भारतीय नृत्य रूपों की समृद्धि सांस्कृतिक विरासत को पहचानते हुए हाल ही में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) और सांस्कृतिक संसाधन और प्रशिक्षण केंद्र (सीसीआरटी) के साथ साझेदारी में रूट्स 2 रूट्स (आर2आर) का आयोजन किया गया. शास्त्रीय भारतीय नृत्य रूपों पर एक डिजिटल रीयल-टाइम ऑनलाइन इंटरैक्टिव पाठ्यक्रम लॉन्च किया. 15 जनवरी को शुरू हुए इस कार्यक्रम का उद्देश्य भरतनाट्यम, कथक और ओडिसी की सुंदरता से वैश्विक मंच को रोशन करना है. ये सदियों पुराने शास्त्रीय नृत्य रूप न केवल भारत के विविध सांस्कृतिक परिदृश्य की आत्मा का प्रतिनिधित्व करते हैं, बल्कि देश की सांस्कृतिक विरासत के राजदूत के रूप में भी काम करते हैं. इस अभिनव सहयोग के माध्यम से, दुनिया भर में नृत्य प्रेमियों को अब भरतनाट्यम, कथक और ओडिसी की लयबद्ध जटिलताओं, पारंपरिक कथाओं और कहानी कहने के तत्वों में डूबने का एक विशेष अवसर प्रदान किया गया है.
पाठ्यक्रम के बारे में बोलते हुए, रूट्स 2 रूट्स के सह-संस्थापक, राकेश गुप्ता ने कहा कि हम एक प्रकार का सांस्कृतिक पुनरुत्थान देख रहे हैं. भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैलियों की शाश्वत सुंदरता का जश्न मनाने में दुनिया भर के लोगों की अत्यधिक रुचि बढ़ी है. यह पहल भारतीय सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि के लिए बढ़ती वैश्विक सराहना का प्रमाण है. नृत्य पाठ्यक्रम न केवल सांस्कृतिक विरासतों को संरक्षित करने के महत्व को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक दर्शकों के वास्तविक उत्साह को भी बताता है. यह सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और एक सामंजस्यपूर्ण वैश्विक समुदाय को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता के साथ सहजता से मेल खाता है, जहां भारतीय शास्त्रीय नृत्य की गहरी परंपराओं को दुनिया के विभिन्न कोनों के लोगों द्वारा अपनाया और मनाया जाता है.
सभी दूतावासों पाठ्यक्रम में सक्रिय रूप से शामिल
साल भर चलने वाला पाठ्यक्रम न केवल प्रत्येक शास्त्रीय नृत्य शैली के भीतर अंतर्निहित गहन कहानियों, अभिव्यक्तियों और परंपराओं की समृद्ध खोज प्रदान करता है, बल्कि यह इन कला रूपों में बढ़ती वैश्विक रुचि को दर्शाता है. केवल शारीरिक गतिविधियों से अधिक, ये शास्त्रीय भारतीय नृत्य एक प्रबल कहानी कहने के माध्यम के रूप में काम करते हैं, जो अपने लयबद्ध पैटर्न और इशारों के भीतर इतिहास, पौराणिक कथाओं और सांस्कृतिक बारीकियों को संरक्षित करते हैं. ऐसे युग में जहां दुनिया तेजी से विविधता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को अपना रही है, ये नृत्य रूप अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार दिल और दिमाग को जोड़ने वाले पुल के रूप में कार्य करते हैं. लगभग सभी भारतीय दूतावास पाठ्यक्रम में सक्रिय रूप से शामिल हैं, इसकी मांग भरतनाट्यम, कथक और ओडिसी के सांस्कृतिक महत्व और अपील की विश्वव्यापी मान्यता को रेखांकित करती है.
Source : News Nation Bureau