलियन से जोड़कर भी देखा जाता है. बता दें कि शुरुआत के दिनों में इसकी उच्च स्तर की गोलाकारता को देखकर इसकी क्षुद्रग्रह प्रभाव संरचना के रूप में माना गया. यही नहीं ऐसा भी कहा जाता है कि इसका निर्माण ज्वालामुखीय विस्फोट से हुआ होगा. लेकिन सच्चाई क्या है ये आज भी सवाल बनी हुई है.
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इस संरचना में 32 से अधिक कार्बोनाइट डाइक हैं जो 1 से 4 मीटर चौड़े और 300 मीटर लंबे हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि रिचैट संरचना में कार्बोनेट चट्टानों की संख्या 104 मिलियन साल पहले हुई थी. इसके उत्तरी भाग में वैज्ञानिकों को किंबरलाइट प्लग मिला. जिसे 99 मिलियन साल पुराना माना जाता है. जब इस स्ट्रक्चर की पहली बार इसकी खोज की गई, तब इसे अफ्रीका की नीली आंख को क्षुद्रग्रह प्रभाव संरचना के रूप में जाना जाता था. हालिया अध्ययन में तर्क दिया गया है कि रिचैट संरचना में कार्बोनेट्स कम तापमान वाले हाइड्रो थर्मल द्वारा बनाए गए.
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अंतरिक्ष से साफ दिखाई देती है 'हारा की आंख'
बता दें कि ये संरचना इतनी विशाल है कि इसे अंतरिक्ष से भी साफ देखा जा सकता है. जो ऊपर से देखने पर किसी विशाल आंख जैसी दिखती है. आंख के जैसी दिखने के कारण ही इसे ये नाम दिया गया है. यही नहीं इसे नैविगेशन लैंडमार्क के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा चुका है. तब अंतरिक्ष यात्रियों ने इसकी खूब तस्वीरें ली थीं. इस संरचना के निर्माण को लेकर कई सालों तक ये भी माना गया कि इसका निर्माण किसी उल्कापिंड के पृथ्वी से टकराने की वजह से हुआ होगा.
इस संरचना के आसपास का अंधेरा इलाका सेडिमेंटरी चट्टानों का है जो रेगिस्तान की रेत से 200 मीटर ऊपर की ओर स्थित है. जबकि बाहरी भाग समुद्रतल से 485 मीटर ऊपर है. कई शोध में पाया गया कि इसके केंद्र में जो चट्टानें हैं वे बाहरी चट्टानों से ज्यााद पुरानी हैं.
Source : News Nation Bureau