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दहेज लेने के फायदों पर पूरा का पूरा एक चैप्टर, लोगों में उबाल

इस किताब में बताया गया है कि दहेज लड़कियों को प्रॉपर्टी के रूप में दिया जाता है. दहेज से लड़कियों को उनका नया घर बसाने में आसानी होती है.

Updated on: 05 Apr 2022, 12:56 PM

highlights

  • टेक्स्टबुक ऑफ सोशियोलॉजी फॉर नर्सेज में दहेज पर चैप्टर
  • इसमें गिनाए गए दहेज लेने-देने के भरपूर नफा-नुकसान

नई दिल्ली:

शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से 'टेक्स्टबुक ऑफ सोशियोलॉजी फॉर नर्सेज' दहेज प्रथा के 'गुणों और लाभों' को बताने वाले पाठ को हटाने की मांग की है. प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि कानून दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के अनुसार दहेज लेने, देने या इसके लेन-देन में सहयोग करने पर 5 वर्ष की कैद और 15,000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान है. इसके बाद भी देश के युवाओं को दहेज के फायदे पढ़ाए जा रहे हैं. सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीटर पर एक पन्ने की कटिंग शेयर की है. उस कटिंग में दिख रहा है कि दहेज के फायदे गिनाए गए हैं. बताया गया है कि एक सामान्य लड़की दहेज के दमपर किसी हैंडसम लड़के से शादी कर सकती है.

प्रियंका चतुर्वेदी ने केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान से किताब में से इस पाठ को हटाने की मांग की है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, दहेज प्रथा आज भी हमारे समाज में जिंदा है. ये संविधान और राष्ट्र के लिए शर्म की बात है. मैं शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से आग्रह करती हूं कि इस तरह के पाठ को किताबों से हटाएं, जो दहेज के फायदे गिना रही है. गौरतलब है कि इस किताब में बताया गया है कि दहेज लड़कियों को प्रॉपर्टी के रूप में दिया जाता है. दहेज से लड़कियों को उनका नया घर बसाने में आसानी होती है. दहेज प्रथा के कारण बहुत से माता-पिता ने अपनी बच्चियों को पढ़ाना शुरू कर दिया है ताकि वे खुद कमाएं और दहेज इकट्ठा करें. इस किताब में ये भी बताया गया है कि दहेज देकर एक सामान्य सी दिखने वाली लड़की सुंदर लड़के से शादी कर सकती है.

इसी को लेकर प्रियंका चतुर्वेदी ने केंद्रीय मंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा, यह पाया गया है कि लेखक टीके इंद्राणी द्वारा लिखित पुस्तक 'टेक्स्टबुक ऑफ सोशियोलॉजी फॉर नर्सेज' दहेज प्रथा के 'गुणों और लाभों' को बताती है. यह पुस्तक बीएससी द्वितीय वर्ष के पाठ्यक्रम का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि दहेज एक आपराधिक कृत्य होने के बावजूद हमारे बीच इस तरह के पुराने विचार प्रचलित हैं. यह और भी चिंताजनक है कि छात्रों को इस तरह की प्रतिगामी सामग्री से अवगत कराया जा रहा है और अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. दहेज प्रथा का ऐसी सामाजिक मजबूती देना आपत्तिजनक है और इस पर तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए. यह सुनिश्चित किया जाये कि भविष्य में ऐसी महिला विरोधी सामग्री को न तो पढ़ाया जाता है और न ही प्रचारित किया जाता है. खासकर शैक्षणिक संस्थानों द्वारा और पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा की जाती है और एक पैनल द्वारा अनुमोदित किया जाता है.