हम बचपन से फिल्मों में सुनते और देखते आ रहे हैं कि सपेरा सांप को बीन की धुन पर नचाता है. इसके अलावा ये भी देखा गया है कि जैसे ही सांप बीन की आवाज सुनते हैं, वे सामने आ जाते हैं. अगर आपको याद हो तो बचपन में जब हम टीवी पर ऐसी धुनें सुनते थे तो उसे बंद कर देते थे ताकि कोई सांप न आ जाए. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वाकई बीन की आवाज से सांपों पर कोई फर्क पड़ता है. यह हजारों सालों से एक रहस्य बना हुआ है, इसलिए आज हम इस रहस्य से पर्दा उठाएंगे. ये धारणा कि सांप बीन की धुन सुनकर आ जाते हैं, काफी पुरानी और लोकप्रिय है, खासकर भारत में. लेकिन वैज्ञानिक रूप से देखा जाए तो इस बात में सच्चाई नहीं है.
क्या सच में बीन की धुन पर नाचते हैं सांप?
सांपों की सुनने की क्षमता काफी सीमित होती है. उनके कानों में बाहरी कान (external ear) नहीं होते, बल्कि आंतरिक कान (inner ear) होते हैं. वे जमीन की कंपन के माध्यम से ध्वनि तरंगों को महसूस करते हैं, लेकिन हवा में प्रसारित ध्वनियों को सुनने की उनकी क्षमता बहुत कम होती है. तो फिर बीन और सांप का क्या संबंध है तो चलिए ये भी जान लेते हैं. बीन, जो एक पारंपरिक भारतीय वाद्य यंत्र है, जिसका प्रयोग सपेरे सांपों को 'नचाने' के लिए करते हैं.
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तो लोग समझते हैं...?
लेकिन यहां ये ध्यान देने योग्य है कि सांप बीन की धुन सुनकर नहीं, बल्कि बीन की गति और हिलने-डुलने के कारण प्रतिक्रिया देते हैं. बीन के हिलने से सांप का ध्यान उस ओर जाता है और वह अपने सिर को उसी दिशा में घुमाता है, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि सांप बीन की धुन पर नाच रहा है.अपने चारों ओर के वातावरण को समझने के लिए अपनी जीभ और जमीन की कंपन का उपयोग करते हैं. जब सपेरा बीन बजाता है, तो सांप उसकी गतिविधियों को देखता है और अपने आप को सुरक्षा की दृष्टि से हिलाता है.
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Source : News Nation Bureau