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गर्मी का कहर: लू से बचने के लिए ब्रिटेन के इस शख्स ने शहर के बीचोंबीच घर के पीछे उगा दिया जंगल

आमतौर पर ब्रिटेन का मौसम ठंडा रहता है, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग का असर अब यहां भी देखने को मिल रहा है. गर्मी से बचने के लिए लोग नए-नए तरीके अपना रहे हैं. लू के थपेड़ों से बचने के लिए ब्रिटेन के एक शख्स ने तो अपने घर के पीछे ही पूरा जंगल उगा दिया.

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Sunder Singh
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सांकेतिक तस्वीर( Photo Credit : News Nation)

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इनदिनों उत्तर भारत में भीषण गर्मी पड़ रही है. सुबह होते ही इतनी तेज धूप पड़ने लगती है कि लोगों का घर से बाहर निकलना तक मुश्किल हो गया है. भारत में भी नहीं बल्कि ब्रिटेन में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है. जहां लू के थपेड़ों से लोगों का हाल बेहाल है. आमतौर पर ब्रिटेन का मौसम ठंडा रहता है, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग का असर अब यहां भी देखने को मिल रहा है. गर्मी से बचने के लिए लोग नए-नए तरीके अपना रहे हैं. लू के थपेड़ों से बचने के लिए ब्रिटेन के एक शख्स ने तो अपने घर के पीछे ही पूरा जंगल उगा दिया. हैरानी की बात तो ये है कि ये जंगल किसी गांव में नहीं बल्कि शहर के बीचोंबीच बने घर के पीछे उगाया गया है. जिस शख्स ने इस जंगल को उगाया है उनका नाम डॉ. साइमन ओल्पिन है.

बचपन से प्रकृति प्रेमी है डॉ. साइमन ओल्पिन

बता दें कि डॉ. साइमन ओल्पिन 70 साल के हैं और बचपन से ही प्रकृति के प्रति दीवाने हैं. हालांकि, उन्हें हवाई सफर करने में डर लगता है. इसलिए वे कभी भी दुनिया के किसी भी देश की यात्रा पर नहीं गए और ना ही उन्होंने कभी किसी जंगल को देखा.  बावजूद इसके उनका प्रकृति प्रेम हमेशा बना रहा. प्रकृति प्रेमी होने और जंगल देखने की चाहत ने उन्हें घर के पीछे ही वर्षावन उगाने के लिए प्रेरित किया. यही वजह है कि जब ब्रिटेन में भीषण गर्मी पड़ी तो डॉ. साइमन ओल्पिन ने घर के पीछे उगे जंगल में सुकून तलाश लिया. अब जब ब्रिटेन के बाकी लोग गर्मी से परेशान हैं तब डॉ. साइमन खुद के बसाए गए इस जंगल में ठंडक का अहसास कर रहे हैं. वह अपना ज्यादातर खाली समय इसी जंगल में बिताते हैं जहां उन्हें गर्मी का जरा सा भी एहसास नहीं होता. वे यॉर्कशायर के शेफील्ड में रहते हैं.

1987 में शुरु किया जंगल उगाना
डॉ. साइमन ने अपना पहला पेड़ साल 1987 में उगाया था. तब से लेकर अब तक उन्होंने 8000 वर्ग फुट में उष्णकटिबंधीय पौधों की 100 से अधिक प्रजातियां उगा ली हैं. जिसमें 25 फुट ताड़ के पेड़ हैं जो इस विशाल बगीचे के ऊपर स्थित हैं. डॉ. साइमन ऑल्विन बताते हैं कि वह 1987 में कैंब्रिज से यॉर्कशायर अपने घर चले आए. उसके बाद उन्होंने घर के पीछे ही जंगल उगाना शुरु कर दिया. उनका कहना है कि जब तेज धूप होती है तो वे अपने बगीचे में रहना पसंद करते हैं. क्योंकि वह शांत ठंडक देने वाला होता है. साइमन कहते हैं कि तीन दशक में अपनी इस परियोजना को पूरा करने में उन्हें कितना धन खर्च करना पड़ा और कितना समय लगाया इसके बारे में वह नहीं बता सकते.

डॉ. साइमन के जंगल में हैं दुनियाभर के पौधे 

तीन बच्चों के पिता डॉ ओल्पिन का कहना है कि, "मुझे हमेशा जानवरों में दिलचस्पी रही है, खासकर जब मैं एक छोटा बच्चा था. मैं रेंगने और रेंगने वाली हर चीज से मोहित था." जब हम शेफ़ील्ड चले गए तो मैंने विदेशी पौधों में अधिक रुचि विकसित करना शुरू किया. तब हमारे पास एक छोटा बगीचा था जो एक खाली कैनवास की तरह था."  उन्होंने अपने इस जंगल में भूटान या दक्षिणपूर्व एशिया के कई पेड़-पौधे लगाए हैं. 

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डॉ. साइमन कहते हैं कि, "मुझे उड़ने से डर लगता है इसलिए मैं सोचता था कि मैं कभी भी इन आकर्षक जगहों पर नहीं जा पाऊंगा, इसलिए मैं उनमें से कुछ को शेफ़ील्ड के अपने घर में सभी जगहों को ले आया." उनका पहला पेड़ 18 इंच का एक चीनी पवनचक्की का पौधा था. जिसे उन्होंने 1988 में विश्वविद्यालय की बिक्री से खरीदा था. जो अब लगभग 25 फीट लंबा है. डॉ ओलपिन के 'जंगल' में बाँस की लगभग 25 प्रजातियाँ, ताड़ की तीन, यूकेलिप्टस की चार प्रजातियाँ और सैकड़ों अन्य पेड़, झाड़ियाँ और पौधे शामिल हैं. उन्होंने 32 साल पुराने 85 फुट ऊंचे यूकेलिप्टस के पेड़ों के बीच में  फूस की एक झोपड़ी बनाई है.

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Source : News Nation Bureau

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