कोरोनावायरस (Corona Virus) के चलते पूरे देश में हुए 21 दिनों के लॉकडाउन के ऐलान के बाद ओडिशा के समुद्र तट का नजारा कुछ और ही कहानी बयां कर रहा था. यहां पर पूरे समुद्र के किनारे कछुए ही कछुए नजर आ रहे हैं. समुद्र के किनारे लगभग 8 लाख ओलिव रिडले कछुए पहुंचे हैं. इस नजारे को देखकर अगर हम इसे कोरोना वायरस का वातावरण पर बेहतरीन असर कहें तो इसमें आपको जरा भी अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए.
कोरोनावायरस (Corona Virus) का संक्रमण कितना खतरनाक है यह हम अन्य देशों से उदाहरण ले सकते हैं. भारत सरकार ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए देश में 21 दिनों के लिए संपूर्ण लॉकडाउन कर दिया है. आपको बता दें कि अभी लॉक डॉउन का सिर्फ तीसरा दिन है और वातावरण में प्रदूषण का लेवल तो देखिए पूरी तरह से गायब हो चुका है. इसके अलावा समुद्री जीवन में भी बड़ा बदलाव दिखाई दे रहा है. यह मौसम ओलिव रिडले कछुओं के प्रजनन का है और ओडिशा के समुद्री तट पर इस बार सात लाख नब्बे हजार ओलिव रिडले कछुए अंडे देने के लिए पहुंचे हैं. गहिरमाथा और रूसीकुल्य में इन कछुओं ने लगभग छह करोड़ से भी ज्यादा अंडे दिए हैं.
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Corona Virus की वजह से मानव गतिविधियां शांत हैं
आपको बता दें कि पिछले दिनों देश में आए कोरोना वायरस की वजह से मछुआरों और टूरिस्टों की गतिविधियां समुद्र तटों पर खत्म हो गईं हैं जिसकी वजह से आज हम ये नजारा देख पा रहे हैं. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 21 दिनों का लॉकडाउन किए जाने के बाद से यहां पर पूरी तरह से सन्नाटा छा गया है जिसकी वजह से इतनी बड़ी संख्या में ये कछुए यहां प्रजनन के लिए पहुंचे हैं. विशेषज्ञों की मानें तो अगर इस दौरान भी इंसानी गतिविधियां सक्रिय रहतीं तो इनमें से बहुत सारे कछुए किसी न किसी वजह से यहां नहीं पहुंच पाते. आपको बता दें कि ये पिछले पांच दिनों में इतनी संख्या में यहां पर ये कछुए इकट्ठा हुए हैं.
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मादा कछुए उसी तट पर लौटतीं हैं जहां वो अंडे देकर जाती हैं
एक अंग्रेजी दैनिक की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी ने लोगों को अपने घरों में बंद रहने के लिए मजबूर कर दिया है. जिसकी वजह से ओडिशा के रुशिकुल्या में गहिरमाथा समुद्र तट पर इतनी भारी तादाद में कछुए पहुंचे हैं. बेरहमपुर डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO), अमलान नायक ने द हिंदू को बताया कि 22 मार्च को लगभग 2 बजे, 2,000 फीमेल ओलिव रिडलिस समुद्र से समुद्र तट से अचानक बाहर निकलने लगीं. ऐसी मान्यता है कि मादा कछुए उसी समुद्र तट पर वापस लौटती हैं जहां उन्होंने अंडे दिए थे. इस लिहाज से ओडिशा का तट उनके लिए सबसे बड़ा सामूहिक घोंसला बनाने वाली जगह है.