कहते हैं कि अगर जीवन में कुछ करने का जुनून हो तो न उम्र बाधा आती है और न ही हालात. ये हैं ऐसी लेखिका जिन्होंने 65 साल की उम्र के बाद लिखना शुरू किया. अपने लेखन से न केवल स्टेट बल्कि नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर भी प्रशंसा मिला. भाग्यम शर्मा की सबसे बड़ी बात यह है कि उनकी उम्र 80 साल है लेकिन वह आज भी अपराधियों को सजा दिलाने के लिए सरकार की मदद के लिए खड़ी रहती है. तमिल भाषा की अच्छी जानकारी होने के कारण पुलिस न केवल उनकी मदद करती है बल्कि राज्य सरकार के पत्र व्यवहार में मदद करती है. उम्र के इस पड़ाव में भाग्यम ने आधुनिक तकनीक को भी सीखा लेपटॉप, गाड़ी चलाना ये अब 65 के बाद शुरू कर उन महिलाओं के प्रेरणा बन गई जो अकसर उम्र की बात कर अपने सपने पूरे करने से पीछे हटती हैं.
सीखने की कोई उम्र नहीं- सपनों से बड़ी उम्र नहीं हो सकती, अगर आप में कुछ कर गुजरने की ठान लो तो उसे पूरा करने से कोई भी ताकत आप को नहीं रोक सकती यह साबित कर दिखाया है. भाग्यम शर्मा ने अपने जीवन की नई कहानी 65 साल की उम्र के बाद शुरू की. भाग्यम बताती है कि वो एक शिक्षका रही हैं. 60 साल की उम्र में रिटायर्ड हो गई. दो साल बाद पति का देहांत हो गया. एक बार लगा कि सब कुछ अब खत्म हो गया, लेकिन पास में दो महिलाओं को लिखते हुए देखा, मन में ख्याल आया कि क्यों न में भी कुछ लिखूं , तो कुछ लिखने का प्रयास किया. एक छोटी सी कहानी लिखी, उसे जिसने भी पढ़ा उसने उसकी प्रशंसा की.
भाग्यम शर्मा बताती है कि जब वो लिखने लगी तो उसके बाद एक नया सफर शुरू हो गया. हर दिन कहीं न कहीं से प्रशंसा मिलने लगी. अब तक करीब एक दर्जन से ज्यादा लिखी किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. बच्चों पर कहानियां, महिलाओं और मौजूदा दौर पर लिखा हैं. कहानियों के आलावा उपन्यास भी लिखे हैं. भाग्यम बताती है कि एक दिन अचानक लगा कि जो कागजों में लिख रहे हैं, उन्हें क्यों आधुनिक संसाधनों के जरिये लिखा जाए. लैपटॉप उठाया, टाइपिंग सीखी और फिर लिखती चली गई. इसके बाद ईमेल सीखा. अब वो लैपटॉप पर ही लिखती है और मेल के जरिये अपनी कहानियां जहां भी भेजनी है वो स्वयं भेजती है. भाग्यम शर्मा कहती है उनकी लिखी कहानियों, साहित्य से जुड़े कई अवॉर्ड्स मिले हैं. राजस्थान ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी उनके लेखन पर सम्मान मिल चुका है, यहां तक कतर से भी उनकी छपी हुई किताब पर सम्मान भेजा है.
Source : News Nation Bureau