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एनसीआर के इन पांच जंगलों में लें सैर-सपाटे का मजा, कॉर्बेट जैसा देता है फील

कई लोगों को यह विश्वास करना मुश्किल होगा कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुड़गांव और फरीदाबाद में भी ऐसे जंगल मौजूद हैं जहां सैर-सपाटे का शानदार मजा ले सकते हैं. ये सभी जंगल लगभग सैकड़ों साल पहले के हैं.

Updated on: 25 Oct 2021, 05:09 PM

highlights

  • इन बेहतरीन जंगलों में ले सकते हैं सैर-सपाटे का मजा
  • फरीदाबाद, गुड़गांव, नोएडा, और ग्रेडर नोएडा में है ये जंगल
  • कम खर्च में ही इन जंगलों में ले सकते हैं बेहतरीन मजा  

 

नई दिल्ली:

दिल्ली एनसीआर के कंक्रीट के जंगलों में रियल एस्टेट डेवलपर्स के लिए आपको एक कॉन्डोमिनियम के साथ अपने खुद के एक निजी जंगल का वादा करना सामान्य बात नहीं है, लेकिन कई लोगों को यह विश्वास करना मुश्किल होगा कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुड़गांव और फरीदाबाद में भी ऐसे जंगल मौजूद हैं जहां सैर-सपाटे का शानदार मजा ले सकते हैं. ये सभी जंगल लगभग सैकड़ों साल पहले के हैं. यदि आप भी किसी कॉर्बेट में वीकेंड पर जाने का प्लान बना रहे हैं तो आपके लिए एनसीआर का यह जंगल वास्तव में एक शानदार जगह हो सकती है. शौकीन चावला और रोहित शर्मा के अनुसार, इन जंगलों में सैर-सपाटे की योजना निश्चित रूप से कम खर्च में ही हो जाता है. इन जंगलों में आकर आपको अलग-अलग प्रकार की पक्षियों को देखने का मौका मिल सकता है. एनसीआर में पांच ऐसे वन हैं जिसे न सिर्फ खोजे जाने की जरूरत है बल्कि उन्हें समझने और संरक्षित करने की भी प्रतीक्षा कर रहे हैं. 

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धनौरी वेटलैंड्स, ग्रेटर नोएडा

ग्रेटर नोएडा से कुछ किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश का राज्य पक्षी सारस क्रेन का प्रजनन स्थल है. यह धनकौर और तुसराना गांवों के बीच में स्थित है. धनौरी वेटलैंड्स एक सड़क से दो भागों में कट जाती है जो गांवों को शहर से जोड़ती है. जैसे ही कोई वेटलैंड्स में प्रवेश करता है, सारस और अन्य विभिन्न पक्षियों की चीखें सुनाई देनी शुरू हो जाती है. वर्ष 2019 में गौतम बौद्ध नगर के वन विभाग और जिला प्रशासन ने 69 वेटलैंड्स को क्षेत्र के हिस्से के रूप में सूचीबद्ध किया था. इस सूची में धनौरी वेटलैंड्स शामिल है जो 7.5 हेक्टेयर में फैली हुई है. पक्षियों के शौकी और इसके संरक्षक आनंद आर्य के अनुसार, वह धनौरी के संरक्षण में सरकार की उदासीनता के खिलाफ वह एक लड़ाई लड़ रहे हैं और इसे रामसर साइट का दर्जा दिए जाने के लिए वह संघर्ष कर रहे हैं. आर्य ने बताया कि यह प्रक्रिया नौकरशाही के उलझावों में फंस गई है. यहां तक कि आरटीआई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्रों का भी कोई नतीजा नहीं निकला है. आर्य वर्ष 2014 में वेटलैंड्स की खोज करने वाले पक्षियों में शामिल थे. आर्य के अनुसार, 

“नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा वेटलैंड नियमों के तहत धनौरी वेटलैंड को मान्यता देने के आदेश को छह साल हो चुके हैं, लेकिन अब तक इसे रामसर साइट में बदलने की प्रक्रिया में इसके प्रलेखन के लिए कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया है. तुसराना के एक स्थानीय ग्रामीण, फतेह चंद शर्मा का कहना है कि अगर सरकार साइट को एक अभयारण्य में बदल देती है, तो क्षेत्र को भी बेहतर विकसित किया जा सकता है. वेटलैंड को संरक्षित किया जा सकता है. इससे शायद ग्रामीणों को आय का स्रोत भी प्रदान करने में मदद मिलेगी. “यह वेटलैंड अंग्रेजों के समय से ही प्रसिद्ध है और अब भी वीकेंड पर बहुत से लोग निजी वाहनों में जगह की सुंदरता का आनंद लेने के लिए आते हैं.

सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान
18 मार्च 2020 से बंद होने के बाद सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान आखिरकार इस साल नवंबर में फिर से खुल जाएगा. कोविड महामारी से पहले पार्क हर साल 1 जून से 30 सितंबर तक पक्षियों के मौसम के लिए बंद रहता है. अगस्त 2021 में राष्ट्रीय उद्यान को 'रामसर साइट' की मान्यता दी गई थी और महामारी से पहले सप्ताहांत में 8,00-1,000 की संख्या में फुटफॉल था. निखिल देवेसर ने कहा कि कोविड पक्षियों के लिए वरदान रहा है. वे उन जगहों पर घोंसला बना रहे हैं जहां उन्होंने पहले कभी नहीं किया. उन्होंने कहा कि पार्क बार-हेडेड गीज़, ग्रेलैग गीज़, पिंटेल, कॉमन पोचार्ड्स, पेंटेड स्टॉर्क और स्पूनबिल्स के लिए जाना जाता है. पर्यटकों के लिए यहां आने के मामले में सुल्तानपुर हमेशा से अधिक 'मान्यता प्राप्त' जंगल रहा है. पर्यटक यहां आने के लिए योजना बना सकते हैं और अच्छे पक्षियों को आप यहां देख सकते हैं. विभिन्न बिंदुओं पर स्थित यहां चार वॉच टावर हैं. पार्किंग, शौचालय और पीने के पानी की सुविधा भी है. पर्यटकों को उचित मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए एक शैक्षिक व्याख्या केंद्र है.

मंगर बानी, फरीदाबाद-गुड़गांव

इस क्षेत्र में तेंदुए का दिखना काफी आम है. यहां आपको हर कुछ मीटर पर मोर देखा जा सकता है. यहां की जंगल की सुंदरता को देखकर आप भी इस सुंदरता में डूबने लग जाएंगे. यह जंगल अरावली की तलहटी में स्थित है. एक स्थानीय निवासी और अग्रवाल के सहयोगी सुनील हरसाना बताते हैं कि मानव निर्मित वन या कृत्रिम जैव विविधता परियोजनाएं वास्तव में कभी भी प्रकृति को दोबारा नहीं बना सकती हैं. उनका कहना है कि पौधों के जीवित रहने का अपना तरीका होता है और इसके कई उदाहरण मंगर में हैं.

भोंडसी, गुड़गांव
वर्ष 2017 में लोगों को प्रकृति और वन्य जीवन के प्रेमियों के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा भोंडसी में 100 एकड़ के प्रकृति शिविर का उद्घाटन किया गया था. शिविर को भारत यात्रा केंद्र से अलग किया गया था. भोंडसी की यात्रा से पता चलता है कि प्रकृति शिविर के सभी अवशेष हर कुछ मीटर पर पक्षियों के चित्र हैं, जो आमतौर पर क्षेत्र में देखे जाते हैं. नाम न जाहिर करने की शर्त पर एक वन अधिकारी ने कहा कि वे अब काम फिर से शुरू कर रहे हैं. जंगल में कई दुर्लभ पक्षियां, सफेद स्तन वाले वाटरहेन्स, लाल-वाट वाले लैपविंग, सफेद गले वाले किंगफिशर, रूफस ट्रीपी और जंगल बब्बलर हैं. सड़क मार्ग से जंगल तक आसानी से यहां पहुंचा जा सकता है, लेकिन बिना किसी गाइड के पक्षियों को देखना मुश्किल हो सकता है. 


नोएडा, सेक्टर 47 का मानव निर्मित जंगल

नोएडा के सेक्टर 47 में महिलाओं के नेतृत्व वाला एक समूह का नाम न केवल कचरे के निर्माण और डंपिंग को कम करने के लिए आया बल्कि एक बेहतरीन जंगल बनाने के लिए भी इन समूह का नाम आया. एक पूर्व-आईएएस अधिकारी और महिलाओं के इस समूह का हिस्सा रहीं दीपा बगई ने इस जंगल को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इस जंगल का निर्माण हुए करीब दो साल हो गया है. पर्यटक यहां आकर जंगल में आकर सैर-सपाटा कर सकते हैं.