logo-image

हिंदू रीति रिवाज से बकरे का अंतिम संस्कार, मालिक कराएगा ब्राह्मण भोज 

मालिक का बकरे से इतना प्रेम देखकर आम लोग भी भावुक हो रहे हैं. कौशांबी जिले के सिराथू तहसील के अंतर्गत आने वाले सयारा मीठेपुर निहालपुर गांव के रहने वाले रामप्रकाश यादव होमगार्ड का काम करते हैं.

Updated on: 05 Dec 2021, 12:39 PM

highlights

  • उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में बकरे का अंतिम संस्कार कि
  • बकरे का अंतिम संस्कार की तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही है
  • मालिक रामप्रकाश ने बताया- वह बकरे की तेरहवीं भी करेंगे

नई दिल्ली:

Goat Funeral: उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में एक बकरे का अंतिम संस्कार को सुनकर आप भी थोड़ी देर के लिए चौंक जाएंगे. यहां बकरे की मौत होने पर परिजनों में शोक की लहर दौर गई. बकरे की मौत से दुखी मालिक ने हिंदू रीति-रिवाज से न सिर्फ अंतिम संस्कार किया बल्कि ब्राह्मण भोज भी कराया गया. फिलहाल इसके अंतिम संस्कार की तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही है. बकरे का अंतिम संस्कार को लेकर पूरे जिले में चर्चा का केंद्र बन गया है. 

यह भी पढ़ें : गौरैये का घोंसला बन जाता है ये शादी का कार्ड, पिता-पुत्र ने मिलकर बनाया अनोखा डिजाइन

फिलहाल इस अनोखे मामले को लेकर यहां लोग भी हैरान हैं. मालिक का बकरे से इतना प्रेम देखकर आम लोग भी भावुक हो रहे हैं. कौशांबी जिले के सिराथू तहसील के अंतर्गत आने वाले सयारा मीठेपुर निहालपुर गांव के रहने वाले रामप्रकाश यादव होमगार्ड का काम करते हैं. वह मुख्य विकास अधिकारी के कार्यालय में तैनात है. रामप्रकाश यादव ने अपने घर में एक बकरा पाल रखा था. वह बकरे को अपने बेटे की तरह प्यार करते थे. बकरा भी उनके घर में रहते-रहते सभी से काफी घुल मिल गया था और बहुत प्यार से रहता था. रामप्रकाश ने उस बकरे का नाम कल्लू रख दिया गया. 

बकरे की मौत से मालिक काफी दुखी

रामप्रकाश के परिजनों को भी कल्लू बकरे से काफी प्यार हो गया था. इस वजह से उसके बूढ़े होने के बाद भी परिवार बकरे को कसाई के हाथों नहीं बेचना चाहते थे. इसकी वजह से उन्होंने बकरे को अपने पास ही रखा. इसके बाद बकरा बीमार हो गया. रामप्रकाश ने उसकी दवा कराई लेकिन शुक्रवार सुबह अचानक से बकरे की मौत हो गई. कल्लू की मौत से परिजन काफी दुखी हो गए. इसके बाद रामप्रकाश का परिवार बकरे की अंत्येष्टि संस्कार में जुट गया. परिवार ने ग्रामीणों के साथ मिलकर सबसे पहले बकरे की शव यात्रा निकाली. फिर रामप्रकाश ने उसे अपने खेत में ले जाकर हिंदू रीति रिवाज के अनुसार अंतिम-संस्कार किया. रामप्रकाश ने शुद्धिकरण के लिए अपना सिर भी मुंडा लिया और दाग भी दिया. रामप्रकाश ने बताया कि वह बकरे की तेरहवीं भी करेंगे.