ये 3 जाति के लोग ही कर सकते हैं राष्ट्रपति की सुरक्षा, कोर्ट पहुंचा मामला

जुलाई 2017 में राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए तीन गार्ड्स की नियुक्तियों के लिए आवेदन मांगे थे.

जुलाई 2017 में राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए तीन गार्ड्स की नियुक्तियों के लिए आवेदन मांगे थे.

author-image
Sunil Chaurasia
एडिट
New Update
ये 3 जाति के लोग ही कर सकते हैं राष्ट्रपति की सुरक्षा, कोर्ट पहुंचा मामला

भारत का प्रथम नागरिक यानि देश के राष्ट्रपति का पद एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गया है. इस चर्चा की मुख्य वजह राष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी हैं. जी हां, भारत के राष्ट्रपति की सुरक्षा में लगे जवानों की जाति पर विवाद छिड़ गया है. दरअसल भारत के राष्ट्रपति की सुरक्षा करने वाले गार्ड्स केवल तीन जातियों के ही होते हैं. जिनमें राजपूत, जाट और सिख जाट शामिल हैं.

Advertisment

राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए निकाले जाने वाली गार्ड्स की वैकेंसी में इन्हीं जातियों के लोगों की मांग की जाती है. ऐसे में पद की चुनाव प्रक्रिया पर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई. दिल्ली हाई कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, रक्षा मंत्रालय व चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ से जवाब मांगा है. कोर्ट ने जवाब के लिए चार हफ्तों का समय दिया है.

गौरतलब है कि जुलाई 2017 में राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए तीन गार्ड्स की नियुक्तियों के लिए आवेदन मांगे थे. जिसमें साफतौर पर इस बात का जिक्र किया गया था कि इस पद के लिए केवल जाट, राजपूत और जाट-सिख जाति के लोग ही होने चाहिए. जिसके बाद हरियाणा के गौरव यादव ने इस भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी.

गौरव ने अपनी याचिका में कहा था कि वे राष्ट्रपति का सुरक्षा गार्ड बनने के लिए पूरी तरह से योग्य हैं, सिवाए वे मांगी गई जाति के अंतर्गत नहीं आते हैं. गौरव ने पहले इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की थी, लेकिन कोर्ट ने इस याचिका में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और रद्द कर दिया. गौरतलब है कि राष्ट्रपति के सुरक्षा गार्ड की नियुक्ति में इन जातियों के लोगों को चयन करने का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने ही साल 2013 में सेना की अनुशंसा को दिया था.

Source : News Nation Bureau

president-of-india ramnath-kovind President Ramnath Kovind who is the president of india president security guards
      
Advertisment