मुस्लिम डिलीवरी बॉय के हाथों सामान लेने से किया इनकार फिर भुगतना पड़ा अंजाम
एक मुस्लिम डिलीवरी बॉय से सामना लेने से इनकार करने के आरोप में एक शख्स को गिरफ्तार कर लिया गया है. जानकारी के मुताबिक मामला हाराष्ट्र में ठाणे जिले का है.
नई दिल्ली:
कोरोना संकट में जहां हर कोई एक जुट होकर इस महामारी को हराने में लगा हुआ है तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी सांप्रदायिक भेदभाव फैला रहे हैं. महाराष्ट्र से ऐसा ही एक मामला सामने आया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक मुस्लिम डिलीवरी बॉय से सामना लेने से इनकार करने के आरोप में एक शख्स को गिरफ्तार कर लिया गया है. जानकारी के मुताबिक मामला हाराष्ट्र में ठाणे जिले का है.
आरोपी की पहचान 51 साल के गजानन चतुर्वेदी के रूप में हुई है जिनके खिलाफ धारा 295 ए (धार्मिक भावना को आहत करने के उद्देश्य से दुर्भावनापूर्ण हरकत करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
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सामान पहुंचाने गए शख्स ने अपनी इस मामले में शिकायत की जब मंगलवार सुबह वह कुछ सामान पहुंचाने चतुर्वेदी के घर पहुंचा तो उन्होंने उसका नाम पूछा. नाम बताने पर चतुर्वेदी ने कहा कि वह मुस्लिम के हाथों कोई सामान नहीं लेगें. इस मामले में शिकायत दर्ज कर चतुर्वेदी को गिरफ्तार लिया गया है. मामले की जांच जारी है.
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बता दें, कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के लिए ठीक हो चुके लोगों का प्लाज्मा वरदान बनकर उभरा है. मरीजों को ठीक हो चुके लोगों का प्लाज्मा चढ़ाया जा रहा है, जिससे उनकी हालत में सुधार देखा जा रहा है. अब यह प्लाज्मा थेरपी मुंबई में इस्तेमाल करने का फैसला महाराष्ट्र सरकार ने लिया है. देश में कोरोना वायरस (Corona Virus) का प्लाज्मा थेरेपी (Plazma Therepy) का पहला परीक्षण सफल रहा है. दिल्ली के एक निजी अस्पताल में भर्ती मरीज पर प्लाज्मा तकनीक का इस्तेमाल किया गया था. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मरीज को सोमवार को वेंटिलेटर से हटा दिया गया, उसके बाद भी मरीज की हालत बेहतर बताई जा रही है. अस्पताल में एक ही परिवार के कई लोग बीमार होने के बाद भर्ती हुए थे, जिनमें दो वेंटिलेटर पर थे. वेंटिलेटर पर रखे एक मरीज की मौत हो गई थी. बचे दूसरे मरीज पर प्लाज्मा थेरेपी का परीक्षण हुआ.
डॉक्टरों के अनुसार, एक व्यक्ति के खून से अधिकतम 800 मिलीलीटर प्लाज्मा लिया जा सकता है. वहीं, कोरोना मरीज के शरीर में एंटीबॉडीज (Anti Bodies) डालने के लिए 200 मिलीलीटर प्लाज्मा चढ़ाते हैं. डॉक्टरों के अनुसार, इलाज में प्लाज्मा तकनीक कारगर साबित हो चुकी है. इस तकनीक में रक्त उससे लिया गया था, जो तीन सप्ताह पहले ही ठीक हो चुका है. दो दिन पहले ही केंद्रीय दवा नियामक ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने कोविड-19 के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी के क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी दी थी. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) की ओर से तय प्रोटोकॉल के तहत ट्रायल किया गया.
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