NASA का दावा...पड़ोसी हैं एलियंस, पकड़ने के लिए शुरू किया मिशन!
हम बचपन से एलियंस की कहानी सुनते आ रहे हैं कि इस दुनिया में एलियंस होते हैं और वो बार-बार धरती पर आते हैं? क्या आपको भी ऐसा लगता है?
नई दिल्ली:
क्या सचमुच एलियंस हैं? अगर वे इस ब्रह्माण्ड में है तो कहां है? अगर वे हमें देख रहे हैं तो कहां से देख रहे हैं? कई सालों से दुनिया भर की एजेंसियां ये खोज रही हैं कि क्या इस दुनिया में एलियंस हैं, तो वो कहां हैं? क्योंकि कई बार यह दावा किया जा चुका है कि एलियंस धरती पर आ चुके हैं और उनके यूएफओ को उतरते हुए भी देखा गया है. अमेरिका की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के एक शोधकर्ता ने दावा किया है. शोधकर्ताओं ने कहा है कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा 2030 तक एलियंस की खोज कर लेगी. हां, आपने सही पढ़ा, कुछ दिनों में नासा ने ये पता लगा लेगी कि आखिर ये एलियंस कहां पर हैं?
इस मिशन के लिए नासा ने लगाया हजार करोड़
शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा पर एलियंस की मौजूदगी हो सकती है. अब इनके बारे में पता लगाने के लिए एक मिशन चलाया जाएगा. दरअसल, नासा इस साल अक्टूबर में यूरोपा क्लिपर नाम का अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष में भेजने जा रही है. यूरोपा क्लिपर साढ़े पांच साल तक यात्रा करेगा, जिसके बाद यह बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा पर पहुंचेगा. यहां पहुंचने के बाद वह इस चांद पर जीवन के संकेतों की तलाश शुरू करने वाले हैं. आपको बता दें कि इस अंतरिक्ष यान को बनाने में 178 मिलियन डॉलर यानी 1500 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. अक्टूबर में लॉन्च होने के बाद यूरोपा क्लिपर 2030 तक यूरोपा चंद्रमा की यात्रा पूरी कर लेगा.
यूरोपा पर क्यों फोकस कर रहा है नासा?
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की एक टीम ने कहा कि यूरोपा क्लिपर अंतरिक्ष यान आधुनिक उपकरणों से लैस है. ये उपकरण यह भी पता लगा सकते हैं कि यूरोपा चंद्रमा के महासागरों से निकलने वाले छोटे बर्फ के कणों में जीवन मौजूद है या नहीं. उपकरणों के माध्यम से उन रसायनों का भी पता लगाया जा सकता है जो पृथ्वी पर जीवन के लिए जिम्मेदार हैं. यूरोपा चंद्रमा को लेकर दावा किया जाता है कि यहां विशाल महासागर हैं और इनके ऊपर बर्फ की मोदी चादर बनी हुई है.
यहां हो सकते हैं एलियंस
बर्फ की चादरों के नीचे जीवन मौजूद हो सकता है, हालांकि यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि यहां एलियंस मौजूद हो सकते हैं या नहीं. दावा किया जा रहा है कि अगर यहां एलियंस होंगे भी तो वे छोटे-छोटे रोगाणुओं या बैक्टीरिया के रूप में मौजूद होंगे. यही कारण है कि नासा ने अध्ययन के लिए यूरोपा को चुना है। क्योंकि वहां पानी है और अगर पानी है तो जीवन भी हो सकता है.
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