ये है दुनिया का सबसे रहस्यमयी रेगिस्तान, जिसमें बने है 'भगवान' के पैरों के अद्भत निशान
दुनियाभर में ऐसे कई रेगिस्तान मौजूद है जहां सैकड़ों किलोमीटर तक पेड़ नजर नहीं आते. अगर इंसान गलती से भी इन रेगिस्तान में पहुंच जाए तो उसकी मौत निश्चित है क्योंकि यहां न तो पीने के लिए पानी मिलता और ना ही धूप से बचने के लिए पेड़ों की छांव.
New Delhi:
दुनियाभर में ऐसे कई रेगिस्तान मौजूद है जहां सैकड़ों किलोमीटर तक पेड़ नजर नहीं आते. अगर इंसान गलती से भी इन रेगिस्तान में पहुंच जाए तो उसकी मौत निश्चित है क्योंकि यहां न तो पीने के लिए पानी मिलता और ना ही धूप से बचने के लिए पेड़ों की छांव. आज हम आपको एक ऐसे रेगिस्तान के बारे में बताने जा रहे हैं जो इससे भी अजीब है. क्योंकि इस रेगिस्तान में 'भगवान' के पैरों के रहस्यमयी निशान मौजूद है. ये पैरों के निशान किसके हैं इसके बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया. इसीलिए पैर जैसे इन निशानों को भगवान के पैरों के निशान कहा जाता है.
पैरों के अद्भुत निशानों वाला रेगिस्तान नामीब
दरअसल, हम बात कर रहे हैं नामीब रेगिस्तान के बारे में. जो दक्षिण-पश्चिमी अफ्रीका के अटलांटिक तट से लगा हुआ है. ये रेगिस्तान पृथ्वी के सबसे सूखे स्थानों में से एक माना जाता है. जिसे स्थानीय भाषा नामा कहा जाताहै. जिसका मतलब होता है जहां कुछ भी न हो. इस रेगिस्तान की खासियत ये है कि ये बिल्कुल मंगल ग्रह की तरह नजर आता है. जहां आपको सिर्फ रेत के टीले और ऊबड़-खाबड़ पहाड़ ही नजर आएंगे. ये रेगिस्तान 81 हजार वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है.
इतना पुराना है ये रेगिस्तान
इस रेगिस्तान के बारे में कहा जाता है कि ये पांच करोड़ 50 लाख साल पुराना है. इसीलिए इसे दुनिया का सबसे पुराना रेगिस्तान भी माना जाता है. क्योंकि दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान सहारा रेगिस्तान सिर्फ 20 से 70 लाख साल पुराना ही है. इस रेगिस्तान में गर्मियों के दिनों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. यहां रातें इतनी ठंडी होती हैं कि ओस की बूंदें बर्फ में बदल जाती हैं. इस स्थान को बिल्कुल भी रहने लायक नहीं माना जाता लेकिन कई प्रजातियां यहां रहती हैं. इस रेगिस्तान का विस्तार दक्षिणी अंगोला से नामीबिया होते हुए 2,000 किलोमीटर दूर दक्षिण अफ्रीका के उत्तरी हिस्से तक है. इसे देखकर ऐसा लगता है मानों पूरब की ओर रेत का अंतहीन समुद्र आंखों के सामने पसरा हो.
सालभर में सिर्फ दो मिमी होती है बारिश
बता दें कि इस रेगिस्तान में पूरे साल में सिर्फ दो मिमी बारिश होती है. यही नहीं कई बार तो यहां साल भर बिल्कुल भी बारिश नहीं होती. इसके बाद भी यहां ओरिक्स, स्प्रिंगबॉक, चीता, लकड़बग्घा, शुतुरमुर्ग और जेब्रा की मौजूदगी है. शुतुरमुर्ग पानी के नुकसान को कम करने के लिए अपने शरीर के तापमान को बढ़ा लेते हैं. वहीं हार्टमैन के पहाड़ी जेब्रा कुशल पर्वतारोही होने की वजह से इस रेगिस्तान में जिंदा हैं. वहीं ओरिक्स बिना पानी पिए सिर्फ पौधे की जड़ और कंद खाकर ही कई हफ्तों तक जिंदा रहते हैं. इस रेगिस्तान में हैरान करने वाली बड़ी पहेली एक भू-आकृति है. जिसे 'परियों का घेरा' के नाम से जाना जाता है. नामीब के रेगिस्तान में ऐसे लाखों घेरे नजर आएंगे.
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