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जानिए धरती पर कहां है नरक का द्वार, जहां धरती और आसमान से बरसती है आग

पृथ्वी पर न जाने कितनी ऐसी जगहें हैं जो अपने में हजारों रहस्यों को समेटे हुए हैं.  आइये आपको आज एक ऐसी ही जगहों के बारे में बताते हैं. बता दें कि इस जगह को धरत पर नर्क का द्वार भी कहते हैं. इस जगह का नाम है डानाकिल डिप्रेशन.

Updated on: 08 May 2021, 11:00 AM

दिल्ली :

इस ब्रह्मांड कई ऐसे पहेली है जिसे आज तक विज्ञान नन्ही सुलझा पाया है. पृथ्वी पर न जाने कितनी ऐसी जगहें हैं जो अपने में हजारों रहस्यों को समेटे हुए हैं.  आइये आपको आज एक ऐसी ही जगहों के बारे में बताते हैं. बता दें कि इस जगह को धरत पर नर्क का द्वार भी कहते हैं. इस जगह का नाम है डानाकिल डिप्रेशन. यह उत्तरी अफ्रीका के इथियोपिया नामक देश में स्थित है. यहां पर गर्म पानी के कई सारे स्रोत और झरने हैं, जहां कुछ-कुछ समय अंतराल में ज्वालामुखी की तरह फूटते हैं. इस कारण यहां पर हमेशा ज्वालामुखी की सघन क्रियाएं होती रहती हैं.

झरनों के फूटने के कारण डानाकिल डिप्रेशन में आग की बारिश भी होती है. डानाकिल डिप्रेशन से भारी मात्रा में पोटेशिएम सॉल्ट और सल्फर निकलता है. इस कारण इसके आस-पास की जमीनें लाल, पीली, नारंगी और सफेद रंग की हो गई हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डानाकिल डिप्रेशन समुद्र तल से 125 मीटर नीचे स्थित है. 
  
डानाकिल डिप्रेशन पर तीन टेक्टॉनिक प्लेट्स मौजूद हैं  को और अधिक खास बनता है. टेक्टॉनिक मूवमेंट के चलते हर साल यह प्लेटें एक दूसरे से 1 या 2 सेंटीमीटर दूर खिसक रही हैं. प्लेटों के खिसकने से यहां पर दरारें आ रही हैं. इस कारण पृथ्वी के अंदर से गर्म लावा बाहर आ जाता है और ज्वालामुखी क्रियाओं में तेजी देखने को मिलती है. वैज्ञानिकों को दावा है कि कुछ समय बाद यहां पर गहरा गड्ढा हो जाएगा, जिसे समुद्र का पानी पूरी तरह से भर देगा.

 डानाकिल डिप्रेशन का औसत तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक बना रहता है, वैसे कई बार तापमान 55 डिग्री तक भी पहुंच जाता है. वहीं जब ज्वालामुखी क्रियाएं सघन होती हैं. उस दौरान यहां का तापमान 125 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. इस कारण इस स्थान को गेटवे ऑफ हेल यानी नरक का द्वार भी कहा जाता है. वैज्ञानिकों ने यहां अनुसंधान करते हुए लाखों साल पहले के अवशेषों को ढूंढ निकाला है. डानाकिल डिप्रेशन का वातावरण हमेशा गर्म रहता है जिससे वैज्ञानिकों को यह जानने में मदद करता है कि दूसरे ग्रहों और चंद्रमाओं पर जीवन का विकास किस प्रकार से संभव हो सकता है.