Antique Collections का अनोखा शौक, 81 साल के बुजुर्ग ने घर को बनाया म्यूजियम
वाई कृष्णमूर्ति के मुताबिक लोग पीतल के बर्तन में चावल, पीतल के बर्तन में दाल, पत्थर के बर्तन में सांभर और दालें पकाते थे, पुराने दिनों में तांबे के बर्तन में पानी भी जमा किया जाता था, इस तकनीक को हमें फिर से पुनर्जीवित करना चाहिए.
highlights
- इस संग्रहालय में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है
- प्राचीन वस्तुओं की सराहना करें, उन्हें इकट्ठा करें और संरक्षित करें
- संग्रह में कांसा, तांबा, पीतल, पत्थर और पुराने टेलीफोन भी शामिल
New Delhi:
पुरानी चीजें (Antique Collections) जुटाने के शौक की अनोखी मिसाल हैदराबाद (Hyderabad) में 81 साल के एक बुजुर्ग शख्स ने पेश की है. वाई कृष्णमूर्ति नाम के बुजुर्ग ने अपने इस शौक की वजह से अपने घर को संग्रहालय (Museum) में तब्दील कर दिया. इसके बाद वो लगातार सुर्खियां बटोर रहे हैं. उन्होंने अपने घर को दुनिया भर से जुटाई गई 900 प्राचीन चीजों को एक साथ सुंदर तरीके से सजाया है. उनके संग्रह में कांसा, तांबा, पीतल, पत्थर और पुराने टेलीफोन भी शामिल हैं. उनके म्यूजियम में एक ऐसा उपकरण भी है जिसका उपयोग ताड़ के पत्तों पर लिखने के लिए किया जाता है.
जानकारों के मुताबिक कई लोगों को पुरानी या ऐतिहासिक महत्व की चीजें जुटाने का शौक होता है. इसलिए वो ऐसी तमाम चीजें इकठ्ठा करते रहते हैं. यह शौक उन्हें बाकी लोगों से अलग बनाती है. वाई कृष्णमूर्ति के मुताबिक लोग पीतल के बर्तन में चावल, पीतल के बर्तन में दाल, पत्थर के बर्तन में सांभर और दालें पकाते थे, पुराने दिनों में तांबे के बर्तन में पानी भी जमा किया जाता था, इस तकनीक को हमें फिर से पुनर्जीवित करना चाहिए.
दादी की सीख से मिली संग्रहालय बनाने की प्रेरणा
कृष्णमूर्ति ने बताया कि वह आंध्र प्रदेश के सोमेश्वर से संबंध रखते हैं, लेकिन तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में काम करते हैं. दादा के गुजरने के बाद उन्होंने अपनी दादी को भी चेन्नई लाने का फैसला किया. उन्होंने बताया कि जब वह अपनी दादी को लेने गए थे तब उन्होंने कहा था कि चेन्नई में हमारे घर में बहुत बर्तन हैं, तो दादी ने अपने साथ पीतल के बर्तन लाने पर भी जोर दिया. दादी चाहती थीं कि लोग इस तरह की प्राचीन वस्तुओं की सराहना करें, उन्हें इकट्ठा करें और संरक्षित करें. क्योंकि वे हमारी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं. साथ ही उन्हें अगली पीढ़ी से रूबरू कराते हैं.
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प्राचीन चीजों के आकार की कहानी पर रिसर्च
बाद में कृष्णमूर्ति ने बताया कि वह अपने खाली समय में प्राचीन वस्तुओं के निर्माण के पीछे की कहानी जानने के लिए काफी रिसर्च भी करते हैं. एएनआई से उन्होंने अपने बारे में बताते हुए कहा कि प्राचीन वस्तुओं के निर्माण के पीछे की कहानी जानने के लिए और उसे एक तय आकार दिए जाने के मकसद को जानने के लिए खाली समय होने पर मैं काफी वक्त रिसर्च भी करता हूं. कृष्णमूर्ति ने कहा कि दरअसल इन चीजों के बारे में जानने से मुझे खुशी मिलती है. इस संग्रहालय में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है. बड़ी संख्या में जानकार लोग वहां संरक्षित चीजों को देखने आते रहते हैं.
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