Doomsday Clock कयामत से महज 100 सेकंड दूर हैं हम, परमाणु युद्ध का खतरा बढ़ा
इस घड़ी को पहली बार 1947 में सेट किया गया था. इसके बाद से इसे 24 बार रिसेट किया जा चुका है. 1947 में घड़ी को रात के 12 बजे से सात मिनट पहले पर सेट किया गया था.
highlights
- रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच परमाणु युद्ध का खतरा बहुत बढ़ा
- इसके अलावा जलवायु परिवर्तन से भी मानवता संकट में आई
- 1987 बाद अब तक 24 बार रिसेट की जा चुकी डूम्सडे क्लॉक
नई दिल्ली:
मानवता के खत्म होने के दिनों को गिनने वाली कयामत की घड़ी ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) के बीच दुनिया परमाणु युद्ध (Nuclear War) की ओर नींद में चलने की रफ्तार के साथ आगे बढ़ रही है. डूम्सडे क्लॉक के नाम से लोकप्रिय यह प्रतीकात्मक घड़ी अपने अनुमान से विश्व को चेताती रहती है कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) और परमाणु युद्ध सरीखे खतरों से समग्र पृथ्वी से कयामत का दिन कितना दूर है. इस घड़ी की स्थापना 1945 में बुलेटिन ऑफ द अटॉमिक साइंटिस्ट्स ने की थी, जो कि एक गैर लाभकारी संगठन है. संगठन के मुताबिक डूम्सडे क्लॉक एक रूपक की तरह है जो उन खतरों की याद दिलाती है, जिनके बारे में पृथ्वी रूपी ग्रह पर जीने के लिए समय रहते चेताते रहना बेहद जरूरी है.
पहली बार 1947 में सेट की गई थी कयामत की घड़ी
बुलेटिन के एसोसिएट एडिटर फ्राक्वां डियाज मौरीन के मुताबिक यूक्रेन में जारी युद्ध से साफ है कि हम एक परमाणु युद्ध की तरफ नींद में चलने की गति से आगे बढ़ रहे हैं. अभी भी युद्ध जारी है, जो समग्र मानवता समेत पृथ्वी के अस्तित्व के लिए गंभीर आशंका की ओर संकेत करता है. इस घड़ी को पहली बार 1947 में सेट किया गया था. इसके बाद से इसे 24 बार रिसेट किया जा चुका है. 1947 में घड़ी को रात के 12 बजे से सात मिनट पहले पर सेट किया गया था. अमेरिका और सोवियत संघ में परमाणु हथियारों की होड़ शुरू होने से दो वर्ष पहले की यह बात है. इसके बाद के 75 सालों में घड़ी की सुइयों को 24 बार आगे-पीछे किया जा चुका है.
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इस साल जनवरी में फिर सेट की गई घड़ी
प्राप्त जानकारी के मुताबिक जनवरी 1991 में शीत युद्ध की समाप्ति के बाद घड़ी की सुइयों में सबसे ज्यादा अंतर था. उस वक्त घड़ी की सुइयां रात के 12 बजने से 7 मिनट पहले का समय दर्शा रही थीं. रात के 12 मिनट से ठीक 100 सेंकड पहले का समय इस साल जनवरी में दर्शाया गया था. उस वक्त जलवायु परिवर्तन को मानवता के लिए बड़ा खतरा मान सुइयों को सेट किया गया था. इसके अलावा नए सिरे से परमाणु हथियारों की होड़, परमाणु युद्ध, अंतरिक्ष में सैन्य साज-ओ-सामान का जमावड़ा और हाइपरसोनिक मिसाइलों के विकास को कयामत के लिहाज से एक बड़ा खतरा करार दिया गया था.
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